ITR फॉर्म कितने तरह के हैं, किसे कौन सा आईटीआर फॉर्म भरना है

एक और खास बात आयकर रिटर्न केवल उन लोगों को ही फाइल नहीं करना होता है, जो आयकर के दायरे में आते हैं. आम आईटीआर के अलावा जीरो आईटीआर फॉर्म एक तरह का आईटीआर रिटर्न होता, जिसे निल आयकर रिटर्न फाइलिंग (Nil Income Tax Return) कहते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
आईटीआर के फॉर्म अलग-अलग तरह के होते हैं .
नई दिल्ली:

वित्तवर्ष 2022-23 (AY 23-24) के लिए आयकर (ITR) भरने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. अमूमन 31 जुलाई तक आईटीआर भरना सभी के लिए अनिवार्य होता है. जो भी आईटीआर के दायरे में आते हैं उन्हें फॉर्म भरकर आयकर जमा कराना होता है. जो नहीं है वे लोग भी आईटीआर फॉर्म भर सकते हैं. लोन लेने में यह काफी काम आता है. इस वर्ष के लिए भरे जाने वाले इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म (ITR Form) को आयकर विभाग ने हाल ही में द्वारा जारी कर दिया है. ये फॉर्म 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी हो गए हैं.
    
आपको बता दें कि देश में कुल 7 तरह के आईटीआर फॉर्म (7 types of ITR forms)हैं. इनकी संख्या ITR-1 से लेकर ITR-7 तक होती है. इन फॉर्म को अलग-अलग आय और आय के स्रोतों वाले लोगों के हिसाब से तैयार किया गया है.  इनके अलावा जीरो आईटीआर फॉर्म (Zero ITR) भी होता है. एवाई 2023-24 (Assesment year 2023-24) के लिए पुराने टैक्स स्लैब के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 2.5 लाख रुपये से ऊपर है या नए टैक्स स्लैब के मुताबिक 3.5 लाख रुपये से ऊपर है तो उसे ITR जरूर फाइल करना होगा. ऐसे में जीरो आईटीआर (Zero ITR) भी भर सकते हैं.

अब बात करते हैं कि आईटीआर फॉर्म कितने तरह के होते हैं? (How many types of ITR forms)

आपको बता दें कि ITR फॉर्म मुख्य रूप से सात तरह के होते हैं. इसमें आईटीआईर-1 (ITR-1), आईटीआईर-2 (ITR-2), आईटीआईर-3 (ITR-3), आईटीआईर-4 (ITR-4), आईटीआईर-5 (ITR-5), आईटीआईर-6 (ITR-6) और आईटीआईर-7 (ITR-7) शामिल हैं.

आईटीआर 1 (ITR-1) कौन भर सकता है -
ITR-1 एक निवासी व्यक्ति द्वारा दाखिल किया जा सकता है,जिसके:

  • वित्तीय वर्ष के दौरान कुल आय ₹ 50 लाख से अधिक न हो
  • वेतन, एक गृह सम्पत्ति, पारिवारिक पेंशन आय, कृषि आय (₹5000/- तक) और अन्य स्रोतों से आय है, जिसमें निम्न शामिल हैं:
  • बचत खातों से ब्याज
  • जमा राशियों से ब्याज (बैंक/डाकघर/सहकारी समिति)
  • आयकर प्रतिदाय (refund) से ब्याज
  • बढ़ाए गए मुआवजे पर प्राप्त ब्याज
  • कोई अन्य ब्याज आय
  • पारिवारिक पेंशन
  • जीवन साथी की आय (पुर्तगाली नागरिक संहिता के अंतर्गत आने वालों को छोड़कर) या अवयस्क की आय को जोड़ा जाता है (केवल तभी जब आय का स्रोत ऊपर उल्लिखित विनिर्दिष्ट सीमा के भीतर हो)।

आईटीआर 2 (ITR-2):  निर्धारण वर्ष 2021- 22 के लिए आई.टी.आर-2 दाखिल करने के लिए कौन पात्र है?

  • आईटीआर-2 कोई भी व्यक्ति या HUF के द्वारा दाखिल किया जा सकता है:
  • आईटीआर-1 दाखिल करने के पात्र नहीं हैं (Sahaj)
  • ऐसे लोग जिन्हें कारोबार या व्यवसाय से लाभ और अभिलाभ न मिल रहा हो और न ही कारोबार या व्यवसाय से लाभ और अभिलाभ द्वारा निम्नलिखित प्रकार की आय प्राप्त कर रहे हों :
  • इंटरेस्ट
  • वेतन
  • बोनस
  • किसी साझेदारी फर्म से प्राप्त किए गए, किसी भी नाम से कमीशन या पारिश्रमिक
  • यदि किसी अन्य व्यक्ति की आय जैसे पति या पत्नी, नाबालिग बच्चे, आदि को उनकी आय के साथ जोड़ा जाना है - यदि ऐसी आय उपरोक्त में से किसी भी श्रेणी में आती है.


आईटीआर 3 (ITR-3): आपको बता दें कि यह फॉर्म को व्यक्तिगत करदाताओं और HUF द्वारा चुना जाता है जो किसी पेशे या किसी व्यवसाय के मालिक होने से आय अर्जित करते हैं. वो करदाता जिनकी आय किसी अनलिस्टिड शेयर में निवेश से हुई है, किसी कंपनी के पार्टनर हैं, किसी कंपनी के डायरेक्टर हैं या व्यवसाय का टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से अधिक है, इस फॉर्म को फाइल करते हैं.

Advertisement

आईटीआर 4 (ITR-4): ऐसे व्यक्ति, HUF और पार्टनरशिप फर्म जो भारत के निवासी हैं, किसी व्यवसाय या पेशे (डॉक्टर, वकील आदि) से आय अर्जित करते हैं; उन्हें आईटीआर-4 का चयन करना होता है. इसे सुगम फॉर्म (SUGAM Form) भी कहा जाता है. बता दें कि इसमें अर्जित आय पर कोई सीमा नहीं है.

Advertisement

आईटीआर 5 (ITR-5): आपको बता दें कि यह आइटीआर-5 फॉर्म संस्थाओं के लिए होता है. ऐसे संस्थान जो फर्म, LLPs, AOPs, BOIs के रूप में रजिस्टर्ड हैं को आइटीआर-5 फॉर्म भरना होता है.

Advertisement

आईटीआर 6 (ITR-6): आईटीआर 6 किसी भी कंपनी के लिए होता है जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 11 से संबंधित छूट का दावा नहीं कर रही होती है. इस धारा के तहत आयकर रिटर्न दाखिल करने वाली फर्म इसे केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से भर सकती हैं.

Advertisement

आईटीआर 7 (ITR-7): आईटीआर 7 फॉर्म राजनीतिक दल, अस्पताल, चिकित्सा संस्थान, विश्वविद्यालय, कोष, समाचार एजेंसियां, ज्ञानिक अनुसंधान संघ  और अन्य शैक्षणिक संस्थान, कॉलेज या विश्वविद्यालय या व्यावसायिक ट्रस्ट द्वारा भरा जाता है.

जीरो आईटीआर (Zero ITR) का क्या मतलब होता है?
एक और खास बात आयकर रिटर्न केवल उन लोगों को ही फाइल नहीं करना होता है, जो आयकर के दायरे में आते हैं. आम आईटीआर के अलावा जीरो आईटीआर फॉर्म एक तरह का आईटीआर रिटर्न होता, जिसे निल आयकर रिटर्न फाइलिंग (Nil Income Tax Return) कहते हैं. अगर कोई व्यक्ति आयकर विभाग द्वारा जारी किए गए टैक्स स्लैब से बाहर होता है और फिर भी टैक्स रिटर्न फॉर्म भरता है तो इसे जीरो ITR फाइलिंग माना जाता है. 
 

Featured Video Of The Day
Delhi Assembly Elections: शिक्षा से लेकर कूड़ा तक..इन मुद्दों पर Anurag Thakur का AAP पर हमला