इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) से चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है. न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ला की पीठ ने अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ, नयी दिल्ली द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया.
पीठ ने याचिकाकर्ता को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. इसके बाद पीठ ने अपनी रजिस्ट्री को छह सप्ताह की समाप्ति के तुरंत बाद मामले को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1916 की धारा नौ (ए) और उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा सात से जुड़े प्रावधान को भी इस याचिका में चुनौती दी गई है. इसलिए पीठ ने महाधिवक्ता को उनकी प्रतिक्रिया के लिए नोटिस जारी किया.
याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि समर्पित ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, स्थानीय निकायों में ओबीसी की जनसंख्या का प्रतिशत 36.77 प्रतिशत था, लेकिन नौ अप्रैल, 2023 को राज्य निर्वाचन आयोग ने अधिसूचना जारी करते हुए इसका ध्यान नहीं रखा. नौ अप्रैल, 2023 की उक्त अधिसूचना द्वारा ओबीसी के लिए निर्धारित आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात के अनुरूप नहीं था. याचिकाकर्ता ने पीठ से नौ अप्रैल, 2023 की विवादित अधिसूचना को अवैध और मनमाना बताते हुए रद्द करने का आग्रह किया.
ये भी पढ़ें-
- NDTV-CSDS सर्वे: क्या BJP को दोबारा मिलेगी सत्ता, या जनता थामेगी कांग्रेस का 'हाथ'?
- NDTV-CSDS सर्वे: कर्नाटक चुनाव में किस ओर जाएंगे लिंगायत और वोक्कालिगा? मुस्लिम वोटर्स देंगे किसका साथ?
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)