उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में आयोजित ‘पार्टनरशिप कॉन्क्लेव' में प्रदेश के सतत विकास और कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में प्रौद्योगिकी, सरकारी योजनाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी को आवश्यक बताया. ‘वर्ल्ड बैंक और गेट्स फाउंडेशन' के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
एक बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने प्रदेश की चुनौतियों और उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में किसानों और कृषि क्षेत्र को नई तकनीकों और संसाधनों से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सोलर पैनल से आज प्रदेश के किसान सशक्त हो रहे हैं और प्रदेश ऊर्जा का मजबूत केंद्र बनकर उभरा है.
योगी ने ‘इंसेफेलाइटिस' (दीमागी बुखार) के उन्मूलन में प्रदेश को मिली बड़ी सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि 2017 से पहले हर वर्ष इस बीमारी से 1500 से 2000 बच्चों की मौत होती थी लेकिन राज्य सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन, गेट्स फाउंडेशन, यूनिसेफ और अन्य संस्थाओं के सहयोग से मात्र तीन वर्षों में इस समस्या को पूरी तरह समाप्त कर दिया. उन्होंने कहा कि यह शासन, तकनीक और जनसहभागिता का परिणाम है कि आज प्रदेश में दिमागी बुखार से कोई मौत नहीं होती.
उन्होंने कहा कि राज्य में वर्तमान में 89 कृषि विज्ञान केंद्र और छह कृषि विश्वविद्यालय हैं, जो किसानों को प्रोत्साहित करने और उन्हें नई तकनीकों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
योगी ने कहा कि अब तक लगभग एक लाख किसानों को सोलर पैनल उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे सिंचाई और बिजली की समस्याओं को हल करने में मदद मिली है. राज्य सरकार ने किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि सरकारी योजनाओं के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी भी जरूरी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को समय पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराना, जल संसाधनों का सही उपयोग करना और कृषि से जुड़े ‘स्टार्टअप्स' को बढ़ावा देना राज्य सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सही योजनाओं और उनके प्रभावी क्रियान्वयन से कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन लाया जा सकता है.
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