Gyanvapi case: शृंगारगौरी की पूजा की इजाजत मांगने वाली महिलाएं फिर पहुंची वाराणसी कोर्ट

याचिका में कहा गया है कि दशाश्वमेध वार्ड के प्लॉट नंबर 931 पर बने ऐतिहासिक विश्वेश्वर मंदिर के साथ परिसर में गणपति गणेश, नंदी, हनुमान की दृश्य और अदृश्य प्रतिमाएं विराजित हैं. 1991 के बाद तक यहां पूजा सेवा चल रही थी. बाद में अचानक रेलिंग लगाकर इसे बंद कर दिया गया. अब इसकी जांच कर सच्चाई और तथ्य सामने लाए जाने जरूरी हैं.

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ज्ञानवापी मामले में माता शृंगारगौरी की पूजा की इजाजत मांगने वाली महिलाएं फिर वाराणसी कोर्ट पहुंची हैं. वाराणसी जिला जज की अदालत में अर्जी दाखिल की. याचिका में सर्वे के दौरान मिले  कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की गई. इन महिलाओं की तरफ वकील विष्णु शंकर जैन ने जिला जज की कोर्ट में याचिका दाखिल की. याचिका में कहा गया है कि आदि विश्वेश्वर भगवान विश्वनाथ की शक्ति और नौ गौरियों में प्रमुख देवी शृंगारगौरी के रोजाना निरंतर बेरोकटोक दर्शन, पूजन, भोग आरती सेवा और अन्य धार्मिक रीति रिवाजों का पालन करने का अधिकार दिया जाए. भगवान विश्वेश्वर अपने स्थान पर भगवान गणेश, हनुमान और नंदी के साथ विराजित और पूजित हैं, वहां आदि विश्वेश्वर शिवलिंग मिला है, जिस पर विवाद है.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इसका विशेषज्ञ है. उसे इस संरचना का अध्ययन करने दिया जाए.  ASI इलाके की खुदाई कर वहां के बारे में और जानकारी भी देगा. इससे विवाद पर छाया कोहरा हटेगा. लिहाजा कोर्ट वहां दशाश्वमेध वार्ड के प्लॉट नंबर 931 पर बने ऐतिहासिक विश्वेश्वर मंदिर के साथ परिसर में गणपति गणेश, नंदी, हनुमान की दृश्य और अदृश्य प्रतिमाएं विराजित हैं. 1991 के बाद तक यहां पूजा सेवा चल रही थी. बाद में अचानक रेलिंग लगाकर इसे बंद कर दिया गया. अब इसकी जांच कर सच्चाई और तथ्य सामने लाए जाने जरूरी हैं. लिहाजा पूरे परिसर का ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार सिस्टम यानी जीपीआरएस या फिर खुदाई कर  पड़ताल करें. प्रस्तर संरचना यानी कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच हो ताकि उस स्थान और परिसर के साथ साथ वहां मिले साक्ष्य सबूतों की वैज्ञानिक तथ्यात्मकता की पुष्टि हो सके.

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