करोड़पति बनने का फॉर्मूला जल्दी समझें, फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए जरूरी

14 मार्च 1989 में जर्मनी में जन्में अल्बर्ट आइंस्टीन ने फिजिक्स से जुड़े नियम प्रतिपादित किए थे. लेकिन, इस साइंटिस्ट ने भी बिजनेस और पैसे कमाने की दुनिया के सबसे शक्तिशाली मंत्र पावर ऑप कंपाउंडिंग (Power of Compounding) को समझा और माना था.

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करोड़पति बनने का फॉर्मूला जल्दी समझें, फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए जरूरी
नई दिल्ली:

पावर ऑफ कंपाउंडिंग से बनते हैं करोड़पति जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने अजूबा कहा था... अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) का नाम तो लगभग सभी ने सुना है. अल्बर्ट आइंस्टीन का नाम आते हैं सभी को नोबल पुरस्कार (Albert Einstein Nobel prize), साइंटिस्ट, आविष्कार, रिलेटीविटी (Albert Einstein relativity Theory) आदि की बातें दिमाग में आने लगती है. 14 मार्च 1989 में जर्मनी में जन्में अल्बर्ट आइंस्टीन ने फिजिक्स से जुड़े नियम प्रतिपादित किए थे. लेकिन, इस साइंटिस्ट ने भी बिजनेस और पैसे कमाने की दुनिया के सबसे शक्तिशाली मंत्र पावर ऑप कंपाउंडिंग (Power of Compounding) को समझा और माना था. अल्बर्ट आइंस्टीन ने पावर ऑफ कंपाउंडिंग (Earning Money formula) को दुनिया का आठवां अजूबा तक कह डाला था. बिजनेस, इंवेस्टमेंट और निवेश की दुनिया भी इसी मंत्र के बेहतर समझ के साथ ही भविष्य की राह पर चलती है और कोई भी मालामाल व्यक्ति इसकी शानदार समझ के बिना अधूरा ही रहा है. 
यह वह फॉर्मूला है जिस यदि 15-20 साल की उम्र में किसी ने समझ लिया तो यह गारंटी है कि वह 40 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते वित्तीय आजादी (How to get financial independence) की मंजिल पर होगा और अपने बाकी जीवन को बिना किसी चिंता और परेशानी के सुकून के साथ व्यतीत कर लेगा. 

पावर ऑफ कंपाउंडिंग (Power of Compounding)
कंपाउंडिंग इंटरेस्ट (Compounding interest) के बारे में आइंस्टीन ने कहा था कि यह दुनिया का आठवां अजूबा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा था जो भी पावर ऑफ कंपाउंडिंग को जानता है वो कमाता है और जो नहीं जानता वो चुकाता है (दूसरे शब्दों में वह गंवाता है). यहां यह उल्लेख करना भी उचित होगा कि कुछ लोगों के अल्बर्ट आइंस्टीन के इस प्रकार के बयान पर शक रहा है और वे यह स्वीकार नहीं करते हैं कि आइंस्टीन ने ऐसा कोई बयान दिया है. लेकिन बिजनेस और निवेश की दुनिया में यह कहा जाता है कि आइंस्टीन ने ऐसा कहा था.

इसके साथ ही आपको यह बात बता दें कि उस दौर में दुनिया में अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग को ही दुनिया का अजूबा समझा जाता है. लोग उनके दिमाग की तीव्रता पर यकीन नहीं कर पाते थे. उनके व्यवहार, ज्ञान, धर्म और समाज की समझ एक अव्वल दर्जे की थी जिसे उस जमाने में समझ पाना और आत्मसात कर पाना संभव नहीं था. हालात कुछ यूं थे कि उनकी मृत्यु के बाद पोस्टमॉर्टम कर डॉक्टर ने बिना परिवार को बताए और उनकी रजामंदी लिए उनके दिमाग को निकाल लिया था. वो दिमाग एक अजूबा था और इस अजूबा वाले दिमाग ने पावर ऑफ कंपाउंडिंग को समझा था और लोगों को समझाने का प्रयास किया था. 

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जैसा कि समाज चलता है, लोग वैसे ही चले. लेकिन बात पैसे कमाने की हो रही है और जिसे पैसा कमाना और बढ़ाना आता है वह इसे जान लें और समझ लें. पावर ऑफ कंपाउंडिंग के बिना कोई भी आदमी साधारण स्थिति से करोड़पति नहीं बन सकता.

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आइए कुछ आंकड़ों से आपको समझाते हैं कि पावर ऑफ कंपाउंडिंग क्या है (What is power of Compounding) और यह साधारण ब्याज की प्रणाली से कैसे बेहतर (How compound interest is better than simple interest) है. 
यदि हम एक लाख रुपये का निवेश करते हैं. ब्याज दर 15 प्रतिशत सालाना मिलता है और यह 35 वर्ष के लिए लगाया गया है. इस सूरत में इस ब्याज दर के साथ 35 साल बाद 6,25,000 रुपये जमाकर्ता को हासिल होगा. वहीं यही पैसा इतने ही समय के लिए इसी ब्याज दर से कंपाउंड इंटरेस्ट के माध्यम से निवेश किया जाएगा तो क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना पैसा मिलेगा... 35 साल बाद निवेशक को 1,33,17,552.34  रुपये वापस मिलेंगे. यानि आप अंतर देख सकते हैं. बस यह आंकड़ा अपने आप में कहने को बहुत कुछ है. हां, यह बात जरूर ध्यान में रखें कि यह फॉर्मूला जादुई तभी है जब लंबे समय के लिए निवेश किया जाए क्योंकि आरंभ के 5-10 साल में आपको ज्यादा अंतर नहीं दिखेगा लेकिन बाद के सालों में अंतर इतना हो जाता है कि किसी चमत्कार से कम नहीं. यहां पर आप रकम और समय डालकर खुद देख सकते हैं. 

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