मायावती के लिए आकाश मजबूरी या ज़रूरी? BSP में वापसी के दो हफ्ते बाद भी रोल पर सस्पेंस

माफी के बाद आकाश आनंद की BSP में वापसी हो गई है. वो भी कुछ शर्तों के साथ. ससुराल से किसी तरह का संबंध नहीं रखने के मायावती ने आदेश दिए हैं. मायावती को लगता है कि भतीजे आकाश आनंद को ससुराल वालों ने बिगाड़ दिया. 

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
आकाश आनंद और मायावती.

Mayawati Politics in UP: मायावती राजनीति अपने हिसाब से करती रही हैं. ये उनका स्टाइल है. BSP में उनके लिए कभी कोई नेता ज़रूरी नहीं रहा. पार्टी के संस्थापक कांशीराम के साथ मिल कर BSP बनाने वालों पर भी रहम नहीं की. नसीमुद्दीन सिद्दीकी से लेकर बाबू सिंह कुशवाहा तक को पार्टी से बाहर करने में मायावती ने एक सेकेंड की देरी नहीं की. लेकिन अब वही मायावती बदल गई हैं. ये भी कह सकते हैं कि हालात ने उन्हें बदल दिया है. अपने समर्थकों के लिए आयरन लेडी रहीं मायावती अब संकट में हैं. मामला परिवार का है. इसीलिए मायावती के लिए जो मजबूरी है, वही उनके लिए ज़रूरी भी है. 

आकाश आनंद को ससुराल वालों ने बिगाड़ दिया

माफी के बाद आकाश आनंद की BSP में वापसी हो गई है. वो भी कुछ शर्तों के साथ. ससुराल से किसी तरह का संबंध नहीं रखने के मायावती ने आदेश दिए हैं. मायावती को लगता है कि भतीजे आकाश आनंद को ससुराल वालों ने बिगाड़ दिया. 

आकाश आनंद के रोल पर अभी तक सस्पेंस

BSP में वापसी तो हो गई है पर आकाश आनंद क्या करेंगे! ये अभी तय नहीं है. मायावती ने नाराज़ होकर 3 मार्च को आकाश को पार्टी से बाहर कर दिया था. पर आकाश की माफ़ी ने 40 दिनों में ही मायावती को फ़ैसला बदलने पर मजबूर कर दिया. आकाश को 13 अप्रैल को ही मायावती ने BSP में ले लिया था. दो हफ़्ते बीत गए. पर पार्टी में आकाश आनंद के रोल पर सस्पेंस बना है. 

Advertisement

अब मायावती आकाश के लिए लोगों से कर रहीं अपील

एक राजनीति वोटों के हिसाब-किताब की है. तो एक राजनीति सुविधा की होती है. समय का फेर हैं कि आकाश आनंद के लिए दोनों का मिलन हो गया. इसीलिए तो मायावती उनके लिए लोगों से अपील कर रही हैं. BSP चीफ़ ने आकाश का हौसला बढ़ाने की अपील की है.

Advertisement

कुछ दिनों पहले आकाश आनंद को मायावती ने खूब सुनाया था

आकाश के विरोधी को बिकाऊ और दलित विरोधी बताया है. कुछ ही दिन पहले तो मायावती ने अपने भतीजे को खूब भला बुरा कहा था. तब मायावती उन्हें सबक सिखाने के मूड में थीं. आकाश की माफ़ी के बावजूद मायावती उन पर भरोसा करने को तैयार नहीं थी. 

Advertisement

क्या आकाश के बिना मायावती का काम नहीं चलने वाला?

मायावती ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर आकाश आनंद का समर्थन किया है. मायावती अब अपने भतीजे के लिए माहौल बना रही है. उन्हें वो फिर से अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी अभी न बनायें. लेकिन वे ये जान गई हैं कि आकाश के बिना उनका काम नहीं चलने वाला है.

Advertisement

यूपी के दलितों में रावण की बढ़ रही लोकप्रियता

पर वे ऐसा कोई संदेश अपनों के बीच नहीं देना चाहती है. उनके सामने चुनौती इस समय अपना कोर वोट बचाने की है. यूपी में नौजवान दलितों में चंद्रशेखर रावण की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. मायावती की रणनीति आकाश को आगे कर चंद्रशेखर को रोकने की है. कांग्रेस की नज़र तो पहले से दलित वोट पर है. 

अखिलेश और बीजेपी भी दलितों के लिए बना रहे रणनीति

PDA के नारे पर सवार अखिलेश यादव ने भी दलित वोट के लिए सारे घोड़े खोल दिए हैं. BJP पहले से ही इस अभियान में जुटी है. ग़ैर जाटव और ग़ैर पासी दलित का झुकाव बीजेपी की तरफ रहा है. पासी समाज मजबूती से समाजवादी पार्टी के साथ है. मसला अब जाटव वोटरों का है. मायावती की यही पूँजी है. इसीलिए तो कड़वा घूँट पीकर भी पार्टी के पुराने लोगों को वापस ला रही हैं. ये नई मायावती हैं.

यह भी पढ़ें - आकाश आनंद का हौसला बढ़ाएं बसपा कार्यकर्ता : मायावती

Featured Video Of The Day
Top News May 20: Vijay Shah | Jyoti Malhotra | Operation Sindoor | Indian Army | India Pakistan News