ऑप्शन ट्रेडिंग में ITM, ATM, OTM क्या होते हैं? जानें

अच्छा तो यह हो कि पहले खुद अच्छे से समझा जाए फिर किसी जानकार के निर्देशन में काम का अभ्यास किया जाए और फिर ऑप्शन ट्रेडिंग में कदम रखा जाए.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

शेयर बाजार में ट्रेडिंग के जरिए जल्द पैसा कमाने के लिए लोग ऑप्शन ट्रेडिंग का सहारा ले रहे हैं. यहां रिस्क भी बहुत ज्यादा है. आंकड़े बताते हैं यहां पर 90 प्रतिशत लोग घाटा ही उठाते हैं. केवल चंद जानकार ही इस ट्रेडिंग के जिरए फायदा उठा पाते है. इसलिए इस प्रकार की ट्रेडिंग में उतरने से पहले काफी अभ्यास करना चाहिए और ठीक से जानकारी लेनी चाहिए. जरूरी हो तो किसी जानकार की सलाह के बाद ही इस प्रकार की ट्रेडिंग में कदम रखना चाहिए. अच्छा तो यह हो कि पहले खुद अच्छे से समझा जाए फिर किसी जानकार के निर्देशन में काम का अभ्यास किया जाए और फिर ऑप्शन ट्रेडिंग में कदम रखा जाए. पिछले कुछ लेखों में हमने ऑप्शन ट्रेडिंग पर काफी बात की है. आज बात आईटीएम (ITM), एटीएम (ATM) और ओटीएम (OTM) की.

जो पैसा ज्यादा लगाएगा वो ज्यादा कमाएगा

सबसे पहले तो यह समझते हैं कि इनका पूरा नाम किया है. ITM यानी In The Money, ATM मतलब At The Money और OTM का अर्थ Out of The Money. कुल मिलाकर ऑप्शन ट्रेडिंग में ITM का मतलब इन द मनी, OTM का मतलब आउट द मनी और ATM का मतलब एट द मनी होता है.

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समझ लें कि शेयर बाजार में ITM, ATM और OTM अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस (Strike Price) के ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट (Option contract) होते हैं जो कॉल (Call) या पुट (Put) कुछ भी हो सकते हैं. कोई भी आईटीएम, एटीएम और ओटीएम पर Call option (CE) भी खरीद सकते हैं और Put option (PE) भी खरीद सकते हैं. इन तीनों ही ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट (option contracts) में प्रीमियम के prices अलग-अलग होते हैं, ऐसा क्यों होता है इसके बारे में हम आगे बात करने वाले हैं.

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ऑप्शन बाइंग और ऑप्शन सेलिंग

सबसे पहले ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में थोड़ी बात कर लेते हैं. ऑप्शन ट्रेडिंग में ऑप्शन बाइंग या फिर ऑप्शन सेलिंग की जाती है. अगर ऑप्शन बाइ किया जाता है तो ऑप्शन बायर कहलाते हैं और अगर ऑप्शन सेल करते हैं तो ऑप्शन सेलर कहलाते हैं. ऑप्शन ट्रेडिंग में ज्यादातर ट्रेडर (करीब 80 फीसदी तक) ऑप्शन बाइंक करते हैं और सिर्फ 20 फीसदी ऑप्शन सेलिंग करते हैं.

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ऑप्शन बायर की संख्या ज्यादा होने का कारण यह है कि ऑप्शन बाइंग कोई भी कर सकता है क्योंकि यह बहुत ही कम पैसों में हो जाती है. वहीं, ऑप्शन सेलिंग में लाखों रुपये की आवश्यकता होती है. यहां एक बात और समझने की है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में 80% पैसा सिर्फ ऑप्शन सेलर कमाते हैं जबकि सिर्फ 20 प्रतिशत ऑप्शन बायर ही पैसा कमाते हैं. जाहिर सी बात है जो ज्यादा पैसा लगाएगा वो ज्यादा पैसा कमाएगा.

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एक का नुकसान दूसरे का फायदा

ऑप्शन बायर और ऑप्शन सेलर की सोच एक दूसरे से बिल्कुल जुदा होती है. ऑप्शन ट्रेडिंग में एक ट्रेडर का केवल तभी फायदा होगा जब दूसरे का नुकसान होगा. यहां यह समझ लें कि जहां ज्यादा फायदा है वहां पर ज्यादा रिस्क भी है. यहां पर नुकसान भी बड़ा होता है. यानी option buying हो या option selling दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं.

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एक और जरूरी बात जब बाजार ऊपर जाता है तो call option यानी CE खरीदने पर फायदा होता है और अगर मार्केट नीचे जाता है तो put option PE खरीदने पर फायदा होता है. वहीं, option selling में इसका बिल्कुल उल्टा होता है. यदि मार्केट ऊपर जाएगी तो PE को sell करेंगे और यदि लगता है कि मार्केट नीचे जाएगा CE को sell करेंगे.

अब हम वापस ITM, ATM, OTM को समझते हैं.

एक उधाहरण के तौर पर यहां समझें. मानें कि अभी बैंकनिफ्टी 42000 पर चल रहा है मतलब banknifty का spot price 42000 है. तो यहां से सिर्फ दो चीजें हो सकती हैं या तो banknifty ऊपर जाएगा या फिर banknifty नीचे जाएगा. अगर बैंकनिफ्टी ऊपर जाएगा तो कॉल ऑप्शन यानी CE खरीदेंगे. कोई भी ब्रोकर ऐप जिसका ट्रेडर इस्तेमाल करते हैं वहां पर F&O वाले सेक्शन में जाकर ‘BANKNIFTY 42000 CE' टाइप किया जा सकता है. नीचे banknifty 42000 के सभी कॉल ऑप्शन (CE) मिलेंगे. साथ ही इसकी expiry भी दिखेगी. इस कॉल ऑप्शन पर देखना होगा कि कितना प्रीमियम है. अमूमन देखा जाता है कि कोई यहां बैंकनिफ्टी के करंट प्राइस (42000) से ऊपर (OTM पर) जाते हैं तो प्रीमियम के प्राइस कम होते जाते हैं और नीचे (ITM पर) जाने पर प्रीमियम के प्राइस बढ़ते जाते हैं.

अगर banknifty 42000 पर चल रहा है तो यह ATM यानी AT THE MONEY ऑप्शन है, 42000 से नीचे (41900, 41800, 41700….) जितने भी ऑप्शन होंगे वे सभी ITM यानी IN THE MONEY ऑप्शन कहलाएंगे. और 42000 से ऊपर (42100, 42200, 42300….) जितने भी ऑप्शन होंगे वे सभी OTM यानी OUT THE MONEY ऑप्शन कहलाएंगे.

अब समझ गए होंगे कि NIFTY, BANKNIFTY या किसी स्टॉक का करंट स्ट्राइक प्राइस होता है वह एटीएम (ATM) कहलाता है, उससे नीचे के सभी स्ट्राइक प्राइस आईटीएम (ITM) और उससे ऊपर के सभी स्ट्राइक प्राइस ओटीएम (OTM) कहलाते हैं.

लॉट में होता है ट्रेड

एक और जरूरी बात. जब ऑप्शन ट्रेडिंग की जाती है तो Lot में शेयर खरीदने पड़ते हैं जैसे– बैंक निफ्टी का एक lot 25 का होता है. यानी किसी को ट्रेड लेना है तो कम से कम 1 लॉट यानी 25 यूनिट खरीदनी होगी. वहीं, Nifty का 1 लॉट में 50 यूनिट का होता है. यानी निफ्टी में ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए कम से कम 50 यूनिट खरीदना होगा .

मतलब साफ है कि Banknifty का 42000 का ATM कॉल ऑप्शन 269 रुपये का है तो इसे खरीदने के लिए 269×25 = 6725 रुपये देने होंगे. एक बार फिर बता दें कि ऑप्शन ट्रेडिंग में जितना ज्यादा पैसा लगाएंगे उसमें Risk और Reward दोनों ही उतने ही ज्यादा होंगे.

प्रीमियम को समझ लें

अगर प्रीमियम की बात की जाए तो ITM में सबसे ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है, ATM में इससे कम और OTM खरीदने के लिए सबसे कम पैसा देना पड़ता है. यह भी जान लें कि सबसे अधिक रिस्क ITM में होता है, उससे कम ATM में और सबसे कम रिस्क OTM में होता है. सबसे अधिक रिवॉर्ड ITM में होता है. उससे कम ATM में और सबसे कम मुनाफा OTM में मिलता है.

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