New Labour Code 2025: सैलरी, ग्रेच्युटी से लेकर काम के घंटे तक, नए लेबर कोड में हुए ये 10 बड़े बदलाव, हर कर्मचारी के लिए ये जानना है बेहद जरूरी

New Labour Codes In India: नए नियमों के मुताबिक, रोज का काम 8 से 12 घंटे के बीच होगा लेकिन हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकेगा. अगर कोई कर्मचारी तय समय से ज्यादा काम करता है तो उसे सामान्य वेतन से कम से कम दोगुना ओवरटाइम मिलेगा.

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India's New Labour Codes: नया लेबर कोड नौकरी के तरीके को पूरी तरह बदल देगा. कुछ बदलाव तुरंत राहत देंगे तो कुछ का फायदा लंबे समय में मिलेगा.
नई दिल्ली:

New Labour Laws Explained:नौकरी करने वाले हर व्यक्ति के लिए यह खबर बेहद जरूरी है. सरकार चार नए लेबर कोड लागू करने की तैयारी तेज कर चुकी है. इन नियमों के लागू होने से सैलरी स्ट्रक्चर, पीएफ, ग्रेच्युटी, काम के घंटे, नाइट शिफ्ट और जॉब सिक्योरिटी  से जुड़े कई नियम बदल जाएंगे. इसका असर सिर्फ प्राइवेट सेक्टर और ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों पर ही नहीं बल्कि कॉन्ट्रैक्ट और गिग वर्कर्स पर भी पड़ेगा. आइए जानते हैं नए लेबर कोड के तहत हुए उन 10 बड़े बदलावों के बारे में जो हर कर्मचारियों को जरूर पता होना चाहिए.

  1. नए लेबर कोड में सैलरी स्ट्रक्चर (New Labour Codes Salary Structure)  में बड़ा बदलाव होगा. नए वेज कोड के मुताबिक,अब कर्मचारी की बेसिक सैलरी और अलायंस मिलाकर कुल वेतन का कम से कम 50 फीसदी होना जरूरी होगा. इससे पीएफ और ग्रेच्युटी की कैलकुलेशन रीस्ट्रक्चर हो सकती है. इसका मतलब यह है कि कुछ कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी थोड़ी कम हो सकती है  लेकिन रिटायरमेंट के लिए फ्यूचर सेविंग ज्यादा मजबूत होगी. हालांकि लेबर मिनिस्ट्री का कहना है जब तक पीएफ 15,000 की लिमिट पर कटेगा  और टेक होम सैलरी कम नहीं होगी.
  2. पहले न्यूनतम वेतन अलग अलग सेक्टर और राज्यों में अलग होता था. अब सरकार एक नेशनल फ्लोर वेतन तय करेगी जिसे सभी राज्यों को मानना होगा. इससे कम सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को सीधा फायदा मिलने की उम्मीद है.
  3. अब सैलरी पेमेंट में देरी नहीं हो सकेगी. रोज काम करने वालों को शिफ्ट खत्म होते ही पैसा देना होगा. साप्ताहिक कर्मचारियों को छुट्टी से पहले और मंथली सैलरी अगले महीने के सात दिन के अंदर देना जरूरी होगा. नौकरी छोड़ने या निकालने पर दो दिन के अंदर पूरा पेमेंट करना होगा.
  4. नए लेबर कोड्स (New Labour Codes) के तहत  कंपनी को हर कर्मचारी को सैलरी स्लिप देना अनिवार्य होगा. यह स्लिप डिजिटल या कागज दोनों रूप में हो सकती है. इससे कर्मचारियों के पास नौकरी और सैलरी का पूरा रिकॉर्ड रहेगा.इससे कर्मचारियों को यह भी साफ पता चलेगा कि उनकी सैलरी का कितना हिस्सा  PF और ग्रेच्युटी के लिए काटा रहा है. इसमें ओवरटाइम और लीव एनकैशमेंट जैसे फायदे भी शामिल जाएंगे. 
  5. ग्रेच्युटी नियम में बड़ा बदलाव हो रहा है.अब सिर्फ स्थायी कर्मचारी ही नहीं बल्कि फिक्स्ड टर्म कर्मचारी भी ग्रेच्युटी के हकदार होंगे. एक साल लगातार काम करने पर ग्रेच्युटी मिलेगी. पहले इसके लिए पांच साल की नौकरी जरूरी थी.
  6. अब 20 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाली हर कंपनी पर PF (Provident Fund) लागू होगा. ESIC (Employee State Insurance Corporation)  की सुविधा पूरे देश में मिलेगी. साथ ही, फिक्स्ड-टर्म और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को भी इन कानूनों के तहत औपचारिक रूप से सुरक्षा मिलेगी. इससे हेल्थ कवर ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा.
  7. पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को कानूनी पहचान दी गई है. इनके लिए सोशल सिक्योरिटी फंड बनेगा. कंपनियों को इनके लिए अपने टर्नओवर का एक हिस्सा देना होगा.
  8. 300 तक कर्मचारियों वाली फैक्ट्री को अब सरकार से अनुमति लिए बिना छंटनी या बंद करने की छूट मिलेगी. कंपनियां इसे लचीलापन मानती हैं जबकि यूनियन इसे नौकरी की सुरक्षा के लिए खतरा बता रही हैं.अब हड़ताल से पहले नोटिस देना जरूरी होगा. अचानक सामूहिक छुट्टी को भी हड़ताल माना जाएगा. साथ ही जिस यूनियन के पास ज्यादा सदस्य होंगे वही बातचीत की जिम्मेदारी संभालेगी.
  9. नए लेबल लॉ  में कर्मचारियों के लिए  8 घंटे का वर्किंग डे और 48 घंटे का वर्किंग वीक तय किया गया है. लेबर मंत्रालय ने साफ कहा है चाहे आप पांच दिन काम करें या चार दिन हफ्ते में काम के कुल घंटे अब भी 48 ही रहेंगे.अगर कोई कर्मचारी चार दिन काम करता है तो एक दिन में उसका काम का समय 12 घंटे तक हो सकता है. इसमें काम के बीच मिलने वाला ब्रेक भी शामिल होता है.इससे ज्यादा काम को ओवरटाइम माना जाएगा.कर्मचारियों को ओवरटाइम का पेमेंट भी दोगुना मिलना चाहिए.
  10. अब हर कर्मचारी को लिखित अपॉइंटमेंट लेटर, देना जरूरी होगा.अब कंपनी को  अपॉइंटमेंट लेटर में सैलरी ब्रेकअप, काम के घंटे, छुट्टियां और सोशल सिक्योरिटी से जुड़े अधिकार साफ-साफ लिखना जरूरी होगा.  अपॉइंटमेंट लेटर में साफ लिखा होगा कि लीव पॉलिसी में छुट्टियां कितनी मिलेंगी, कैसे जुड़ेंगी, आगे कैरी होंगी या एनकैश होंगी. जिससे अब नौकरी बदलते समय या रिटायरमेंट के वक्त छुट्टियों के सेटलमेंट की दिक्कतें कम हो जाएंगी.साथ ही कंपनियों को हर साल मुफ्त हेल्थ चेकअप करानी होगी. बड़े संस्थानों में सेफ्टी कमेटी भी बनानी होगी.

नया लेबर कोड नौकरी के तरीके को पूरी तरह बदल देगा. कुछ बदलाव तुरंत राहत देंगे तो कुछ का फायदा लंबे समय में मिलेगा. सैलरी स्ट्रक्चर, पीएफ, ग्रेच्युटी और काम के घंटे समझना अब हर कर्मचारी के लिए जरूरी हो गया है.

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