प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर स्थित चर्चित 'गजल होटल' की जमीन का फर्जी बैनामा कराने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वर्गीय मुख्तार अंसारी के बेटों, अब्बास और उमर अंसारी को मिली अंतरिम राहत को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है. कोर्ट ने अंसारी भाइयों के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर लगी रोक को बरकरार रखा है.
सरकार ने मांगा फिर से समय, कोर्ट ने जताई नाखुशी
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एक बार फिर पक्ष रखने के लिए समय की मांग की गई. जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की ओर से यह चौथी बार मोहलत मांगी गई है. हालांकि, कोर्ट ने सरकार को अंतिम अवसर देते हुए अगली सुनवाई के लिए 22 जनवरी 2026 की तारीख मुकर्रर की है. इस मामले में अब राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी पक्ष रखेंगे, जबकि अंसारी भाइयों की पैरवी अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय कर रहे हैं.
क्या है पूरा विवाद और आरोप?
यह मामला गाजीपुर के सदर तहसील के मुहम्मद पट्टी स्थित गाटा संख्या 98, 99 और 100 की जमीन से जुड़ा है. मुख्तार अंसारी की पत्नी अफ़्शां अंसारी और उनके दोनों बेटों पर आरोप है कि उन्होंने साजिश के तहत सरकारी बंजर भूमि का कूटरचित दस्तावेजों के जरिए अवैध तरीके से नामांतरण कराया.
आरोप है कि गजल होटल के निर्माण के लिए जिस जमीन का बैनामा कराया गया, उसकी लीज पहले ही समाप्त हो चुकी थी और विक्रेताओं को उसे बेचने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था.
19 सितंबर 2020 को गाजीपुर कोतवाली में तत्कालीन लेखपाल की शिकायत पर आईपीसी की विभिन्न गंभीर धाराओं (जैसे 420, 467, 468, 120B) के तहत कुल 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था.
हाईकोर्ट में लंबित है आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की याचिका
अब्बास और उमर अंसारी ने गाजीपुर सीजेएम कोर्ट में चल रही संपूर्ण आपराधिक कार्रवाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने मई 2023 में याचिका दाखिल कर गाजीपुर कोर्ट के 31 अगस्त 2022 के आदेश को रद्द करने की मांग की थी. 12 जुलाई 2023 को हाईकोर्ट ने पहली बार अंतरिम आदेश देते हुए दोनों भाइयों की गिरफ्तारी और दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई थी, जो अब 2026 की शुरुआत तक जारी रहेगी.














