Factors to buy Share: एक समय था जब शेयर बाजार में निवेश जुआ समझा जाता था. अब शेयर बाजार में पैसा लगाना बेहतर निवेश समझा जाता है. साथ ही नागरिक देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में भी योगदान देता है. शेयर बाजार में समझादारी के साथ निवेश पर ज्यादा जानकार सलाह देते हैं. उनका कहना होता है कि बाजार के जानकारों की सलाह के साथ निवेश करना चाहिए. लेकिन बहुत से लोग स्वयं ही अपनी जानकारी के आधार पर बाजार में निवेश करते हैं. अच्छा होता है कि शेयरों में निवेश करने से पहले कुछ बारीकियों को समझ लिया जाए जिसे देखने के बाद जानकार लोग निवेश करने या न करने की सलाह देते हैं. आखिर यह क्या है.. किस कंपनी में निवेश करें, निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखें आज इन्हें बातों पर यहां बात करते हैं.
हर निवेशक एक विचार के साथ शेयर बाजार में निवेश करता है कि वो जिस स्टॉक में निवेश कर रहा है वह अच्छा रिटर्न देगा. वह यह मानता है कि उसने एक जबूत शेयर खरीदा है. किसी कंपनी का शेयर खरीदने से पहले उस कंपनी की कौन बातों पर नजर डालनी चाहिए यदि कोई समझ ले तो फिर आगे कोई टेंशन नहीं होगी. यह जरूरी है कि किसी स्टॉक को खरीने से पहले केवल उसका प्राइस जानना जरूरी नहीं है. जरूरी है कंपनी के बारे में कुछ अहम जानकारी जुटाना. यह करना क्यों जरूरी ताकि आपका पैसा सुरक्षित रहे और आपको भविष्य अच्छा रिटर्न दे. एक बात तो साफ है कि आपका पैसा तभी बढ़ेगा जब कंपनी तरक्की करेगी.
शेयर बाजार में कहा जता है कि जब कभी भी किसी स्टॉक में निवेश करना है तो निवेशक को कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना चाहिए.
सबसे पहले जरूरी है कि कंपनी का बिजनेस मॉडल समझना जाए. इसका अर्थ है कि कंपनी पैसा कैसे कमाती है. यह मॉडल भविष्य के लिए कितना कारगर है. ऐसा तो नहीं है कि कंपनी को आगे दिक्कतों का सामना करना होगा.
दूसरी सबसे जरूरी बात जिस पर निवेशक को ध्यान देना चाहिए वह है कंपनी के क्वार्टरली रिजल्ट. यानी हर 3 महीने में कंपनी जो तिमाही परिणाम घोषित करती है तो उसमें सेल्स और रिवेन्यू के बारे में बताया जाता है और उसके आधार पर ही यह देखा जा सकता है कि कंपनी का पहिया कैसा चल रहा है. कंपनी कैसा काम कर रही है.
बाजार में जानकार बताते हैं और आप देख सकते हैं कंपनी के तिमाही परिणामों के साथ कंपनी के शेयरों के भाव में तेजी या नर्मी देखने को मिलती है. इसी के साथ कंपनी के वार्षिक निर्णयों पर भी नजर दौड़ानी चाहिए. ताकि कंपनी का पिछले कुछ वर्षों में कैसा काम और परिणाम रहा है यह पता लगाया जा सके.
तीसरी बात जो लंबी अवधि के निवेशकों को कंपनी के बारे में ज्यादा जानकारी लेनी चाहिए. उन्हें यह देखना चाहिए कि कंपनी कौन कौन से प्रोडक्ट यह कंपनी बनाती और बेचती है? सबसे ज्यादा मार्जिन किस प्रोडक्ट में है? कंपनी का कौन सा प्रोडक्ट इंडस्ट्री में नंबर वन है या किस स्तर पर है? साथ ही सरकार की कौन-कौन सी नीतियां कंपनी पर असर डाल रही हैं. अपने कंपीटीटर्स के मुकाबले कंपनी की क्या तैयारी है?
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बिजनेस मॉडल और कंपनी के परिणामों पर नजर डालने के बाद चौथी जरूरी बात यह है कि कंपनी पर कर्ज कितन है. यह ध्यान देना चाहिए कि कंपनी पर ज्यादा कर्ज न हो.
इसके बाद पांचवीं जरूरी बात है कि कंपनी के पास कैश कितना है. कैश रिजर्व कितना और कैश सरप्लस कितना है. इस सारी बातों को जानना भी जरूरी है. यह कंपनी के बैलेंस शीट को देखने से पता चलता है. यहां पर कंपनी की वित्तीय स्थित या कहें कि फाइनेंशियल हेल्थ के बारे में जानकारी मिलेगी. ये कंपनी का वित्तीय फंडामेंटल है.बैलेंस शीट देखने से कंपनी के पास कितने असेट्स ओर लायबिलिटीज हैं इसकी जानकारी मिल जाएगी. इस बारे में ज्यादा डिटेल से चर्चा अन्य लेख में..
छठी जरूरी बात कि अपना पैसा सुरक्षित निवेश के तौर पर रखने के लिए जरूरी है कि यह पता कर लिया जाए कि कंपनी कितनी पुरानी है. पुरानी कंपनी है तो बाजार में बने रहने के उतने ही चांसेस हैं. कंपनी जितनी पुरानी होगी उसके पास एक्सपीरियंस भी ज्यादा होगा.
सातवीं बात बाजार में पैसे को सुरक्षित तौर पर बढ़ाना है तो अच्छा रहेगा कि ऐसी कंपनी में निवेश न किया जाए जिसमें ज्यादा सर्किट लगा रहा है. बाजार में माना जाता है कि ज्यादा सर्किट लगने वाली कंपनी को आसाना से मैनिपुलेट किया जा सकता है.
आठवीं बात : अब कुछ ऐसे पहलुओं के बारे में बात करते हैं जिसे देखना बेहद जरूरी हो जाता है. अभी तक हमने कंपनी के बारे में उसकी वित्तीय स्थिति के बारे में बात की लेकिन अब शेयर बाजार में स्थिति के बारे में बात करते हैं. इसमें कुछ वित्तीय अनुपात या फाइनेंसियल रेश्यो की बात है जो जरूरी देखना होता है. एक निवेशक को किसी शेयर के फंडामेंटल एनालिसिस में फाइनेंसियल रेश्यो को भी देखना चाहिए. इनमें पीई रेशियो (PE Price to earning ratio), पीबी रेशियो (PB Price to book value ratio), डीटीईआर (DTER Debt to Equity Ratio), ईपीएस अर्निंग पर शेयर (EPS Earning per share), बीवीपीएस (BVPS Book value per share) आदि शामिल हैं. इनके बारे में विस्तार से चर्चा बाद में...
नौवीं बात : एक बात जिस पर कम लोग गौर करते हैं कि वह है कंपनी का प्रबंधन किन हाथों में है. कंपनी के प्रमोटर कैसे हैं. सक्षम हाथों में कंपनी का मतलब कंपनी की तरक्की होता है. इसी के साथ यह भी जरूरी है कि देख लें कि कंपनी जिस सेक्टर में काम कर रही है उसके कंपीटीशन क्या कर रहे हैं.
दसवीं बात : एक अन्य जरूरी फैक्टर जो लंबी अवधि के ध्येय के साथ शेयर बाजार में निवेशक देख सकते हैं उनमें है कि कंपनी का भविष्य को लेकर क्या एजेंडा है. उनकी योजनाओं के बारे में जानकारी देखनी चाहिए.
ग्यारहवीं जरूरी बात : किसी निवेशको किसी कंपनी के शेयर खरीदने से पहले यह भी देखना चाहिए कि उस कंपनी का मार्केट कैप कितना है. यदि कंपनी 1000 करोड़ या 500 करोड़ रुपये से भी छोटी है तो उसे माइक्रो कैप बोलते हैं. 1000 करोड़ से बड़ी है तो स्माल कैप और 30000 या 50000 करोड से बड़ी है तो मिड कैप कंपनी बोली जाती है. लेकिन अगर उसका साइज 1 लाख करोड़ से ज्यादा है तो वह लार्ज कैप कंपनी की कैटेगरी में आ जाती है.
बारहवीं जरूरी बात : बाजार में कुछ कंपनियां डिविडेंड देती है. इन कंपनियों को देखना चाहिए. बाजार में निवेश करते समय यह भी देख लेना चाहिए कि कंपनी की डिविडेंड हिस्ट्री कैसी है. बता दें कि डिविडेंड वह पैसा होता है जो कंपनियां अपने शेयर होल्डर को अपने मुनाफे के कुछ हिस्से में से बांटती हैं. डिविडेंड पर विस्तार से चर्चा बाद में...