अयोध्या राम मंदिर में माचिस या कपूर के बिना अग्नि प्रज्वलित, जानिए प्राण-प्रतिष्ठा में क्या-क्या हो रहे विशेष अनुष्ठान?

Ayodhya Ram Temple Pran Pratishtha: अयोध्या राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर क्या-क्या विशेष अनुष्ठान किए जा रहे हैं? इसके बारे में यज्ञ आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी और उनके सहयोगियों से NDTV ने खास बातचीत की.

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अयोध्या राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह.

अयोध्या:

Ayodhya Ram Temple Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का 3 दिवसीय समारोह शुरू हो गया है. 3 जून से शुरू हुए भव्य समारोह में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में राम दरबार और अन्य 7 मंदिरों में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की जा रही है. मंगलवार को वैदिक अनुष्ठान का पहला दिन गुजर चुका है. बुधवार को आज प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का दूसरा दिन है. गुरुवार को इस अनुष्ठान का समापन होगा. इस वैदिक अनुष्ठान को लेकर भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में खास रौनक देखी जा रही है. प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर क्या-क्या विशेष अनुष्ठान किए जा रहे हैं? इसके बारे में यज्ञ आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी और उनके सहयोगियों से NDTV ने खास बातचीत की.

पहले दिन सुबह 6 बजे से शुरू हुआ अनुष्ठान 

इस बातचीत के दौरान यज्ञ आचार्यों ने बताया कि अभी तक क्या कुछ विशेष अनुष्ठान किए गए. यज्ञ आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि मंगलवार को अनुष्ठान के पहले दिन की शुरुआत सुबह 6 बजे से हुई. सुबह 6 से 6.30 बजे तक बह्म यज्ञ हुआ, वेद का स्वाध्याय हुआ. 

पंचाग पूजन के बाद मंडप प्रवेश फिर वास्तु पूजा की गई

यज्ञ आचार्य ने बताया कि इसके बाद पंचाग पूजन हुआ. जिसमें सर्वप्रथम गणपति पूजन, वरुण पूजन, स्वतः पूनाहवाचन, सोषठ मातृकाओं को पूजन, सत्यपित मातृकाओं का पूजन, ब्राह्मण वरण जैसे कार्यों का समापन हुआ. इसके बाद मंडप प्रवेश हुआ. उन्होंने यह भी बताया कि यज्ञ भवन में खनन से जो भी दोष होते हैं, उनकी शांति के लिए वास्तु पूजा की गई.

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राभ्रदमंडल बनाकर सभी प्रतिमाओं का आवाहन

आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी अभी तक हजारों यज्ञ करा चुके हैं. उनके पास यज्ञ कराने का बहुत लंबा अनुभव है. उन्होंने बताया कि मंडप में जो 16 स्तम्भ हैं, वो भगवान के 16 कलाओं के प्रतिरुप है. उसकी पूजा की गई. फिर जिन-जिन देवाताओं के प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है, प्रधान वेदी पर रामभ्रदमंडल बनाकर उन सभी का आवाहन किया गया. प्रभु श्री राम का यंत्र बनाया गया. 

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आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी.

अरणी मंथन के जरिए सभी कुंडों में प्रज्वलित की गई अग्नि 

श्रीराम दरबार (सीता-राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुधन, दास हनुमान) की पूजा की गई. कुंडों की पूजा की गई. फिर अरणी मंथन के द्वारा अग्नि उत्पन्न करके सभी कुंडों में अग्नि का आवाहन किया गया. क्षेत्रपाल की पूजा की गई. ग्रहों के मंत्रों से हवन किया गया. जो 8 देवता है, जिनकी प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है, उनके मंत्रों द्वारा हर एक कुंडों में 108 आहुति प्रदान की गई. 

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पहले दिन की पूजा के बाद पूरी रात जल में प्रतिमाओं का वास

आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि इसके बाद मंदिरों की कर्मकुंडी प्रक्रिया की गई. जलाधिवास हुआ. इस समय सभी प्रतिमाएं जल में ही वास कर रहा है. मंगलवार को पूरी रात सभी प्रतिमाएं जल में रहे. बुधवार सुबह मंडप में फिर से गणेश पूजा के साथ अनुष्ठान की शुरुआत होगी. अन्नाधिवास के बाद सभी प्रतिमाओं का औषधिवास और शय्याधिवास अनुष्ठानों का आयोजन किया गया.

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औषधिवास के जरिए प्रतिमाओं का जड़ी-बूटियों से स्नान

औषधिवास में मूर्तियों को औषधीय जड़ी-बूटियों से स्नान कराया जाता है, जो उनकी पवित्रता और दिव्यता को बढ़ाता है. शय्याधिवास में मूर्तियों को विशेष शय्या पर विश्राम कराया जाता है, जो प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है. इन सभी अनुष्ठानों के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार होता रहा.

बिना माचिस या कपूर के प्रज्वलित की गई अग्नि

इस पूरे अनुष्ठान के दौरान अरणी मंथन एक बहुत विशेष प्रक्रिया है. अरणी मंथन में वैदिक परंपरा में जिस प्रकार से अग्नि की स्थापना की जाती है, वैसा ही मंगलवार को भी हवन में अग्निस्थापना की गई. अग्निस्थापना के दौरान किसी प्रकार से माचिस या कपूर का इस्तेमाल नहीं किया गया. 

अरणी मंथन के लिए आचार्य के पास एक विशेष लड़कियों का सांचा

आचार्य जयप्रकाश के शिष्य इस अनुष्ठान में उनकी मदद कर रहे एक आचार्य ने बताया कि अरणी मंथन के लिए गुरु जी के पास विशेष प्रकार की लड़कियों का एक ऐसा सांचा, जिसमें घर्षण के जरिए अग्नि प्रज्ज्वलित होती है. राम मंदिर में हो रही प्राण प्रतिष्ठा के दौरान इसी का इस्तेमाल किया गया.

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