लगभग सभी नौकरीपेशा व्यक्तियों को साल के बीच में Income Tax Return (इन्कम टैक्स रिटर्न या ITR) फ़ाइल करना, या वित्तवर्ष शुरू होते ही दफ़्तर में सालभर में की जाने वाली बचत का डिक्लेरेशन जमा करना झंझट लगता है. इसकी वजह यह है कि ज़्यादातर लोग इन सब बातों को बारीकी से समझते ही नहीं हैं, जबकि असलियत यह है कि अगर कोई बचत की सही घोषणा करे, तो न सिर्फ़ इन्कम टैक्स में बचत कर सकता है, बल्कि साल की शुरुआत में की गई बचत की इसी प्लानिंग की बदौलत पूरे साल के खर्चों की प्लानिंग को भी बेहतर तरीके से अंजाम दे सकता है.
बचत से जुड़ी ऐसी ही ढेरों घोषणाओं में से एक घोषणा वे लोग किया करते हैं, जो किराये के घर में रहते हैं, और जिन्हें अपने वेतन के एक मद में HRA, यानी हाउस रेंट अलाउन्स या मकान किराया भत्ता दिया जाता है. अपने मकान का सपना देखते-देखते किराये के मकान में घर बसाने वाले नौकरीपेशा लोगों को यह HRA, यानी मकान किराया भत्ता वास्तव में इन्कम टैक्स में काफ़ी बचत करवा सकता है, इसलिए बेहद ज़रूरी है कि इसकी घोषणा बिल्कुल सही वक्त पर सही तरीके से की जाए. लेकिन समस्या यह है कि बहुत-से वेतनभोगियों को HRA Exemption का कैलकुलेशन करना ही नहीं आता, और यह जानकारी भी नहीं होती कि उसे कैसे हासिल किया जाए, इसलिए आज हम आपकी मदद करने के लिए यह ख़बर लिख लाए हैं.
किन्हें मिलेगी HRA Exemption, और कैसे...?
किसी भी शख्स को HRA Exemption हासिल करने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि इन्कम टैक्स में HRA छूट किन्हें मिल सकती है. सो, याद रखें, इसके लिए सबसे ज़रूरी दो बातें हैं कि आपको आपके वेतन, यानी तनख्वाह के एक मद में HRA (मकान किराया भत्ता) के रूप में रकम दी जाती हो, और दूसरी बात यह है कि जिस मकान का किराया चुकाने का दावा आप कर रहे हैं, वह आप ही के नाम नहीं होना चाहिए. इन्कम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के सेक्शन 10 (13 ए) के अंतर्गत तनख्वाह पाने वाले किसी भी शख्स को - उसके मूल वेतन, यानी Basic Salary का 50 फ़ीसदी, HRA के तौर पर हासिल होने वाली रकम, या उसके द्वारा वास्तविक रूप से चुकाए गए किराये की रकम में से मूल वेतन का 10 फ़ीसदी घटाने के बाद बची रकम - तीन रकमों में से सबसे छोटी रकम पर इन्कम टैक्स में छूट दी जाती है.
किसे कितनी मिल सकती है HRA Exemption...?
इसी को विस्तार से समझने के लिए हमने यह चार्ट बनाया है. इस PDF चार्ट में छह नौकरीपेशा लोगों का उदाहरण दिया गया है, जिन्हें क्रमशः ₹25,000, ₹50,000, ₹50,000, ₹50,000, ₹75,000 तथा ₹1,00,000 प्रतिमाह मूल वेतन के रूप में हासिल होते हैं. इन्हीं लोगों को क्रमशः अपने मूल वेतन का 50 फ़ीसदी HRA के तौर पर भी प्रतिमाह दिया जाता है, और ये लोग क्रमशः ₹12,500, ₹20,000, ₹25,000, ₹30,000, ₹40,000 तथा ₹45,000 प्रतिमाह किराये के तौर पर दिया करते हैं.
कैसे कैलकुलेट करें HRA Rebate, यानी इन्कम टैक्स में मकान किराये पर मिलने वाली छूट by vivekvrrastogi on Scribd
अगर मूल वेतन है ₹25,000
अब समझें - ₹25,000 मूल वेतन पाने वाले पहले शख्स को ₹12,500 HRA के तौर पर मिलते हैं, और वह ₹12,500 ही किराये के तौर पर हर महीने मकान-मालिक को दिया करता है, तो इस शख्स के मूल वेतन का 50 फ़ीसदी ₹12,500 बनता है, इसे HRA के तौर पर ₹12,500 प्राप्त होते हैं, तथा इसके द्वारा चुकाए गए वास्तविक किराये में से मूल वेतन का 10 फ़ीसदी घटाने के बाद ₹10,000 की रकम सामने आती है. अब चूंकि इन तीन रकमों में सबसे छोटी रकम ₹10,000 है, इसलिए नियमानुसार इस शख्स को प्रतिमाह ₹10,000 या प्रतिवर्ष ₹1,20,000 की रकम पर HRA Exemption हासिल होगा, यानी इस शख्स की करयोग्य आय, यानी टैक्सेबल इन्कम में से ₹1,20,000 घटा दिए जाएंगे, और इस रकम पर वह अधिकतम ₹37,400 की बचत कर सकेगा (उस स्थिति में जब वह शख्स 30 प्रतिशत की स्लैब से टैक्स अदा कर रहा हो, और इस रकम में 4 फ़ीसदी उपकर (Cess) भी शामिल है).
यदि बेसिक सैलरी है ₹50,000
इसी तरह, चार्ट में दर्ज दूसरे व्यक्ति को ₹50,000 बेसिक सैलरी के तौर पर हासिल होते हैं, और HRA के तौर पर उसे ₹25,000 मिलते हैं. यह शख्स हर महीने ₹20,000 किराये के तौर पर अदा करता है. सो, इस व्यक्ति के मूल वेतन का 50 फ़ीसदी, यानी ₹25,000 बनता है, HRA के रूप में मिले ₹25,000 तथा चुकाए गए किराये में से बेसिक सैलरी का आधा घटाने पर ₹15,000 की रकम दिखाई देती है. अब इस शख्स के लिए इन तीन रकमों में सबसे छोटी रकम ₹15,000 है, इसलिए इसे हर महीने ₹15,000 या ₹1,80,000 सालाना की HRA Exemption हासिल होगी. इस तरह यह शख्स इन्कम टैक्स और सेस मिलाकर अधिकतम ₹56,160 की बचत कर सकेगा.
यदि मकान किराया देते हैं ₹25,000 या ₹30,000
तीसरे और चौथे उदाहरण वाले व्यक्तियों को बेसिक सैलरी, यानी मूल वेतन के तौर पर ₹50,000 और HRA के रूप में ₹25,000 ही हासिल होते हैं, लेकिन वे किराये के तौर पर क्रमशः ₹25,000 और ₹30,000 प्रतिमाह दिया करते हैं. अब इन दोनों का मूल वेतन का 50 फ़ीसदी और मिलने वाला HRA तो ₹25,000 ही रहेगा, लेकिन चुकाए गए किराये में से बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत घटाने पर मिलने वाली रकमें क्रमशः ₹20,000 और ₹25,000 होंगी. इसी के आधार पर इन्हें सालाना तौर पर हासिल होने वाली HRA Exemption भी क्रमशः ₹2,40,000 और ₹3,00,000 होगी, जिस पर वे इन्कम टैक्स में क्रमशः सालाना ₹74,880 और ₹93,600 की अधिकतम बचत कर पाएंगे.
अगर मूल वेतन है ₹75,000
चार्ट में दर्ज पांचवें शख्स को मूल वेतन के तौर पर ₹75,000 हासिल हुए, और वह HRA के तौर पर ₹37,500 पाता है. यही शख्स हर महीने ₹40,000 किराये के तौर पर चुकाता है. अब इस शख्स के मूल वेतन का आधा हुआ ₹37,500, HRA मिला ₹37,500, और किराये की रकम से मूल वेतन का 10 फ़ीसदी घटाने पर मिले ₹32,500, इसलिए इसे प्रतिमाह ₹32,500 या प्रतिवर्ष ₹3,90,000 पर HRA Exemption हासिल हो सकती है, जिसके आधार पर वह अधिकतम ₹1,21,680 की बचत इन्कम टैक्स में कर सकता है.
यदि बेसिक सैलरी है ₹1,00,000
अंतिम उदाहरण ऐसे शख्स का है, जिसका मूल वेतन ₹1,00,000 प्रतिमाह है, HRA के मद में ₹50,000 मिला करते हैं, और वह मकान किराये के तौर पर ₹45,000 दिया करता है. अब इस शख्स की तीन रकमें बनेंगी - ₹50,000, ₹50,000 तथा ₹35,000. सो, इन तीन में से सबसे छोटी रकम, यानी ₹35,000 प्रतिमाह या सालाना ₹4,20,000 पर HRA Exemption लेकर यह अधिकतम ₹1,31,040 की बचत इन्कम टैक्स में कर सकता है.
याद रखें ज़रूरी बातें...
वैसे, HRA Exemption पाने के इच्छुकों को एक और बात याद रखनी चाहिए. अगर आप ₹1,00,000 प्रतिवर्ष (यानी ₹8,333 प्रतिमाह) से ज़्यादा मकान किराया चुका रहे हैं, तो आपको अपने मकान-मालिक (भले ही वे आपके माता-पिता या पत्नी हों) का PAN नंबर भी अनिवार्य रूप से दर्ज करना होगा, और मकान-मालिक को किराये से होने वाली इस आय पर इन्कम टैक्स चुकाना होगा. और हां, भूलें नहीं - HRA Exemption पाने के लिए आपके पास मकान किराये की रसीदें भी मौजूद रहनी चाहिए, जो आपको दफ़्तर में जमा करना होंगी.