यूपी में बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आरपार की लड़ाई के मूड में, हड़ताल जारी

उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के संगठन का दावा, हड़ताल से राज्य में विद्युत आपूर्ति पर पड़ रहा व्यापक असर

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प्रतीकात्मक फोटो.
वाराणसी:

उत्तर प्रदेश में अपनी मांगों को लेकर बिजली विभाग के कर्मचारी आरपार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे हैं. वे 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर चले गए हैं और जिलों में अलग-अलग जगहों पर इकट्ठे होकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वाराणसी के भिखारीपुर इलाके में भी बिजली कर्मचारियों ने एकत्रित होकर सरकार को सद्बुद्धि की कामना के लिए यज्ञ किया. उनकी मांग है कि सरकार ने उनसे कुछ दिनों पहले जिन 14 मांगों पर समझौता किया था उन्हें लागू किया जाए. इन कर्मचारियों की हड़ताल कल से जारी है. 

विद्युत कर्मियों ने तीन दिन की अपनी हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को दावा किया कि हड़ताल का राज्य के कुछ हिस्सों में बिजली आपूर्ति पर व्यापक असर पड़ा है. उन्होंने टकराव दूर करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप की मांग भी की.

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा, “ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण हड़ताल हुई. हड़ताल का बिजली आपूर्ति पर व्यापक असर दिखाई दे रहा है. अनपरा, ओबरा और पारीछा में ताप बिजलीघरों की पांच इकाइयां ठप हो गई हैं.”

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कई जिलों में बिजली वितरण प्रणाली चरमराई
शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया, “ताप बिजलीघरों के प्रबंधन ने हड़ताल में हिस्सा नहीं ले रहे विद्युत कर्मियों को भले ही भूखा-प्यासा रखकर लगातार 16 घंटे तक काम लिया, लेकिन वह बिजली इकाइयों को चला नहीं पाया.” उन्होंने दावा किया, “अनपरा में 210 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयां, ओबरा में 200 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयां और पारीछा में 210 मेगावाट क्षमता की एक इकाई ठप हो गई है. इसका बिजली आपूर्ति पर व्यापक असर पड़ा है. बिजली कर्मियों के न होने से प्रदेश के कई जिलों में वितरण प्रणाली चरमरा गई है.”

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गौरतलब है कि बिजली कंपनियों में चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक के चयन और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश के विद्युत कर्मी गुरुवार को रात 10 बजे से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं. राज्य सरकार ने हड़ताल पर कड़ा रुख अपनाते हुए काम पर नहीं आने वाले संविदा विद्युत कर्मियों को बर्खास्त करने और प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.

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हड़ताल का आह्वान करने वाली विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक दुबे ने गुरुवार को बताया था कि प्रदेश के करीब एक लाख विद्युत कर्मी गुरुवार को रात 10 बजे से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं. उन्होंने कहा था, “अनपरा, ओबरा, पारीछा और हरदुआगंज विद्युत संयंत्रों में गुरुवार की रात्रि पाली के सभी कर्मचारी, कनिष्ठ अभियंता और अभियंता हड़ताल पर चले गए हैं. ताप बिजलीघरों में रात्रि पाली में पूर्ण हड़ताल हो गई है.”

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यूपी में 23 साल बाद बिजली कर्मियों की पूर्ण हड़ताल
दुबे ने कहा था कि प्रदेश में करीब 23 साल बाद बिजली कर्मियों की पूर्ण हड़ताल हो रही है. उन्होंने कहा था, “तीन दिसंबर 2022 को प्रदेश सरकार और बिजली कर्मियों के बीच समझौता हुआ था. सरकार की तरफ से ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने समझौते के बिंदुओं को लागू करने के लिए 15 दिन का समय मांगा था. हालांकि, अब तीन महीने से ज्यादा वक्त गुजर चुका है, लेकिन समझौते पर अमल नहीं हुआ है.”

दुबे ने दावा किया कि सरकार ने समझौते में कहा था कि बिजली कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति के जरिए ही किया जाएगा, लेकिन इस व्यवस्था को बंद करके अब इन पदों पर स्थानांतरण के माध्यम से तैनाती की जा रही है, जो टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है.

उधर, बलिया से मिली खबर के अनुसार, जिले के कोतवाली क्षेत्र में गुरुवार की रात बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान शहर की बिजली आपूर्ति दुरुस्त करते समय एक निजी कर्मचारी हाईटेंशन तार की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गया. कर्मचारी को नाजुक स्थिति में स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उसे वाराणसी रेफर कर दिया गया.

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