गाय के गोबर से बनेगा कपड़ा और बायो प्‍लास्टिक, यूपी सरकार का जबरदस्‍त प्‍लान

उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक प्लान बनाया गया है. अब गोबर से बायोप्लास्टिक, जैव-पॉलिमर, बायोटेक्सटाइल, वस्त्र, ईको-पेपर, बोर्ड, बायोगैस, कम्पोस्ट और नैनोसेल्यूलोज जैसे प्रोडक्ट्स तैयार किए जाएंगे.

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  • यूपी में गोबर से बायोप्लास्टिक, जैव-पॉलिमर, बायोटेक्सटाइल, वस्त्र, ईको-पेपर जैसे प्रोडक्ट्स तैयार किए जाएंगे.
  • उत्तर प्रदेश में गोवंश से हर दिन 54 लाख किलो गोबर बनता है, इसका उपयोग इन प्रोडक्ट को बनाने में किया जाएगा.
  • उम्‍मीद जताई जा रही है कि इस योजना से रोजगार के साथ ही छोटे उद्योग लगाने के मौके भी मिलेंगे.
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लखनऊ:

उत्तर प्रदेश सरकार ने गाय के गोबर से व्‍यापार का एक जबरदस्‍त प्‍लान तैयार किया है. कपड़े से बायो प्‍लास्टिक तक गाय के गोबर से कई तरह के उत्‍पादों को तैयार करने की योजना तैयार की गई है. सीएम बनने के बाद ही योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी अवैध स्लॉटर हाउसों को बंद करवा दिया था. इसके बाद हर जिले में गोशाला शुरू करने का अभियान शुरू हुआ और अब एक-एक जिले में कई गोशालाएं हैं. कॉरपोरेट सेक्टर से सीएसआर फंड से भी इस काम में मदद मिल रही है. अब योगी सरकार गोशाला से मिलने वाले उत्पादों से कारोबार की राह पर है. इस कारोबार से नए रोजगार बनाने और बढ़ाने की तैयारी है.

उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक प्लान बनाया गया है. अब गोबर से बायोप्लास्टिक, जैव-पॉलिमर, बायोटेक्सटाइल, वस्त्र, ईको-पेपर, बोर्ड, बायोगैस, कम्पोस्ट और नैनोसेल्यूलोज जैसे प्रोडक्ट्स तैयार किए जाएंगे.

यूपी में गोबर से बनेंगे प्रोडक्‍ट

गोवंश से हर दिन 54 लाख किलोग्राम गोबर बनता है. इसका उपयोग इन प्रोडक्ट को बनाने में किया जाएगा. गोबर से वैज्ञानिक तरीके से प्लास्टिक के विकल्प तैयार किए जाएंगे और इससे प्रदूषण को भी रोका जाएगा.

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सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने यूपी में गो सेवा आयोग का गठन किया. आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने बताया कि यह योजना मुख्यमंत्री के “हर गांव ऊर्जा केंद्र” मॉडल के आधार पर है. इसमें गोबर वाले बायोगैस से बिजली मिलेगी. खेती और ग्रामीण रोजगार के साथ साथ गोशाला भी आत्मनिर्भर बनेंगे.

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नौजवानों को रोजगार मिलने की उम्‍मीद

उन्‍होंने कहा कि इस योजना से नौजवानों को रोजगार मिलेगा. ग्रामीण महिलाओं को भी कुछ छोटे उद्योग लगाने के मौके मिलेंगे. गांव को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए ऐसी कोशिशें कारगर हो सकती हैं.

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