पौआ नहीं, पावर चाहिए... यूपी के मंत्री संजय निषाद ने ऐसा क्यों कहा, जानिए

डॉ. निषाद ने कहा, “अब हम पव्वा नहीं, पॉवर मांगते हैं.” उनका दावा है कि सत्ता में आने के बाद निषाद पार्टी के कार्यकर्ता मजबूत हुए हैं. उन्होंने कहा कि जब कार्यकर्ता पार्टी की टोपी पहनते हैं, गले में गमछा डालते हैं और गाड़ी पर झंडा लगाते हैं, तो अपराधी कांपते हैं और अधिकारी सम्मान देते हैं. इससे उनके काम सबसे पहले होते हैं.

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  • डॉ. संजय निषाद ने कार्यकर्ताओं को पार्टी की टोपी, गमछा और झंडा पहनकर पहचान गर्व से अपनाने का निर्देश दिया.
  • उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी के सत्ता में आने से उनके कार्यकर्ता मजबूत हुए और अधिकारियों से सम्मान मिलता है.
  • सपा और बसपा शासनकाल में दलित और यादवों को सरकारी नौकरियां मिलीं, अब निषाद समाज भी सत्ता में हिस्सा चाहता है.
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उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने अपने कार्यकर्ताओं को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर इज़्ज़त और अधिकारियों से त्वरित सुनवाई चाहिए, तो पार्टी की पहचान को गर्व से अपनाएं. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता पार्टी की टोपी, गमछा और झंडा जरूर लगाएं ताकि अधिकारी समझ सकें कि सामने खड़ा व्यक्ति सत्ता का हिस्सा है.

डॉ. निषाद ने कहा, “अब हम पव्वा नहीं, पॉवर मांगते हैं.” उनका दावा है कि सत्ता में आने के बाद निषाद पार्टी के कार्यकर्ता मजबूत हुए हैं. उन्होंने कहा कि जब कार्यकर्ता पार्टी की टोपी पहनते हैं, गले में गमछा डालते हैं और गाड़ी पर झंडा लगाते हैं, तो अपराधी कांपते हैं और अधिकारी सम्मान देते हैं. इससे उनके काम सबसे पहले होते हैं.

उन्होंने सपा और बसपा शासनकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि उस दौर में दलितों और यादवों को सरकारी नौकरियां मिलीं और उनके कार्यकर्ता सत्ता की पहचान के साथ काम कराते थे. अब जब बीजेपी सत्ता में है और निषाद पार्टी उसका सहयोगी है, तो निषाद समाज पीछे क्यों रहे?

डॉ. संजय निषाद ने यह भी दावा किया कि जबसे निषाद पार्टी सत्ता में आई है, तबसे सपा, बसपा और कांग्रेस का प्रभाव कम हुआ है. उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे पार्टी की पहचान को ओढ़ें और गर्व से आगे बढ़ें.

बिहार में चुनावी तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी निषाद पार्टी ने अपनी मंशा साफ कर दी है. डॉ. संजय निषाद ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि 20 अगस्त को दिल्ली में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन होगा, जिसमें बिहार चुनाव को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिहार में जिन सीटों पर निषाद समाज की संख्या अधिक है, वहां पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी.

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बीजेपी से अलग चुनाव लड़ने पर बीजेपी को नुकसान हुआ था. अब बिहार में भी निषाद पार्टी अपनी ताकत दिखाना चाहती है.

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गठबंधन में खींचतान
बिहार चुनाव को लेकर सिर्फ निषाद पार्टी ही नहीं, बल्कि यूपी की एक और सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) भी दबाव बना रही है. पार्टी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि अगर बिहार में सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं, तो वे 150 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे.
 

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