ITR Filing In 2025: बजट 2025 में वित्त मंत्री ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए, जीरो इनकम टैक्स लायबिलिटी के लेवल को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है. ये बदलाव, 1 अप्रैल, 2025 से शुरू होने वाले अगले फाइनेंशियल ईयर से लागू होंगे, इसका मतलब है कि अगर आपकी सालाना इनकम 12 लाख रुपये तक है, तो आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत फुल इनकम टैक्स रिबेट के लिए एलिजिबल होंगे यानी आपकी टैक्स लायबिलिटी जीरो होगी.
बेसिक इनकम एग्जम्प्शन लिमिट में बढ़ोतरी
इसके अलावा, इस बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने न्यू टैक्स रिजीम के तहत बेसिक इनकम एग्जम्प्शन लिमिट (Basic income exemption limit) को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया. इसका मतलब है कि अगले फाइनेंशियल ईयर से, 4 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले लोगों को आम तौर पर किसी भी टैक्स का भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी, न ही उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न (Income tax return -ITR) फाइल करने की जरूरत होगी.
अब आपके मन में अगर ये सवाल आ रहा है कि क्या 4 लाख रुपये से ज्यादा और 12 लाख रुपये तक की इनकम वालों को भी ITR (Income tax Return Filing) फाइल करने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि उनकी भी टैक्स लायबिलिटी भी जीरो है तो चलिए आपके इस सवाल का जवाब जानते हैं.
क्या सेक्शन 87A के तहत छूट का दावा करने के लिए ITR फाइल करना अनिवार्य है?
वर्तमान में, फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के दौरान कमाई गई इनकम के लिए, न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये से ज्यादा लेकिन 7 लाख रुपये से कम और ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 2.5 लाख रुपये से ज्यादा लेकिन 5 लाख रुपये से कम कमाने वालों को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत छूट का दावा करने के लिए अपना आईटीआर फाइल (ITR Filing 2025) करना होगा.
न्यू टैक्स रिजीम के तहत छूट राशि बढ़कर 60,000 रुपये
बजट 2025 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम के तहत छूट राशि (Tax Rebate Amount) को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया है. इसके जरिए सरकार मिडिल क्लास के टैक्सपेयर्स को राहत देना चाहती है. यह छूट निर्धारित सीमा से कम इनकम वाले लोगों को अपनी टैक्स लायबिलिटी को कम करने में मदद करेगी. हालांकि, न्यू टैक्स रिजीम के तहत यह 60,000 रुपये की छूट केवल उन टैक्सपेयर्स पर लागू होगी जिनकी कुल सालाना इनकम में लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन जैसी इनकम शामिल नहीं है.
इस छूट में बढ़ोतरी के बावजूद, आपको अभी भी ITR फाइल करके इसे क्लेम करना होगा. अगर आप सेक्शन 87A के तहत उपलब्ध इस छूट का दावा करना चाहते हैं तो ITR फाइल करना अनिवार्य है. जो लोग 4 लाख रुपये से ज्यादा लेकिन 12 लाख रुपये से कम कमाते हैं, वे ऑटोमेटिकली सेक्शन 87A के तहत मिलने वाली इस छूट का फायदा नहीं उठा पाएंगे अगर वो अपना ITR फाइल नहीं करते हैं.
कम इनकम के बावजूद ITR फाइल करने की जरूरत कब होती है?
कुछ स्थितियों में टैक्सपेयर्स को ITR फाइल करना जरूरी हो जाता है, चाहे भले ही उनकी सालाना इनकम न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख रुपये से कम हो, ओल्ड टैक्स रिजीम में 2.5 लाख रुपये से कम हो और अगले फाइनेंशियल में प्रभावी होने वाली न्यू टैक्स रिजीम में 4 लाख रुपये से कम हो. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139 के तहत इन स्थितियों में ITR फाइल करना जरूरी हैं:
- अगर व्यक्ति विदेशी संपत्ति (Foreign assets) रखता है या उसका बेनिफिशियल ओनर है.
- अगर एक फाइनेंशियल ईयर के अंदर उसके करंट या सेविंग अकाउंट में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा डिपॉजिट हुए हैं.
- अगर एक फाइनेंशियल ईयर के अंदर विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च किया है.
- अगर एक फाइनेंशियल ईयर के अंदर 1 लाख रुपये से ज्यादा की बिजली की खपत की है.
- अगर बिजनेस में कुल बिक्री एक फाइनेंशियल ईयर में 60 लाख रुपये से ज्यादा की हुई है
- अगर प्रोफेशन में ग्रॉस रिसीप्ट एक फाइनेंशियल ईयर में 10 लाख रुपये से ज्यादा हैं.
- अगर TDS/TCS 25,000 रुपये से ज्यादा है. सीनियर सिटीजन (Senior citizens) के लिए यह लिमिट 50,000 रुपये है.
इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक, यदि साल की कुल इनकम 4 लाख रुपये से कम है तो ITR फाइल करने की जरूरत नहीं है. हालांकि, सेक्शन 139 के तहत कुछ मामलों में, टैक्सपेयर्स को ITR फाइल करना जरूरी है भले ही उसकी सालाना इनकम कम क्यों न हो. इसलिए टैक्सपेयर्स को यह जानना होगा कि क्या वे सेक्शन 139 में दिए गए किसी भी मामले के अंतर्गत आते हैं. अगर वो ऐसी किसी भी स्थिति के अंतर्गत आते हैं तो उनका अपना रिटर्न फाइल करना होगा.
ITR फाइल न करने पर जुर्माना (Penalty for not filing an ITR)
जो व्यक्ति 4 लाख रुपये से ज्यादा लेकिन 12 लाख रुपये से कम कमाता है, अगर वह अगले फाइनेंशियल ईयर से शुरू होने वाली नियत तारीख से पहले अपना ITR फाइल नहीं करता है, तो उन्हें अपने टैक्स का भुगतान नहीं करने के लिए आईटी विभाग (I-T Department) से नोटिस मिल सकता है.इस नोटिस के जवाब में, व्यक्ति सेक्शन 87A के तहत उपलब्ध छूट का दावा कर सकता है. हालांकि, स्वत: संज्ञान यानी अपनी मर्जी से टैक्स रिटर्न फाइल न करने पर उन पर जुर्माना (Penalty for Late Filing of Income Tax Return) लगाया जा सकता है.
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