OPS, NPS और अब UPS: देश में कैसे-कैसे पेंशन स्कीम बदलता गया? किसमें कितना फायदा? जानें सब कुछ

UPS vs NPS vs OPS: हर स्कीम के अपने फायदे और नुकसान हैं इसलिए,किसी भी स्कीम को चुनने से पहले आपको अपनी आवश्यकताओं और वित्तीय स्थिति का ध्यान रखना चाहिए.कौन सी स्कीम बेहतर है यह व्यक्तिगत जरूरतों पर निर्भर करता है.

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Best pension schemes in india: किसी भी स्कीम में निवेश करने से पहले उसके नियमों को ध्यान से पढ़ें
नई दिल्ली:

भारत में पेंशन स्कीमों (Pension Schemes) में समय के साथ कई बदलाव किए गए हैं. भारत सरकार ने कर्मचारियों (Government Employees) की रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक सुरक्षा के लिए पहले पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू की थी.लेकिन  बदलते समय के साथ सरकार ने इसे बंद कर दिया और उसकी जगह नई पेंशन योजना (NPS) शुरू की.NPS को लेकर लंबे समय से विरोध चल रहा था और कर्मचारी पुरानी योजना वापस लाने की मांग कर रहे थे. हालांकि, सरकार ने पुरानी योजना को बहाल नहीं किया, बल्कि इसी मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक नई योजना, यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) शुरू की है.

पेंशन स्कीमों में ये बदलाव आर्थिक परिस्थितियों, सरकार की नीतियों और कर्मचारियों की मांगों के आधार पर हुए हैं. आइए इन बदलावों को विस्तार से समझते हैं.

पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme)

OPS सबसे पुरानी योजना थी जिसमें कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का एक निश्चित हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता था. यह योजना कर्मचारियों के बीच काफी लोकप्रिय थी क्योंकि इसमें पेंशन की राशि निश्चित होती थी और महंगाई भत्ते के साथ बढ़ती रहती थी.

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नई पेंशन योजना (National Pension Scheme)

यह OPS की जगह लाई गई योजना है. इसमें कर्मचारी और सरकार दोनों पैसे जमा करते हैं और रिटायरमेंट के बाद इस पैसे से पेंशन मिलती है. NPS में पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती है, बल्कि बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार बदलती रहती है. इसमें पेंशन की राशि निश्चित नहीं होने के कारण, रिटायरमेंट के बाद आय की अनिश्चितता रहती है. जो कई कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय है.

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NPS को अधिक पारदर्शी और लचीला माना जाता है. इसमें निवेश के विकल्प भी होते हैं जिससे रिटायरमेंट के बाद पेंशन की राशि बढ़ सकती है. 

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यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme)

NPS में आई कुछ कमियों को दूर करने के लिए सरकार ने UPS लॉन्च की.इसे  1 अप्रैल, 2025 से लागू किया जाएगा. NPS को लेकर कर्मचारियों में काफी असंतोष था.उन्हें OPS जैसी निश्चित पेंशन चाहिए थी. इसीलिए सरकार ने UPS लाई.UPS में OPS और NPS दोनों के फायदे हैं. इस योजना में OPS की तरह ही पेंशन की राशि निश्चित होगी और महंगाई भत्ते के साथ बढ़ती रहेगी. साथ ही, रिटायरमेंट के बाद परिवार को भी पेंशन मिलेगी.  इसमें पेंशन की राशि निश्चित होगी, लेकिन साथ ही इसमें निवेश के माध्यम से भी रिटर्न मिलने की संभावना होगी.

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Pension Scheme में क्यों हुए ये बदलाव?

आर्थिक दबाव: बढ़ती जनसंख्या और महंगाई के कारण सरकार पर पेंशन का बोझ बढ़ता जा रहा था. OPS के तहत पेंशन की राशि निश्चित होने के कारण सरकार को भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ रहा था. सरकार ने इसे इस आधार पर समाप्त किया कि यह योजना वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं है और आने वाली पीढ़ियों के लिए बोझ बन सकती है. OPS की जगह NPS लाई गई ताकि पेंशन का बोझ सरकार पर कम हो सके.

निवेश और जोखिम: NPS के माध्यम से सरकार चाहती थी कि कर्मचारी भी अपने रिटायरमेंट के लिए बचत करें और बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार लाभ भी प्राप्त करें. NPS में निवेश के माध्यम से बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना होती है

कर्मचारियों की मांग: कई कर्मचारी OPS को वापस लाने की मांग कर रहे थे क्योंकि NPS में पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती थी.

UPS vs NPS vs OPS: कौन सी स्कीम बेहतर है?

हर स्कीम के अपने फायदे और नुकसान हैं इसलिए, किसी भी स्कीम को चुनने से पहले आपको अपनी आवश्यकताओं और वित्तीय स्थिति का ध्यान रखना चाहिए.कौन सी स्कीम बेहतर है यह व्यक्तिगत जरूरतों पर निर्भर करता है.

OPS: यदि आप एक निश्चित पेंशन चाहते हैं और जोखिम लेने से बचना चाहते हैं, तो OPS आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है.
NPS: यदि आप थोड़ा जोखिम लेने को तैयार हैं और बाजार से अच्छा रिटर्न चाहते हैं, तो NPS भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
UPS: यदि आप OPS की निश्चित पेंशन और NPS के निवेश के फायदे दोनों चाहते हैं, तो UPS आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है.

पेंशन स्कीमों में हुए बदलावों से यह स्पष्ट है कि सरकार रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.


 

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