PMC Bank के ग्राहकों को निराशा! पहले चरण में नहीं मिलेगा 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर

PMC Bank : नवंबर अंत तक पीएमसी बैंक के चिंतित ग्राहकों को पहले चरण में पांच लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलना था, जो अब नहीं मिलेगा. इसकी वजह है कि यह बैंक अभी समाधान प्रक्रिया में है.

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PMC Bank के ग्राहकों को नहीं मिलेगा पहले चरण में बीमा कवर का पैसा.
नई दिल्ली:

2019 में वित्तीय गड़बड़ियां सामने आने के बाद पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) अपने ग्राहकों के लिए बुरी खबरों का सबब बना हुआ है. अपने खुद के पैसों के लिए जूझ रहे लोगों को बीमा कवर के रूप में राहत की उम्मीद है, हालांकि, पहले चरण की प्रक्रिया को लेकर फिर से बुरी खबर है. दरअसल, पीमएमसी बैंक के ग्राहकों को पहले चरण में पांच लाख रुपये तक का बीमा कवर नहीं मिलेगा. नवंबर अंत तक पीएमसी बैंक के चिंतित ग्राहकों को पहले चरण में पांच लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलना था, जो अब नहीं मिलेगा. इसकी वजह है कि यह बैंक अभी समाधान प्रक्रिया में है.

जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) पहली खेप में पीएमसी बैंक को छोड़ कर समाधान प्रक्रिया से गुजर रहे 20 बैंकों के ग्राहकों को भुगतान करेगा. पहले चरण में भुगतान के लिए 90 दिनों की अनिवार्य अवधि 30 नवंबर को समाप्त होगी. इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जून में सेंट्रम फाइनेंशियल सर्विसेज और वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र की स्टार्टअप BharatPay के गठजोड़ को संकट में फंसे पीएमसी बैंक के अधिग्रहण की अनुमति दी थी.

इस अधिग्रहण का रास्ता साफ करते हुए रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में वित्तीय सेवा कंपनी के गठजोड़ को लघु वित्त बैंक का लाइसेंस दिया था. डीआईसीजीसी ने हाल में कहा था कि जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (संशोधन) अधिनियम, 2021 की धारा 18 ए (7) (ए) के प्रावधानों को लागू करने की आवश्यकता हो सकती है. इन प्रावधानों के तहत यदि कोई बैंक समाधान प्रक्रिया के अधीन है, तो पांच लाख रुपये के भुगतान की अवधि को 90 दिनों के लिए और बढ़ाया जा सकता है.

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बीमा कवर को लेकर सरकार लाई थी संशोधित पॉलिसी

पिछले कुछ सालों में PMC सहित कई अन्य बैंकों पर अनियमितताओं के आरोपों के चलते बैंक ग्राहकों का पैसा बैंक में फंसा है. ऐसे में डिपॉजिटर्स के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने जुलाई में पहले से मौजूद कानून DICGC में एक नया संशोधन किया था, जिसके तहत यह सुनिश्चित होगा कि एक तय अवधि में ग्राहकों को उनका फंसा हुआ बीमा का पैसा मिल जाए. DICGC बिल में इस संशोधन के तहत अगर कोई बैंक मोरेटोरियम में चला जाता है, यानी डूबने की स्थिति में आ जाता है या फिर किसी वित्तीय दबाव में आ जाता है तो यह नया कानून लागू हो जाएगा. पहले 45 दिनों में बैंक को बीमा कंपनी को सबकुछ हैंडओवर करना होगा. इसके बाद 90 दिनों में डिपॉजिटर्स को उनके बीमा का पैसा मिल जाएगा, चाहे तब तक बैंक की समस्या का हल निकला हो या नहीं.

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Video : अबतक नहीं मिला है कोई समाधान, खुद के पैसों के लिए तरस रहे हैं लोग

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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