- उत्तर प्रदेश में कथावाचकों की मारपीट का मामला बढ़ता जा रहा है.
- बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव की पूरी राजनीति जातिवाद पर टिकी हुई है
- जबकि सपा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यूपी में बीजेपी जातिगत हिंसा को बढ़ावा दे रही है
- माना जा रहा है कि इस मामले को लेकर अखिलेश यादव धर्म संकट में हैं.
उत्तर प्रदेश में कथावाचकों की पिटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इसके बहाने बीजेपी और समाजवादी पार्टी आमने-सामने हैं. कथावाचक मुकुट मणि यादव को लेकर लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस करने वाले समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव धर्म संकट में है. वो न तो यादव समर्थक दिखना चाहते हैं और न ही ब्राह्मण विरोधी. क्योंकि खतरा PDA (पिछड़ा, दलित एवं अल्पसंख्यक) के बिखरने का है. वहीं बंटेंगे तो कटेंगे के नारे के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदू एक रहो का दांव चल दिया है.
क्या है पूरा मामला
इटावा अखिलेश यादव का गृह ज़िला है. इटावा के दादरपुर गांव में 21 जून को कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत कुमार यादव के साथ बदसलूकी और मारपीट की घटना हुई थी. आरोप है कि गांव के कुछ लोगों ने कथावाचक का सिर मुंडवाकर उनका अपमान किया और उन पर "गांव को अपवित्र" करने का आरोप लगाया. मारपीट का वीडियो 23 जून को वायरल हुआ.
यादव बनाम ब्राह्मण
अखिलेश यादव ने सबको लखनऊ बुलाकर समाजवादी पार्टी ऑफिस में प्रेस कांफ्रेंस की. फिर दो दिनों बाद पार्टी के एक ब्राह्मण नेता संतोष पांडे के घर पहुंचे. आगोरखपुर के ब्राह्मण नेताओं के संग प्रेस कांफ्रेंस की. माना जा रहा है कि अखिलेश यादव धर्म संकट में हैं. क्योंकि मामला यादव बनाम ब्राह्मण का है. माना जा रहा है कि वो दोनों में से किसी को नाराज़ नहीं करना चाहते. फिलहाल वो बीजेपी को जातिवादी साबित करने में लगे हैं.
इटावा में यादव बिरादरी के लोगों ने हंगामा और पथराव कर मामला बिगाड़ दिया. अखिलेश अब कह रहे हैं कि ये बीजेपी के भाड़े के लोग थे. बीजेपी इस पूरे मामले को पहले छूने से बचती रही. अब मोर्चा संभाला है सीएम योगी आदित्यनाथ ने. वे जानते हैं कि राजनीति जाति पर आई तो नुकसान बीजेपी का है. इसीलिए हिंदू एक हो का नारा लगने लगे.
आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘ जाति के नाम पर समाज को बांटने वाले वही लोग हैं जिन्होंने सत्ता में रहते हुए माफियाओं के आगे घुटने टेक दिए और सत्ता को गिरवी रख दिया. जाति के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने वाले आज भी घूम-घूम कर समाज को बांट रहे हैं. '' उन्होंने कहा, ‘‘ पहले नौकरी के नाम पर पैसे ऐंठते थे, अब जाति के नाम पर बांट रहे हैं। इसीलिए मैंने कहा 'बटोगे तो काटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे' '' मुख्यमंत्री ने लोगों से भामाशाह के आदर्शों को अपनाने तथा समाज को जातिगत भेदभाव से मुक्त रखने का भी आह्वान किया.
बता दें इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर बयानबाज़ी करनेवाले 22 लोग जेल भेज दिए गए हैं.