Dhanteras 2025: अमेरिका समेत टॉप-5 देशों से भी ज्‍यादा गोल्‍ड! सोने की असली जौहरी तो भारतीय महिलाएं हैं... आंकड़े देख लीजिए

भारतीय महिलाएं करीब 24,000 टन सोने की मालकिन हैं. ये दुनिया के कुल स्‍वर्ण भंडार का करीब 11 फीसदी हिस्सा है. महिलाएं, सोने की इस 'गोल्डी स्टोरी' की असली हीरो भी साबित हो रही हैं.

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Dhanteras 2025: सुबह की पूजा वगैरह के बाद नाश्‍ते पर घर के सारे लोग बैठे तभी घर की महिला मुखिया ने अपनी छोटी बहू से कहा- 'मुहूर्त का पूछ ली हो न पंडित जी से, राजीव (छोटे बेटे) ऑफिस से नहीं भी लौट पाए तो खुद जाकर ले लेना एक भर का झुमका.' सोने के झुमके पर सास की 'हरी झंडी' मिलते ही बहू के मन में लड्डू फूटा और वो मुहूर्त का इंतजार करने लगी. 

धनतेरस के दिन ये किसी भी भारतीय हिंदू परिवार के घर का दृश्‍य हो सकता है. दरअसल, देश में गोल्‍ड के पीछे जितना बड़ा कारोबार है, उतना ही गहरा है, महिलाओं का सोने से रिश्‍ता. सोना, जो न केवल उनका गहना है, बल्कि सबसे भरोसेमंद निवेश भी है और हर दौर में 'सुरक्षा कवच' भी.

भारतीय घरों में सोने (गोल्‍ड) को लेकर एक अलग तरह का रोमांच रहता है. न केवल शादी-ब्‍याह, बल्कि अक्षय तृतीया और धनतेरस जैसे मौकों पर गोल्‍ड की खरीदारी को उत्‍सव की तरह सेलिब्रेट किया जाता रहा है. पीढ़ी दर पीढ़ी खानदानी संपत्ति में अच्‍छा-खासा हिस्‍सा गोल्‍ड का होता है. परिवार में इस वेल्‍थ क्रिएशन में बड़ा योगदान होता है- घर की महिलाओं का. थोड़ा-थोड़ा कर के भी महिलाएं सोने में निवेश करती रहती हैं.

'इंडियन हाउसवाइफ' सबसे स्‍मार्ट इन्‍वेस्‍टर

एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 (NDTV World Summit) के मंच पर वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल (World Gold Council) के रिजनल सीईओ सचिन जैन ने 'गोल्‍डी स्‍टोरी' सुनाते हुए स्‍पष्‍ट कहा कि भारतीय गृहिणियों (Indian Houswife) से ज्यादा स्मार्ट निवेशक दुनिया में और कोई नहीं. वो थोड़ा-थोड़ा ही सही, सोने में निवेश करती और करवाती रहती हैं. आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं.

वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, एक अहम तथ्य यह है कि भारतीय महिलाएं करीब 24,000 टन सोने की मालकिन हैं. ये दुनिया के कुल स्‍वर्ण भंडार का करीब 11 फीसदी हिस्सा है. यह मात्रा कितनी बड़ी है, इसे ऐसे समझिए कि अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस और रूस के टोटल गोल्‍ड रिजर्व यानी कुल स्‍वर्ण भंडार से भी ज्‍यादा है.

किसके पास कितना सोना?
अमेरिका8,133.46 टन
जर्मनी3,350.25 टन 
इटली2,451.84 टन 
फ्रांस2,437.00 टन 
रूस 2,329.63 टन 
भारतीय महिलाएं24,000 टन
Source: World Gold Council

यही नहीं, 'हर सर्किल' की एक रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण भारत में महिलाओं का गोल्‍ड में योगदान देश के कुल गोल्‍ड का करीब 40 फीसदी तक जाता है, जिसमें अकेले तमिलनाडु का हिस्सा 28 फीसदी है.

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सोने के प्रति इतनी चाहत क्‍यों?

जवाब में दो पहलू हैं- सांस्कृतिक और वित्तीय. शादी-ब्याह, त्योहार, अक्षय तृतीया-धनतेरस जैसे मौकों पर सोने की खरीद एक उत्सव जैसा लगता है. साथ ही, सोना वो इकाई है जिसे गृहिणियां छोटे-छोटे हिस्सों में धीरे-धीरे जमा करती हैं, वो मुश्किल परिस्थितियों में घर के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच साबित होता है. रिपोर्ट बताती है, भारत में गोल्ड ज्वेलरी के बाजार में शादी-विवाह की हिस्‍सेदारी करीब 50-55 फीसदी हिस्सेदारी है.

वित्तीय दृष्टि से सोना सुरक्षित निवेश की तरह काम करता है. सचिन जैन कहते हैं कि गोल्‍ड 'स्लीपी एसेट क्लास' नहीं, बल्कि समय के हर उतार-चढ़ाव में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला सेफ हेवेन बन चुका है. एनडीटीवी समिट के मंच पर उन्होंने बताया कि इस साल सोने के दाम पहले से कहीं अधिक बढ़ गए हैं, जिससे यह सेफ हेवेन यानी 'सुरक्षित निवेश' बन गया है.

गृहिणियों की भूमिका यहां इसलिए भी अहम है, क्‍योंकि वो अक्सर बैंकिंग या शेयर बाजार जैसे विकल्‍पों की बजाय सोने में निवेश करती हैं. गहने, प्लेट्स, सिक्के या बार्स में भी. जैन बताते हैं कि आज जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितताओं से घिरी है, तब सोने का महत्व और बढ़ गया है. समझदारी से भारतीय महिलाएं न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक नींव रख रही हैं, बल्कि सोने की इस 'गोल्डी स्टोरी' की असली हीरो भी साबित हो रही हैं.

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