क्या ITR फाइल करते समय भी बदल सकते हैं Tax Regime? ओल्ड और न्यू में कौन सा है बेहतर, जानें सबकुछ

Income Tax Return 2025: इस बात को लेकर बहुत से लोग कंफ्यूज हैं कि इनकम टैक्स के नियम किसी टैक्सपेयर को आयकर रिटर्न दाखिल करते समय कोई भी टैक्स रिजीम ( Income Tax Regime) चुनने की अनुमति देते हैं या नहीं. आइए आज इस बारे में विस्तार से समझते हैं.

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ITR Filing For FY 2024-25: यदि कोई टैक्सपेयर निर्धारित तारीख के बाद रिटर्न दाखिल करता है, तो ITR केवल नई टैक्स रिजीम के तहत दाखिल किया जाएगा. इनकम टैक्स पोर्टल ऐसे मामलों में पुरानी टैक्स रिजीम में स्विच करने की अनुमति नहीं देगा.
नई दिल्ली:

अब साल का वह समय फिर आ गया है जब सैलरीड लोग अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की तैयारी शुरू कर देते हैं. जल्द ही, आपको अपने नियोक्ता (Employer) से अपना फॉर्म 16 प्राप्त होगा. उसके बाद, हममें से कई लोग जरूरी डॉक्यूमेंट्स जमा करना और अपने टैक्स को कैलकुलेट करना शुरू कर देंगे.लेकिन क्या होगा अगर आपने पहले अपने नियोक्ता से कहा था कि आप ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के साथ बने रहना चाहते हैं और अब, अपनी इनकम और डिडक्शन को चेक करने के बाद, आपको लगता है कि न्यू टैक्स रिजीम बेहतर है. तो, क्या इस साल अपना ITR दाखिल करते समय टैक्स रिजीम बदलना संभव है? आइए आज हम इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्या आप सचमुच टैक्स रिजीम बदल सकते हैं? 

जी हां, आयकर नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सैलरीड व्यक्ति अपना आईटीआर दाखिल करते समय पुरानी या नई टैक्स रिजीम में से कोई भी चुन सकते हैं, भले ही उन्होंने फाइनेंशियल ईयर के दौरान TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) के लिए कोई अलग व्यवस्था चुनी हो. ऐसे में अगर आपने अपने नियोक्ता को पुराने टैक्स रिजीम के तहत कर कटौती करने के लिए कहा है, तो आप रिटर्न दाखिल करते समय नई टैक्स रिजीम को अपना सकते हैं.  इसी तरह, नई रिजीम चुनने वाले टैक्सपेयर्स पुरानी रिजीम का भी ऑप्शन चुन सकते हैं. जिसके लिए कोई मनाही नहीं है.

आपको बता दें, 'इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म' (Income Tax Return Form) डिफॉल्ट रूप से, नए टैक्स  रिजीम पर लागू होता है. ऐसे में यह टैक्सपेयर्स से पूछता है कि क्या वे सेक्शन 115BAC के तहत बाहर निकलना चाहते हैं? ऐसे में अगर टैक्सपेयर 'हां' का ऑप्शन चुनता है, तो वह टैक्स रिटर्न पुरानी टैक्स रिजीम के तहत फाइल करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं और अगर टैक्सपेयर 'नहीं' का ऑप्शन चुनता है, तो उस पर नई टैक्स रिजीम लागू होती है.

सेक्शन 115BAC 'इनकम टैक्स एक्ट' का वह हिस्सा है जो नई टैक्स रिजीम  के तहत टैक्स स्लैब और नियमों को कवर करता है. यह आपको कम टैक्स प्रदान करता है, इसी के साथ अधिकांश डिडक्शन और छूट (Exemptions) को हटा देता है.

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क्या समय सीमा मायने रखती है? 

पुरानी टैक्स रिजीम तभी चुनी जा सकती है, जब आप ड्यू डेट पर या उससे पहले अपना ITR दाखिल करते हैं. अगर आप समयसीमा यानी डेडलाइन से चूक जाते हैं और देरी से रिटर्न दाखिल करते हैं, तो 'इनकम टैक्स पोर्टल' आपको पुरानी टैक्स रिजीम के ऑप्शन को चुनने की अनुमति नहीं देगा,  फिर आपका ITR डिफॉल्ट रूप से नई टैक्स रिजीम के तहत प्रोसेस किया जाएगा.

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ITR फाइल करने की आखिरी तारीख क्या है?

इनकम टैक्स  रिटर्न (ITR) दाखिल करने की आखिरी तारीख इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस प्रकार के टैक्सपेयर हैं. ज्यादातर  व्यक्तियों, HUFs, AOPs और BOIs के लिए जिनके अकाउंट को ऑडिटिंग की आवश्यकता नहीं है, आईटीआर दाखिल करने की उनके लिए आखिरी तारीख  31 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है.वहीं जिन बिजनेसमैन, फर्मों और कंपनियों को अपने अकाउंट का ऑडिट कराना होता है, उनके लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर 2025 तय की गई है. जबकि धारा 92E के तहत आने वालों को 30 नवंबर 2025 तक का समय दिया गया है.

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यदि आप इन समय सीमाओं से चूक जाते हैं, तो भी आप 31 दिसंबर तक बिलेटेड या अपडेटेड (Revised) आईटीआर दाखिल कर सकते हैं. इसके अलावा, प्रासंगिक कर निर्धारण वर्ष (Relevant Assessment Year) की समाप्ति से चौथे वर्ष के 31 मार्च तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल किया जा सकता है.बता दें, जिन बिजनेस के खातों का ऑडिट किया जाता है, लेकिन उनका कोई इंटरनेशनल डीलिंग नहीं है, उनके लिए ऑडिट रिपोर्ट 30 सितंबर तक जमा कर दी जानी चाहिए और ITR 31 अक्टूबर तक दाखिल कर दी जानी चाहिए.

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इस बात का रखें ध्यान 

हालांकि, टैक्स रिजीम बदलने की यह सुविधा केवल तभी उपलब्ध है जब ITR निर्धारित तारीख पर या उससे पहले दाखिल किया गया हो. यदि कोई टैक्सपेयर निर्धारित तारीख के बाद रिटर्न दाखिल करता है, तो ITR केवल नई टैक्स रिजीम के तहत दाखिल किया जाएगा. इनकम टैक्स पोर्टल ऐसे मामलों में पुरानी टैक्स रिजीम में स्विच करने की अनुमति नहीं देगा.

इसी के साथ टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे सावधानीपूर्वक आकलन करें कि कौन सी टैक्स रिजीम उन्हें अधिक लाभ प्रदान करती है. इसी के आधार पर अपनी पसंदीदा टैक्स रिजीम का चुनाव करें और किसी भी परेशानी से बचने के लिए समय सीमा से पहले ही अपना आईटीआर दाखिल कर दें. 
 

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