ITR Filing 2025: अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न के नए नियम! जानें यह रिवाइज्ड और बिलेटेड रिटर्न से कैसे है अलग

ITR Filing Rules 2025: अब टैक्सपेयर्स असेसमेंट ईयर के खत्म होने के 48 महीने तक एडिशनल टैक्स देकर अपना अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकेंगे. पहले ये समय सीमा 24 महीने की थी.

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Income Tax Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2025 भाषण में कहा था कि अपडेटेड रिटर्न की पहल पारदर्शिता और अनुपालन को बढ़ावा देती है.
नई दिल्ली:

New Rules for Updated ITR Filing 2025: बजट 2025 में इनकम टैक्स से जुड़े कई नियमों में बदलाव किया गया. जिसके मुताबिक, अब टैक्सपेयर्स असेसमेंट ईयर के खत्म होने के 48 महीने तक एडिशनल टैक्स देकर अपना अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकेंगे. पहले ये समय सीमा 24 महीने की थी. इस कदम से टैक्सपेयर्स को अपने ITR में की गई गलतियों को सुधारने या जानकारी जोड़ने के लिए ज्यादा समय मिल सकेगा. लेकिन अपडेटेड रिटर्न आखिर होता क्या है, यह रिवाइज्ड और बिलेटेड रिटर्न से कैसे अलग होता है चलिए आपको बताते हैं.

रिवाइज्ड रिटर्न (Revised Return)

अगर आपने अपना टैक्स रिटर्न पहले ही फाइल कर दिया है, लेकिन बाद में उसमें गलतियां, चूक या दी गई जानकारी गलत पाई गई, तो आप दी गई समय सीमा के भीतर रिटर्न को संशोधित यानी रिवाइज कर सकते हैं.यह रिटर्न संबंधित असेसमेंट ईयर की समाप्ति से तीन महीने पहले फाइल किया जा सकता है. इसका मतलब है कि असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए, समय सीमा 31 दिसंबर, 2025 होगी, क्योंकि असेसमेंट ईयर 31 मार्च, 2026 को समाप्त होगा.

चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए कि आपने 31 जुलाई, 2025 तक अपना ओरिजनल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया, और बाद में आपको एहसास हुआ कि आप उसमें ब्याज से होने वाली इनकम को शामिल करना भूल गए हैं या डिडक्शन क्लेम करना भूल गए हैं, तो आप इन गलतियों को सुधारने के लिए 31 दिसंबर, 2025 तक रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं.

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रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने पर चुकाना होगा ज्यादा टैक्स

संशोधित रिटर्न यानी रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने से पहले, टैक्सपेयर को यह सुनिश्चित करना होगा कि ओरिजनल रिटर्न वेरिफाई किया गया हो. अच्छी बात ये हैं कि ओरिजनल रिटर्न को रिवाइज करने के लिए कोई एडिशनल फीस नहीं देनी होती है.लेकिन, आपके टैक्स रिटर्न को संशोधित करते समय ब्याज से होने वाली इनकम जोड़ने पर टैक्स लायबिलिटी बढ़ जाती है, तो आपको ज्यादा टैक्स चुकाना होगा. अच्छी बात ये है कि आप अपनी जरूरत के मुताबिक कई बार रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं.

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बिलेटेड रिटर्न (Belated Returns)

किसी इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए, फाइनेंशियल ईयर के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की ड्यू डेट अगले साल की 31 जुलाई होती है. यानी, फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न फाइल करने की ड्यू डेट 31 जुलाई, 2025 होगी (जो असेसमेंट ईयर 2025-26 में आती है).

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हालांकि, जो लोग इस समय सीमा में रिटर्न फाइल करने से चूक जाते हैं, वे उस असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर तक सेक्शन 139(4) के तहत बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकते हैं. यानी, असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए 31 जुलाई, 2025 के बाद, लेकिन 31 दिसंबर, 2025 से पहले फाइल किया गया कोई भी रिटर्न बिलेटेड रिटर्न माना जाएगा.

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बिलेटेड रिटर्न फाइल करने पर इतना जुर्माना

बिलेटेड रिटर्न फाइल करने के लिए, आपको फाइल करने की तारीख तक अनपेड टैक्स का एक फीसदी ब्याज और जुर्माना देना पड़ सकता है. सेक्शन 234F के मुताबिक, यदि नियत तारीख (due date) के बाद रिटर्न फाइल किया जाता है, तो 5,000 रुपये की लेट फाइलिंग फीस का भुगतान करना होगा. हालांकि, लेट फाइलिंग फीस का अमाउंट सिर्फ 1,000 रुपये होगा अगर व्यक्ति की कुल इनकम  5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है.

अगर आप अपनी मर्जी से समय सीमा के बाद भी अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं तो कोई लेट फीस नहीं वसूली जाएगी, बशर्ते कि आप रिटर्न फाइल करने के लिए बाध्य न हों. उदाहरण के तौर पर, फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत, मूल छूट सीमा से कम इनकम वाले व्यक्तियों - 2.5 लाख रुपये (60 साल से कम), 3 लाख रुपये (60-80 साल), और 5 लाख रुपये (80 साल से अधिक) को आयकर रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है.

अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (Updated income tax Return)

2022 में शुरू की गई अपडेटेड रिटर्न की सुविधा, टैक्सपेयर्स को ओरिजनल या बिलेटेड रिटर्न में किसी भी गलती या चूक को स्वेच्छा से ठीक करने की इजाजत देती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2025 भाषण में कहा था कि यह पहल पारदर्शिता और अनुपालन को बढ़ावा देती है, और इसका असर भी साफ नजर आता है. लगभग 90 लाख करदाताओं ने अपनी इनकम को अपडेट करने और अतिरिक्त करों का भुगतान करने के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल किया है.

ध्यान दें कि ओरिजनल, रिवाइज्ड या बिलेटेड रिटर्न फाइल करने की समय सीमा समाप्त होने के बाद ही अपडेटेड रिटर्न जमा किया जा सकता है. एक्सपर्ट की मानें तो अपडेटेड रिटर्न फाइल करने का मकसद एडिशनल इनकम डिक्लेयर करना और इसके चलते एडिशनल टैक्स का भुगतान करना होता है. अपडेटेड रिटर्न को एक बार फाइल करने के बाद संशोधित नहीं किया जा सकता है.

आप कुछ चीजों के लिए अपडेटेड रिटर्न फाइल नहीं कर सकते. जैसे आप नुकसान का दावा करने या रिफंड बढ़ाने के लिए अपडेटेड रिटर्न फाइल नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा, अपडेटेड रिटर्न फाइल करने से आपकी टैक्स लायबिलिटी में कमी नहीं होनी चाहिए.यदि कोई टैक्सपेयर 31 दिसंबर की समय सीमा से चूक जाता है, तो वह रेलिवेंट असेसमेंट ईयर के अंत से दो साल की अवधि तक सेक्शन  S 139(8A) के तहत अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है. बजट 2025 में दो साल की इस समय अवधि को अब चार साल तक बढ़ा दिया गया है.  

अपडेटेड रिटर्न पर एडिशनल टैक्स

अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की सुविधा कुछ शर्तों के साथ आती है. इस सुविधा का फायदा उठाते समय, आपको डिक्लेयर किए गए एडिशनल टैक्स (Additional tax on updated returns) का कुछ फीसदी भुगतान करना होता है, जो समय सीमा के आधार पर अलग-अलग होता है. अगर आप असेसमेंट ईयर के खत्म होने के 12 महीनों के भीतर अपडेटेड रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपको 25 फीसदी एडिशनल टैक्स का भुगतान करना होगा. यदि 24 महीनों के भीतर दाखिल किया जाता है तो यह प्रतिशत बढ़कर 50 फीसदी हो जाता है, 36 महीनों के भीतर 60 फीसदी और असेसमेंट ईयर के अंत के 48 महीनों के भीतर 70 फीसदी हो जाता है.
 

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