Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर निर्माण कार्य के बारे में जानकारी देते नृपेंद्र मिश्रा.
Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. गुरुवार को राम मंदिर में राजा राम सहित 8 विग्रहों की प्राण-प्रतिष्ठा का तीन दिवसीय अनुष्ठान पूरा हुआ. मंदिर के प्रथम तल पर राजा राम की प्रतिमा स्थापित की गई है. इसका मतलब यह है कि अब अयोध्या राम लला का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को राजा राम का दर्शन भी होगा. राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा का दूसरा अनुष्ठान पूरा होने के बाद NDTV संपूर्ण मंदिर दर्शन करवा रहा है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने NDTV से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में मंदिर का कोना-कोना बताया.
राजस्थान के बंसी पहाड़ से 4.50 लाख क्यूबिक फीट रेड स्टोन का इस्तेमाल
राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि मंदिर निर्माण का कार्य अब पूर्ण हो चुका है. इस पूरे मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़ का करीब 4 लाख 50 हजार क्यूबिक फीट रेड स्टोन का इस्तेमाल किया गया है. प्रथम तल पर राम दरबार की आज प्रतिष्ठा हो गई है.
द्वितीय तल पर किसी प्रतिमा की नहीं होगी स्थापना
उन्होंने यह भी बताया कि द्वितीय तल भी पूर्ण है. अब तक के न्यास के निर्णय के मुताबिक, उस पर कोई मूर्ति स्थापित नहीं होनी है. उसमें रामायण की दुर्लभ पांडुलिपियों को रखा जाएगा. उसके बाद स्वर्ण शिखर पूरा हो गया. साथ ही कहा कि मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है.
मंदिर से दोगुणा परकोटे में लगा पत्थरः नृपेंद्र मिश्रा
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने आगे बताया कि मंदिर का एक किमी का परकोटा है और यह एक तरह से परिक्रमा मार्ग भी है. इस परिक्रमा मार्ग में छह मंदिर है. परकोटे में आठ लाख 50 हजार क्यूबिक पत्थर लगा है. यह मंदिर में लगे पत्थर से दोगुना है.
परिक्रमा पथ का निर्माण कार्य सितंबर तक होगा पूराः नृपेंद्र मिश्रा
उन्होंने बताया कि परिक्रमा मार्ग का निमार्ण कार्य सितंबर तक पूर्ण होगा. उसके साथ ही मंदिर की सुरक्षा, मंदिर के विशेष कार्य जैसे कंट्रोल रूम, दान कक्ष, प्रसाद, कार्यालय , सिक्योरिटी जैसे विभागों को परकोटे में बेसमेंट में रखा गया है.
राम दरबार सहित इन देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हुईं स्थापित
मालूम हो कि गुरुवार को राम मंदिर के प्रथम तल पर जिन देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा की गई, उनमें श्री राम दरबार (केंद्रीय स्थापना), शेषावतार, उत्तर-पूर्व (ईशान) कोने में भगवान शिव, दक्षिण-पूर्व (अग्नि) कोने में भगवान गणेश, दक्षिणी शाखा में भगवान हनुमान, दक्षिण-पश्चिम कोने में सूर्य देव, उत्तर-पश्चिम (वायव्य) कोने में देवी भगवती और उत्तरी शाखा में देवी अन्नपूर्णा शामिल हैं.
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