भारतीय रेलवे ने स्वच्छता और यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए एक बड़ी पहल शुरू की है. रेलवे प्रशासन ने देशभर में 82 ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट शुरू किए हैं. यह कदम ट्रेन की बाहरी सफाई को तेज और ज्यादा असरदर बनाने के लिए उठाया गया है.
रेलवे के इन ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट्स से अब ट्रेन को पहले की तुलना तेजी से साफ किया जा सकेगा. पहले जहां पूरी ट्रेन को साफ करने में कई घंटे लगते थे, अब यह काम मिनटों में किया जा सकेगा. इससे सफाई का स्तर भी बेहतर होगा और यात्रियों को भी अच्छा अनुभव मिलेगा.
हाई-प्रेशर जेट, स्पेशल ब्रश और वाटर रीसायकल सिस्टम
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इन वॉशिंग प्लांट्स में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के साथ-साथ ट्रेनों का परिचालन भी सुचारू रूप से चलेगा. इन प्लांट्स में हाई-प्रेशर जेट, स्पेशल ब्रश और वाटर रीसायकल सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस नए सिस्टम के तहत कोच को वॉशिंग लाइन से धीरे-धीरे गुजारा जाता है, जहां हाई-प्रेशर वाटर जेट और ब्रश कोच की बाहरी सतह को साफ करते हैं. रेलवे का कहना है कि ये प्लांट्स न सिर्फ सफाई को बेहतर बनाते हैं, बल्कि पानी की भी बचत करते हैं. पारंपरिक तरीके से कोच धोने में हजारों लीटर साफ पानी लगता था, लेकिन इस ऑटोमेटिक सिस्टम में कम ताजा पानी की जरूरत होती है और पानी को रीसायकल भी किया जा सकता है.
रेलवे पिछले कुछ साल से स्वच्छता और रख-रखाव पर खास ध्यान दे रहा है. ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट ऐसे ही कदमों में से एक हैं, जिनसे पानी की बचत, सफाई में बढ़ोतरी और समय की बचत होती है. इस पहल से भारतीय रेलवे की सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ने की उम्मीद है.
14 मिनट का चमत्कार
इससे पहले अक्टूबर में भारतीय रेलवे ने ट्रेनों की तेजी से सफाई के लिए '14 मिनट के चमत्कार (14 minutes of miracle)' का कॉन्सेप्ट शुरू किया था, जिसकी शुरुआत देश भर में 29 वंदे भारत ट्रेनों से उनके डेस्टिनेशन स्टेशनों पर हुई थी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ट्रेनों की टाइमिंग और टर्नअराउंड टाइम को बेहतर बनाने के लिए इस पहल के तहत वंदे भारत ट्रेनों को 14 मिनट के अंदर साफ किया जाएगा. यह पहल जापान के ओसाका और टोक्यो जैसे कई स्टेशनों पर '7 मिनट के चमत्कार (7 minutes of miracle)' के कॉन्सेप्ट पर बेस्ड है, जहां बुलेट ट्रेनों को 7 मिनट के अंदर साफ करके दूसरी यात्रा के लिए तैयार कर दिया जाता है.














