हस्तिनापुर: कभी होती थी चंडीगढ़ से तुलना, आज पांडवकालीन मंदिर तक उपेक्षित 

नेहरु पार्क में आज भी 1949 का शिलापट्ट लगा है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने हस्तिनापुर के पुनर्निर्माण की आधारशिला रखी थी, लेकिन आजतक यहां कोई काम नहीं हुआ.

Advertisement
Read Time: 20 mins
नई दिल्‍ली:

महाभारत कालीन नगर मेरठ (Meerut) के हस्तिनापुर (Hastinapur) को सूबे की सियासत के लिए सबसे लकी माना जाता रहा है. यहां पर जिस पार्टी का विधायक जीतता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है. राजनीतिक रूप से हस्तिनापुर की जीत पार्टियों के लिए अहम है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से हस्तिनापुर की अलग पहचान है. यहां ऐतिहासिक धरोहरें हैं और पुरा पाषाण काल की अनेक चीजें यहां पर मिली हैं, जो राजनीति से अलग हस्तिनापुर को एक जुदा पहचान देती है. हालांकि  पुरा महत्‍व की चीजों की उपेक्षा सालती है.  

पांडवकालीन मंदिर और धरोहरे उपेक्षित

हस्तिनापुर में पांडवकालीन मंदिर के पुजारी मंगलानंद गिरी बताते हैं कि 1855 में गुर्जर राजा नैन सिंह ने मंदिर का जीर्णोद्वार कराया था. उसके बाद बहुत लोगों की सरकार रही, लेकिन मंदिर पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. कई बार यहां महिलाओं के लिए शौचालय बनाने की मांग रखी गई, लेकिन वो तक नहीं बना. उनके बगल खड़े हरीकिशन कहते हैं कि शायद ये मंदिर नेताओं को वोट नहीं दे सकता है, इसीलिए उपेक्षित है. हस्तिनापुर में पांडव कालीन मंदिर के आसपास ऐतिहासिक धरोहरें हैं. प्रख्यात आर्कियोलॉजिस्ट बीबी लाल ने इसकी खुदाई करके पुरा पाषाण काल की अनेक चीजों को खोजा था, लेकिन उसके बाद सालों तक पुरातत्विक खुदाई बंद रही. हमारे स्थानीय संवाददाता श्याम परिहार बताते हैं कि अब जल्द ही दोबारा फिर कुछ काम शुरु हुआ है, लेकिन उसकी रफ्तार बहुत सुस्त है. 

हॉट सीट बनी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सरधना सीट, संगीत सोम-अतुल प्रधान में कड़ी टक्कर

चंडीगढ़ से हस्तिनापुर की तुलना क्यों

नेहरु पार्क में आज भी 1949 का शिलापट्ट लगा है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने हस्तिनापुर के पुनर्निर्माण की आधारशिला रखी थी, लेकिन आजतक यहां कोई काम नहीं हुआ. हस्तिनापुर में मेडिकल स्टोर चला रहे गोपाल शर्मा नाराज होकर कहते हैं कि चंडीगढ़ के साथ इसे विकसित करने की योजना थी, आज चंडीगढ़ कहां और हम केवल अब बंदर भगा रहे हैं. वो कहते हैं कि जैन तीर्थ होने के चलते जैन मंदिर तो बने लेकिन सरकार से पांडवकालीन धरोहरों के लिए कुछ नहीं मिला. 

Advertisement

गन्ना किसान परेशान

मवाना चीनी मिल का पैसा वक्त से न मिलने के चलते और गंगा खादर की बाढ़ से किसान परेशान है. 

मथुरा में खानपान पर क्यों बंदिशें लगाने की हो रही कोशिश? मीट कारोबार की सियासत पर क्‍या कहते हैं लोग

Advertisement

हस्तिनापुर सेंचुरी भी 

हस्तिनापुर सेंचुरी भी यहां है, लेकिन नियमित बस और ट्रेन कनेक्टिविटी न होने के चलते वहां भी पर्यटक नहीं पहुंच पाते हैं. अब आप समझ गए होंगे कि नेताओं की किस्मत चमकाने वाली हस्तिनापुर के लोग अपनी बेहाली से क्‍यों नाराज हैं. 

Advertisement

Featured Video Of The Day
Odisha News: Vedanta Group की रिफाइनरी के बांध में दरार आने से कई इलाके जलमग्न | NDTV India
Topics mentioned in this article