उत्तर प्रदेश के आगरा में कुछ दिनों पहले COVID-19 संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन आपूर्ति कथित रूप से रोककर मॉक ड्रिल करने संबंधी श्री पारस अस्पताल के मालिक का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस मामले में जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने अस्पताल को सील करने और अस्पताल संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे. खबरों में कहा गया था कि इस घटना में कई लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि जिलाधिकारी ने ऑक्सीजन की कमी से मौत की खबर को गलत बताया था. अब इस मामले में अस्पताल को क्लीन चिट मिल गई है और कहा गया है कि 16 मौतों का संबंध कथित ऑक्सीजन मॉक ड्रिल से नहीं था.
श्री पारस अस्पताल के मामले के तूल पकड़ने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच के आदेश दिए थे. कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में बताया कि 16 मौतों का संबंध कथित ऑक्सीजन मॉक ड्रिल से नहीं था. कमेटी ने कहा कि उन लोगों की मौत इसलिए हुई क्योंकि उनकी हालत काफी नाजुक थी और वे कई बीमारियों से ग्रसित थे.
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कमेटी ने कहा कि 16 में से 14 मरीज अन्य बीमारियों से ग्रसित थे. दो अन्य मरीजों की हालत काफी गंभीर थी. वे चेस्ट इंफेक्शन से जूझ रहे थे. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सभी मरीजों का कोविड प्रोटोकॉल के तहत इलाज चल रहा था और चश्मदीदों से बात करने के बाद पता चला कि किसी भी मरीज की ऑक्सीजन सप्लाई बंद नहीं की गई थी.
कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, जांच अधिकारी ने पाया कि 25 अप्रैल को अस्पताल को 149 ऑक्सीजन सिलेंडर, जिसमें से 20 रिजर्व थे और 26 अप्रैल को 121 सिलेंडर जिसमें से 15 रिजर्व थे, दिए गए थे. समिति ने अस्पताल के मालिक अरिंजय जैन ने उन्हें जो बताया, उसका हवाला देते हुए कहा कि कथित ऑक्सीजन स्टॉक वहां भर्ती मरीजों के लिए पर्याप्त पाया गया.
अस्पताल के मालिक का हवाला देते हुए कमेटी ने कहा, 'ये बिल्कुल झूठ है कि मरीजों की जान गई. ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने से जुड़ी कोई मॉक ड्रिल नहीं की गई. किसी की भी ऑक्सीजन सप्लाई बाधित नहीं की गई और इसका कोई सबूत नहीं है. अफवाह भ्रामक है, नहीं तो 26 अप्रैल की सुबह 7 बजे 22 मौतें हो जातीं.'
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अरिंजय जैन ने कमेटी को बताया कि अस्पताल के ऑक्सीजन थी लेकिन भविष्य में इसकी सप्लाई को लेकर मुद्दा था. ऑक्सीजन असेसमेंट मॉक ड्रिल था. हमने हाइपोक्सिया के लक्षणों और ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल की निगरानी की ताकि यह आकलन किया जा सके कि ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित होने पर कैसे कार्य किया जाए. हमने हर मरीज का आकलन किया और पाया कि 22 मरीजों की हालत काफी नाजुक थी.
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