UPPCS (J) Mains 2022 जांच रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश, 9 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

यूपीपीसीएस-जे की मुख्य परीक्षा 2022 में 50 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदलने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मई 2024 में एक याचिका दाखिल की गई थी. ये याचिका अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने दाखिल की है, जिस पर अब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में 20 सुनवाई हो चुकी है.

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फाइल फोटो
इलाहाबाद:

यूपी पीसीएस-जे (मुख्य) 2022 परीक्षा विवाद से संबंधित मामले से जुड़ी सुनवाई आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई. कोर्ट द्वारा गठित पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर के नेतृत्व वाले आयोग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की है. यूपीपीसीएस-जे की मुख्य परीक्षा 2022 में 50 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदलने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मई 2024 में एक याचिका दाखिल की गई थी. ये याचिका अभ्यर्थी श्रवण पांडेय ने दाखिल की है, जिस पर अब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में 20 सुनवाई हो चुकी है. याचिकाकर्ता श्रवण पांडेय ने पीसीएस-जे मुख्य परीक्षा 2022 में अनियमितता और धांधली का आरोप लगाया है.जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की डिवीजन बेंच में मामले में सुनवाई की. अब इस मामले में अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी. 

बता दें कि इस मामले में कोर्ट ने 20 दिसंबर 2024 को अनियमितताओं की जांच के लिए स्वतंत्र आयोग का गठन किया था. कोर्ट ने मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर को एक स्वतंत्र आयोग का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया था. कोर्ट ने आयोग से 31 मई 2025 तक रिपोर्ट दाखिल करने का भी अनुरोध किया था. आज कोर्ट में आयोग ने अपनी सील बंद जांच रिपोर्ट पेश कर दी है.  पूर्व सीजे गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली न्यायिक जांच समिति की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे और सूटकेस में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है. यूपीपीसीएस जे 2022 मुख्य परीक्षा को अभ्यर्थी श्रवण पांडे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. आरोप लगाया गया है कि उनकी उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ की गई है और अंक बदले गए है. श्रवण पांडे की शिकायत पर लोक सेवा आयोग ने स्वत कदम उठाते हुए उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन कर दिया था. मामले ने तूल पकड़ लिया था. मूल्यांकन में 50 से अधिक कॉपियों के साथ छेड़छाड़ की बात सामने आई थी. इसके बाद कई अन्य अभ्यर्थियों ने भी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इसी प्रकार की शिकायत की हुई है. 6 दिसंबर 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचियों की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं भी तलब की थी. कोर्ट ने इन उत्तर पुस्तिकाओं को सील बंद लिफाफे में न्यायालय में दाखिल करने का भी निर्देश दिया था. इसके साथ ही अदालत ने यूपी लोक सेवा आयोग को याचिकाकर्ताओं को मिले अंक 7 दिसंबर 2024 तक आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का भी आदेश दिया था.

आज मुख्य याचिकाकर्ता श्रवण पांडे की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फारमान अहमद नकवी, अधिवक्ता शाश्वत आनंद और अंकुर आजाद ने पक्ष रखा. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से पेश अधिवक्ता के अनुरोध पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई 2025 के लिए निर्धारित कर दी. इस तारीख को जांच समिति की रिपोर्ट को खोले जाने की भी संभावना है. दरअसल, यह मामला यूपी पीसीएस-जे 2022 मुख्य परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़, मूल्यांकन में अनियमितताओं और मेरिट सूची में गड़बड़ी के आरोपों से जुड़ा हुआ है. गौरतलब है कि यूपीपीएससी द्वारा स्वीकार की गई गलती जिसमें गलत मास्टर फेक कोड चिपकाए जाने की बात सामने आई थी. गलत मास्टर फेक कोड चिपकाए जाने से कम से कम 50 उम्मीदवारों के अंकों की अदला-बदली होने से इस मामले को और गंभीर बना दिया.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिसंबर 2024 को सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर को उत्तर पुस्तिकाओं की छेड़छाड़ और मूल्यांकन प्रक्रिया की खामियों की जांच का जिम्मा सौंपा था. माना जा रहा है उनकी रिपोर्ट से इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण मदद मिलने की उम्मीद है. कोर्ट ने यूपीपीएससी को जांच पूरी होने तक सभी संबंधित रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के निर्देश भी दिए है.

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