उत्तर प्रदेश में अब गुंडों की खैर नहीं है. योगी सरकार ने इस बार ऐसे मनचलों को सबक सिखाने की ठानी है जो खास तौर पर त्योहार के समय में कानून व्यवस्था को चुनौती देते हैं. इसके लिए योगी सरकार मिशन शक्ति के 5वें चरण का शुभारंभ करने जा रही है. मिशन शक्ति का मकसद माता और बहनों में सुरक्षा के भाव को और बढ़ाना और अपराधियों को कानून के भय से आतंकित करने का है. सीएम योगी ने एक महीने तक चलने वाले इस खास अभियान को लेकर सभी अधिकारियों को विशेष दिशा निर्देश भी दिए हैं. इस अभियान के पांचवें चरण की शुरुआत 22 सितंबर से होने जा रही है.
सीएम योगी ने अपने निर्देश में कहा है कि हर जिले में महिला सुरक्षा से जुड़े संवाद और कॉन्फ्रेंस आयोजित किए जाएँ, जिनमें अस्पतालों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए. स्कूल और महाविद्यालयों में लघु फिल्मों का प्रदर्शन कर छात्र-छात्राओं को महिला सुरक्षा और लैंगिक समानता के प्रति जागरूक किया जाए.
क्या मिशन शक्ति अभियान
इस अभियान की शुरुआत 17 अक्टूबर 2020 में की गई थी. इस अभियान के तहत महिला कल्याण, गृह, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, पंचायती राज सहित 28 विभागों ने मिलकर काम किया है. इस अभियान के तहत समाजसेवी संस्थाएं, स्कूल-कॉलेज और स्वंयसेवी संगठनों ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है. यूपी सरकार ने इस अभियान के तहत 1090, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, वन स्टॉप सेंटर, पिंक बूथ, पिंक टॉयलेट और पुलिस सहायता जैसी सेवाएं हर इंसान तक पहुंची है.
महिलाओं के खिलाफ अपराध पर लगाम लगाने के लिए अभियान
इस अभियान को शुरू करने का मकसद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध पर अंकुश लगाना था. सरकार ने महिला अपराधों पर सख्ती दिखाई है. पॉस्को कानून, दहेज हत्या और अन्य मामलों में 40 हजार से ज्यादा अपराधियों को सजा दिलाई गई है.
पहले की तुलना में अपराध की दर में आई गिरावट
सीएम योगी के इस अभियान का असर भी दिखने लगा है. अगर बाद महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की करें तो बीते कुछ वर्षों में इसके आंकड़े में गिरावट आई है. इस गिरावट के पीछे इस अभियान का भी अहम रोल है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार यूपी में महिला अपराधों की दर में गिरावट दर्ज की गई है. महिला अपराधों में गिरावट आने के पीछे महिला हेल्पलाइन, महिला थाने और तेज कार्रवाई ने इस दिशा में अहम भूमिका निभाई है.