उप्र सरकार का बजट लोकसभा चुनाव स्वार्थ को लेकर सिर्फ वादों का पिटारा : मायावती

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती ने बुधवार को राज्‍य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए पेश किये गये बजट को 'ऊंट के मुंह में जीरा' करार देते हुए इसे लोकसभा चुनाव के स्वार्थ को लेकर एक बार फिर वादों का पिटारा करार दिया.

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती ने बुधवार को राज्‍य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए पेश किये गये बजट को 'ऊंट के मुंह में जीरा' करार देते हुए इसे लोकसभा चुनाव के स्वार्थ को लेकर एक बार फिर वादों का पिटारा करार दिया. उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्‍ना ने बुधवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए विधानसभा में छह लाख 90 हजार 242 करोड़ रुपये का बजट पेश किया.

बजट पेश होने के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, “उप्र सरकार द्वारा सदन में आज पेश बजट जनहित व जनकल्याण का कम एवं लोकसभा चुनाव (2024 में होने वाले) स्वार्थ को लेकर पुनः वादों का पिटारा.” उन्होंने बजट पर सवाल उठाते हुए सलाह देते हुए कहा, “क्या इस अवास्तविक बजट से यहां की जनता का हित व कल्याण तथा भारत का ‘ग्रोथ इंजन' बनने का दावा पूरा होगा? कर्ज में डूबे उत्तर प्रदेश को भ्रमकारी नहीं रोजगार-युक्त बजट चाहिए.''

मायावती ने आगे कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है. उन्होंने कहा कि जनता महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, पिछड़ेपन एवं अराजकता आदि से त्रस्त है. लेकिन सरकार ने बदहाली को दूर करने के लिए कुछ किया ही नहीं. उन्होंने सरकार से पूछा, ‘‘कथनी व करनी में अन्तर से जनता के साथ विश्वासघात क्यों?”

बसपा प्रमुख ने कहा, ''यूपी सरकार द्वारा लोकसभा आम चुनाव के मद्देनजर नए भ्रमकारी वादे व दावे करने से पहले पिछले बजट का ईमानदार रिपोर्ट कार्ड लोगों के सामने नहीं रखने से स्पष्ट है कि भाजपा की डबल इंजन सरकार में प्रति व्यक्ति आय व विकास की जमीनी हकीकत मिथ्या प्रचार व जुमलेबाजी है। बजट ऊंट के मुंह में जीरा है.''

मायावती ने दावा किया कि लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रति व्यक्ति आय में अपेक्षित वृद्धि, रोजगार व सरकारी भर्ती तो हुई नहीं, इसके विपरीत कर्ज का बोझ बढ़ गया जो सरकार की गलत नीतियों व प्राथमिकताओं का प्रमाण है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कर्ज के बढ़ते बोझ से स्पष्ट है कि सरकार, दावों एवं प्रचारों के विपरीत, हर मोर्चे पर विफल हो रही है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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