ट्रेडिंग (Trading) यानि व्यापार. लेकिन स्टॉक मार्केट में इसका प्रयोग कुछ इस प्रकार से होता है. शेयर बाजार में नए लोगों को इसके अलग-अलग प्रकार के प्रयोग परेशान करते हैं. बहुत सारे लोगों ने पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार में ट्रेडिंग आरंभ की है. आंकड़ों की बात की जाए तो 2010 में जहां केवल 2.3 करोड़ डिमैट खाते थे वहीं 2021 में 5.3 करोड़ हो चुके थे. यानि शेयर बाजार में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है. नए लोग शेयर बाजार से जुड़ते जा रहे हैं. ऐसे में देखा जा रहा है कि कम जानकारी के चलते कई लोग शेयर बाजार में निवेश कर घाटा उठाते हैं. टीवी चैनलों को देखने पर और कंफ्यूजन हो जाता है. कारण साफ है कि वह कुछ ऐसे टर्म का प्रयोग होता है जो नए निवेशकों को समज में नहीं आता है. ऐसे में जरूरी है कि ट्रेडिंग के प्रकार को समझा जाए. वहीं कई लोग ऐसे भी है जिन्होंने बाजार की अच्छी समझ के चलते खासा पैसा बना लिया है. इसलिए कहा जाता है कि शेयर बाजार में निवेश करने से पहले कुछ बातों की जानकारी ले लेनी चाहिए.
कई छोटे रिटेलर स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग और इनवेस्टमेंट के अंतर को समझ नहीं पाते हैं. शेयर बाजार में ट्रेडिंग का अर्थ शेयर खरीदना और बेचना होता है. इसलिए शेयर बाजार में कारोबार को ट्रेडिंग कहते हैं. स्टॉक मार्केट में शेयर को खरीदकर या बेचकर पैसे बनाए जाते हैं. शेयर को कम कीमत में खरीदना और ज्यादा कीमत में बेचना ट्रेडिंग है.
शेयर बाजार में ट्रेडिंग के कई प्रकार हैं. इनमें कुछ इस प्रकार से हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग, स्कैल्पिंग, स्विंग ट्रेडिंग, पोजिशनल ट्रेडिंग, आर्बीट्राज ट्रेडिंग और इनवेस्टिंग ट्रेडिंग होती है.
ट्रेडिंग की समय अवधि 1 साल की होती है. मतलब यह हुआ कि 1 साल के अंदर शेयर को खरीदना और बेचना है. यदि आप एक साल के बाद शेयर को बेचते हैं तो यह निवेश या इनवेस्टमेंट कहलाता है. शेयर बाजार में ट्रेडिंग थोड़ा रिस्की काम है. इसके लिए शेयरों के मूवमेंट के अच्छे से समझना जरूरी है.
शेयर बाजार कुछ इस प्रकार से ट्रेडिंग होती है.
इंट्राडे ट्रेडिंग
शेयर मार्केट के सुबह खुलने और शाम को बंद होने के पहले जो भी ट्रेड लिया जाए और बेच दिया जाए तो वह इंट्राडे ट्रेड कहलाता है. इस प्रकार की ट्रेडिंग का समय 9:15 AM से 3:30 PM के बीच रहता है. ऐसी ट्रेडिंग यानि शेयर को खरीदना और बेच देना एक दिन के कारोबारी समय के भीतर ही इंट्राडे ट्रेडिंग कहलाता है.
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग भी एक दिन के कारोबारी समय में की जाती है. लेकिन यह बेहद कम समय में खरीदने और बेचने को कहते हैं. इसमें घंटों का इंतजार नहीं होता है. कुछ ही सेकेंड या फिर मिनटों में ट्रेड कर लिया जाता है.
स्विंग ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग उस ट्रेड का कहा जाता है जो यह सोचकर ले लिया जाता है कि किसी शेयर में अच्छा मूवमेंट देखने को मिलेगा. यानी अभी भाव कम है और आने वाले समय में यह भाव ऊपर जाएगा. यानी इस प्रकार के शेयरों को कुछ दिन के लिए या फिर कुछ हफ्तों के लिए रख लिया जाता है. फिर रेट ऊपर जाने के बाद इन्हें बेचकर मुनाफा कमा लिया जाता है.इस प्रकार की ट्रेडिंग ज्यादातर वो लोग करते हैं जो शेयर बाजार के मूवमेंट पर लगातार नजर नहीं बनाए रख सकते. इसका तात्पर्य यह हुआ कि नौकरीपेशा लोग इस प्रकार की ट्रेडिंग करते हैं.
पोजिशनल ट्रेडिंग
पोजिशनल ट्रेडिंग वह ट्रेडिंग कहलाती है जिसमें सबसे कम रिस्क होता है. ऐसी ट्रेडिंग में शेयर को कुछ महीनों के लिए होल्ड कर लिया जाता है. इसे लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग भी कहते हैं. यानी कोई शेयर के उठने की उम्मीद में पोजिशन लेकर तैयार हो जाता है और फिर शेयर के बढ़ने के बाद इसे बेच लेता है. ऐसे ट्रेड कुछ महीनों से लेकर एक साल तक के लिए होल्ड किया जाता है.
आर्बिट्राज ट्रेडिंग
आर्बिट्रेज ट्रेडिंग ऐसी शैली है जो दो या दो से अधिक शेयर बाजारों या एक्सचेंजों में मूल्य अंतर का लाभ उठाने की प्रक्रिया है. ऐसे ट्रेडिंग ज्यादातर बड़ी फर्म करती हैं.
इनवेटिंग इन शेयर
गौरतलब है कि एक साल से अधिक समय के लिए शेयर को होल्ड करने को इनवेस्टमेंट माना जाता है. जो लोग शेयर बाजार में लंबे समय तक के लिए पैसा निवेश करते हैं वे शेयरों के निवेशक कहलाते हैं.