सरकारी नौकरी करने वालों के मन में अक्सर यह सवाल होता है कि अगर वे समय से पहले नौकरी से इस्तीफा देते हैं, तो क्या उन्हें पेंशन मिलेगी? इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्थिति को पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है. इसे समझने के लिए हमने गुरुग्राम बेस्ड चार्टड अकाउंटेंट (CA) अमित कुमार से बात की. उन्होंने StudyIQ के एक वीडियो का विश्लेषण करते हुए बताया कि अपनी सेवा अवधि पूरी किए बगैर नौकरी से इस्तीफा दे देने के चलते सरकारी कर्मियों को पेंशन से वंचित होना पड़ सकता है. हालांकि उसे PF और ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) के एक पूर्व कर्मचारी से जुड़ा है. अमित कुमार ने इसी मामले पर दिए गए फैसले का विश्लेषण करते हुए पूरा मामला समझाया.
30 साल सेवा, फिर इस्तीफा दे दिया
DTC के पूर्व कर्मचारी ने दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) में कंडक्टर के पद पर नौकरी जॉइन की थी. यहां उन्होंने लगभग 30 साल तक सेवा दी. इसके बाद 7 अगस्त 2014 को उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया. लेकिन कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि इस्तीफा देने से उनकी नौकरी और रिटायरमेंट बेनिफिट्स पर असर पड़ सकता है. इसके बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लेने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने उनकी मांग ठुकराते हुए इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया.
नौकरी छोड़ने के बाद मिस्टर कुमार को प्रॉविडेंट फंड (PF) की राशि तो मिल गई, लेकिन उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट का भुगतान नहीं किया गया. इसके बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उनकी कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची.
क्या है पेंशन रूल्स 1972, जिसका SC ने दिया हवाला?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1972 का हवाला दिया. कोर्ट ने कहा कि रूल 26 के अनुसार, अगर कोई सरकारी कर्मचारी नौकरी से इस्तीफा देता है, तो उसकी पूरी पिछली सेवा समाप्त मानी जाती है. ऐसे कर्मचारी को पेंशन का अधिकार नहीं होता. अब मिस्टर कुमार ने नौकरी से इस्तीफा दिया था, इसलिए उनके मामले में रूल 26 लागू होता है.
क्या इस्तीफे को वॉलंटरी रिटायरमेंट माना जा सकता है?
मिस्टर कुमार ने दलील दी कि उन्होंने 20 साल से ज्यादा की सर्विस पूरी करने के बाद नौकरी छोड़ी है, इसलिए उनके इस्तीफे को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) माना जाना चाहिए और उन्हें पेंशन दी जानी चाहिए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया. कोर्ट ने साफ कहा कि वॉलंटरी रिटायरमेंट के लिए कम से कम 3 महीने का नोटिस पीरियड देना जरूरी होता है, जो कुमार ने नहीं दिया था. इसलिए इसे इस्तीफा ही माना जाएगा, न कि वॉलंटरी रिटायरमेंट.
ग्रेच्युटी पर क्या फैसला आया
ग्रेच्युटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मिस्टर कुमार के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी एक्ट के तहत, अगर कोई कर्मचारी 5 साल से ज्यादा नौकरी करता है, तो वह ग्रेच्युटी का हकदार है.
कुल मिलाकर, इस फैसले से यह साफ हो गया है कि सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने पर पेंशन नहीं मिलती, चाहे सर्विस पीरियड कितना भी लंबा क्यों न हो. हालांकि, ग्रेच्युटी और PF जैसे लाभ कानून के तहत मिल सकते हैं. नौकरी छोड़ने से पहले कर्मचारियों को नियमों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए, ताकि भविष्य में भारी नुकसान से बचा जा सके.














