जल्दी पैसा बढ़ाना तो कहां करें निवेश, Liquid funds या Bank fixed deposits FDs, समझें यहां

अगर कोई तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का माना जाता है, लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड (Debt Funds) में निवेश कर सकते हैं.

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डेट फंड में निवेश शॉर्ट टर्म के लिए ठीक होता है... समझे यहां..
नई दिल्ली:

पैसे से पैसा कमाना कौन नहीं चाहता. फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) होनी चाहिए और इसके तहत हर आदमी को जरूरतों और रिस्क फैक्टर (Risk Factors) को ध्यान रखते हुए निवेश करना चाहिए. अच्छा यही है कि किसी जानकार की सलाह पर ही निवेश किया जाए. ज्यादातर वित्तीय सलाहकार कम रिस्क लेने वाले लोगों को डेट उत्पादों पर निवेश की सलाह देते हैं. बाजार में शेयरों में निवेश जोखिमभरा होता है. अगर कोई तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का माना जाता है, लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड (Debt Funds) में निवेश कर सकते हैं. डेट फंड में निवेश कम जोखिम वाला होता है और यह बाजार को उतार-चढ़ाव में भी संभल जाता है. अभी तक यह पाया गया है कि एफडी से ज्यादा रिटर्न डेट म्यूचुअल फंड में निवेश ने दिया है. डेट फंड छोटी अवधि का निवेश माना जाता है.

बैंक में एफडी भी डेट फंड के तहत ही आती है. जो निवेशक जरा भी रिस्क लेने के पक्ष में नहीं है उसे इस फंड में निवेश करना चाहिए अन्यथा बाजार से जुड़े डेट फंड एक अच्छा विकल्प है जो एफडी से ज्यादा रिटर्न देता रहा है. यह अभी तक देखा गया है. बाजार से जुड़ा है रिस्क है. इसलिए जानकारों की सलाह पर ही निवेश करने की राय दी जाती है.  

जैसा का नाम से साफ हो जाता है ये काफी सुरक्षित म्यूचुअल फंड हैं क्योंकि ये फिक्स इंकम वाली सीक्युरिटी में निवेश होता है और यह 91 दिनों या फिर 3 महीनों में परिपक्व हो जाता है. इसमें ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर, सरकारी बॉन्ड, सरकारी सीक्युरिटी और डिबेंचर में  निवेश किया जाता है. 

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ये फंड उन लोगों के निवेश का शानदार विकल्प है जो अपनी मेहनत की कमाई को बढ़ाना चाहते हैं, कम समय में बढ़ाना चाहते हैं और कुछ सुरक्षित निवेश की आश में बढ़ाना चाहते हैं. वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट एफडी में निवेश 7 दिनों से लेकर 10 तक करते हैं. लेकिन यहां पर भी बैंक अथवा वित्तीय संस्थान ज्यादा समय तक के निवेश पर ही ज्यादा ब्याज देते हैं. शॉर्ट टर्म निवेश यहां पर उचित नहीं होता है. वह लगभग सेविंग बैंक खाते के बराबर ही ब्याज देता है. 

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लिक्विड फंड्स जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि यह शॉर्ट टर्म का निवेश है जो डेट सिक्युरिटी में होता और तीन महीनों तक का निवेश है. लिक्विड फंड का निवेश बिना लॉक इन पीरड के आता है. इसलिए इसमें कोई एक्जिट लोड नहीं लगता है. इस फंड में निवेशक जब तक चाहे अपना निवेश रख सकता है क्योंकि फंड मैनेजर समयानुसार अच्छा परफॉर्म कर रहे फंड में निवेश करता है. और आप जब चाहें इसे निकाल सकते हैं. यही कारण है कि इसे लिक्विड फंड कहा जाता है. 

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लिक्विड फंड को केवल 25 फीसदी तक ही किसी एक सेक्टर में लगाया जा सकता है. और तो और इन्हें केवल लिस्टेड डेट इंस्ट्रूमेंट (Corporate fixed deposits, Non-Convertible Debentures NCD, Debt mutual funds, Market-linked debentures (MLD) bonds, debentures, leases, certificates, bills of exchange, and promissory notes etc) में ही लगाया जा सकता है. इस मद के तहत राशि का 20 प्रतिशत नेट एसेट के रूप में रखा जाता है. क्योंकि लिक्विड फंड को केवल श़ॉर्ट टर्म सिक्युरिटी में ही निवेश हो सकता है जैसा कि मनी मार्केट सिक्युरिटी और कैश, तो इनमें ज्यादा कैपिटल के नुकसान या फिर तेज बढ़ने की गुंजाइश नहीं होती है क्योंकि यह निवेश फिक्स्ड इंट्रूमेंट में होता है और इन फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट की हाई क्रेडिट रेटिंग होती है. 

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समझें बाजार की चाल

एक खास जो ध्यान रखना चाहिए कि जब बाजार में ब्याज दरें बढ़ रही हों लोन महंगे हो रहे हों तब ऐसे माहौल में यह निवेश अच्छा विकल्प साबित होता है. क्योंकि बॉन्ड की कीमत और ब्याज दरों में इनवर्स रिलेशन होता है. फिर एक बार यह बात ध्यान रखिए कि लिक्विड फंड पूरी तरह से रिस्क फ्री नहीं होता है. लिक्विड फंड पर शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगते हैं. यानि निवेशक जब भी पैसा निकालेगा तो उसे नियमानुसार टैक्स देना होगा.

बैंक का एफडी सावधि जमा
देश के सभी बैंक चाहे वे सरकारी बैंक हो या फिर प्राइवेट बैंक हो. वे सभी फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं. सभी की अपनी अपनी नीति है और ब्जाय दरें हैं जिनके आधार पर वे जमाकर्ता को निवेश का रिटर्न देते हैं. फिलहाल नए साल की शुरुआत के साथ कई बैंकों ने सावधि जमा पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं और निवेशकों को कुछ बेहतर रिटर्न की आश जगी है. बैंकों का निवेश काफी सुरक्षित माना जाता है. कई बैंकों में 5 प्रतिशत से लेकर 7-8 प्रतिशत की ब्याज दरें दी जा रही हैं. वहीं कुछ निजी बैंकों और कंपनियों के द्वारा निवेशकों को सावधि जमा पर 9 प्रतिशत तक की ब्याज दरें उपलब्ध कराई जा रही हैं. 
बता दें कि अधिकतर बैंक में यह सावधि जमा किसी निश्चित समय के लिए किया जाता है जबकि समय से पहले पैसा निकालने पर कुछ पेनल्टी भी देनी पड़ती है.

यही कारण है कि जरूरत पर पैसे निकालने पर ब्याज का नुकसान होता है और यही कारण है कि यह एक अच्छा विकल्प नहीं माना जाता है. बैंक के डिपॉजिट की जब लिक्विड फंड से तुलना की जाती है तब यही देखा गया है कि आप वहां पर अपना पैसा जब चाहें निकाल सकते हैं और ज्यादा रिटर्न भी मिल जाता है. साथ ही डिविडेंड और कैपिटन गेन भी लिक्विड फंड के जरिए होता है. यहां यह बताना लाजिमी है कि इस कमाई पर टीडीएस देना होता है. सेक्शन 194 के तहत यदि शेयरहोल्ड की आय किसी वित्तीय वर्ष में 5000 रुपये से अधिक होती है तब उस पर 10 प्रतिशत टीडीएस देय होता है.  वहीं, बैंकों में जमा एफडी पर ब्याज यदि 40 हजार रुपये सालाना से ज्यादा हो जाता है तब 10 प्रतिशत टीडीएस काटा जाता है.

क्या कहते हैं जानकार

जानकारों का कहना है कि बैंक डिपॉजिट और लिक्विड फंड दोनों में ही छोटी अवधि का निवेश किया जा सकता है. खास बात यह है कि लिक्विड फंड में निवेश पर पहले 6 दिनों में निवेश निकासी पर एक्जिट लोड लगता है. सातवें दिन के बाद से यह लोड नहीं लगता है इसलिए कहा जाता है कि लिक्विड फंड में एक्जिट लोड नहीं लगता है. 

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