सोने की खरीदारी से पहले जानें मेकिंग चार्ज और GST का पूरा हिसाब, वरना ज्वैलरी खरीदना पड़ सकता है महंगा

Gold Price Calculation: ज्वेलर्स सोने को पिघलाकर, काटकर, मोड़कर, डिजाइन बनाकर और पॉलिश करके गहना तैयार करते हैं. इस पूरी मेहनत का खर्च मेकिंग चार्ज कहलाता है.सोने की कीमत और गहना बनाने का खर्च मिलाकर ही आपकी ज्वेलरी का बिल बनता है.

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Gold Jewellery Making Charges: भारत में 22 कैरेट ज्वेलरी पर आम तौर पर 5% से 25% तक मेकिंग चार्ज लगता है.
नई दिल्ली:

Making Charges On Gold Jewellery: भारत में सोना सिर्फ गहना नहीं है, यह लोगों की भावनाओं, सुरक्षा और इन्वेस्टमेंट से जुड़ी चीज है. शादी, त्योहार, या फिर बचत... हर मौके पर सोने की खरीद होती है. साल 2025 में सोने ने करीब 66% की बढ़त दिखाई है, और मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय परिवारों के पास 34,600 टन से ज्यादा सोना है. लेकिन जब लोग ज्वेलरी खरीदने जाते हैं तो एक सवाल हमेशा रहता है कि सोना इतना महंगा क्यों मिलता है?

10 ग्राम गोल्ड किन वजहों से इतना महंगा है?

सिर्फ सोने की मार्केट कीमत में नहीं है, बल्कि उन कई खर्चों में है जो ज्वेलरी में जुड़ जाते हैं. यहां हम आपको गोल्ड प्राइस कैलकुलेशन (Gold Price Calculation) का तरीका आसानी से बता रहै हैं, ताकि अगली बार सोना खरीदते वक्त आप पूरे भरोसे के साथ फैसला कर सकें.

महंगाई बढ़ती है तो सोना भी होता है महंगा

जब रोजमर्रा की चीजें महंगी होती हैं तो महंगाई बढ़ती है और पैसों की कीमत कम हो जाती है. ऐसे समय लोग सुरक्षित निवेश की तरफ जाते हैं, जिसमें सोना पहला ऑप्शन होता है.डिमांड बढ़ने पर सोने के भाव भी ऊपर चले जाते हैं.

डॉलर कमजोर होगा तो सोना  होगा महंगा

भारत में सोने की कीमतें डॉलर पर भी चलती हैं.अगर डॉलर कमजोर होता है तो दुनिया में सोना सस्ता दिखता है और खरीद बढ़ जाती है. इस बढ़ी हुई मांग का असर भारत में सोने की कीमत पर भी पड़ता है.

ब्याज दरों का सीधा असर

जब अमेरिका की फेडरल बैंक ब्याज दरें बढ़ाती है, तो निवेशक डॉलर और बॉन्ड में पैसा लगाते हैं क्योंकि वहां रिटर्न मिलता है.सोना रिटर्न नहीं देता, इसलिए डिमांड कम हो जाती है और कीमतें नीचे आ सकती हैं.लेकिन जैसे ही ब्याज दरें घटती हैं, सोने की तरफ फिर भीड़ लग जाती है.

दुनिया में तनाव बढ़ेगा तो सोने के भाव में आएगी तेजी

कोरोना, युद्ध, बैंकिंग संकट और लगातार बढ़ती महंगाई  इन सब अनिश्चित हालात में सोना ही सबसे सुरक्षित माना जाता है.जैसे ही दुनिया में कहीं भी तनाव बढ़ता है, लोग सोना खरीदने लगते हैं और कीमतें बढ़ जाती हैं.

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भारत का वेडिंग और फेस्टिवल सीजन 

भारत में साल भर शादियां और त्योहार चलते रहते हैं.लोग इसे शुभ मानते हैं और बड़ी मात्रा में खरीदारी करते हैं.जितनी ज्यादा खरीदारी, उतनी ज्यादा कीमत.

कस्टम ड्यूटी और GST भी सोने को बनाते हैं महंगा

सरकार ने दो साल पहले कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 6% की थी, लेकिन ग्लोबल रेट्स बढ़ने के चलते फायदा नहीं मिला.अभी भी ज्वेलरी पर3% GST और मेकिंग चार्ज पर 5% GST लगता है यानी आपका कुल बिल और बढ़ जाता है.

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ज्वेलरी पर लगने वाला सबसे बड़ा खर्च मेकिंग चार्ज

ज्वेलर्स सोने को पिघलाकर, काटकर, मोड़कर, डिजाइन बनाकर और पॉलिश करके गहना तैयार करते हैं. इस पूरी मेहनत का खर्च मेकिंग चार्ज कहलाता है.सोने की कीमत और गहना बनाने का खर्च मिलाकर ही आपकी ज्वेलरी का बिल बनता है.भारत में 22 कैरेट ज्वेलरी पर आम तौर पर 5% से 25% तक मेकिंग चार्ज लगता है.डिजाइन जितना ज्यादा मेहनत वाला होगा, चार्ज उतना ज्यादा.

मेकिंग चार्ज कैसे कैलकुलेट होता है?

सोने की ज्वेलरी में मेकिंग चार्ज निकालने के दो तरीके होते हैं. यानी मेकिंग चार्ज दो तरह से लिया जाता है:

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1. प्रति ग्राम रेट के आधार पर

 पहला तरीका ये होता है कि हर ग्राम सोने पर एक तय रेट लगाया जाता है. मान लीजिए किसी ज्वेलर का मेकिंग चार्ज 500 रुपये प्रति ग्राम है और आप 10 ग्राम की ज्वेलरी खरीदते हैं, तो इस हिसाब से कुल मेकिंग चार्ज 5000 रुपये हो जाएगा. यह तरीका सबसे साफ और समझने में आसान माना जाता है, क्योंकि इसमें सीधे-सीधे प्रति ग्राम का रेट बता दिया जाता है

2. प्रतिशत के आधार पर

दूसरा तरीका प्रतिशत के आधार पर होता है, जिसमें ज्वेलरी की कुल कीमत पर एक निश्चित प्रतिशत जोड़ दिया जाता है. जैसे अगर किसी ज्वेलरी की पूरी कीमत 7 लाख रुपये है और ज्वेलर 10 प्रतिशत मेकिंग चार्ज लेता है, तो आपको 70 हजार रुपये सिर्फ मेकिंग चार्ज के रूप में देने पड़ेंगे. यह तरीका महंगा भी पड़ सकता है, खासकर तब जब सोने की कीमत पहले से ही ज्यादा हो.यही कारण है कि प्रतिशत वाला तरीका हमेशा महंगा पड़ता है.

सोने की खरीद पर वेस्टेज चार्ज

सोने का गहना बनाते समय थोड़ी मात्रा में सोना कटाई और फिनिशिंग में खराब होता है.इसी नुकसान की भरपाई वेस्टेज चार्ज के रूप में ली जाती है.आम तौर पर वेस्टेज 5% से 7% होता है, लेकिन अगर डिजाइन बहुत नाजुक हो तो 10% या उससे ज्यादा भी हो सकता है.सबसे आखिर में लगता है GST  और बिल और बढ़ जाता है

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सोना खरीदते समय कुल बिल पर 3% GST लगता है.यानी मेकिंग चार्ज + वेस्टेज + सोने की कीमत सब जोड़कर उस पर 3% टैक्स. इसलिए ज्वेलरी हमेशा बार या रॉ गोल्ड से ज्यादा महंगी पड़ती है.

सोना खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • हमेशा BIS हॉलमार्क वाला सोना लें
  • बिल में मेकिंग चार्ज अलग से लिखा हो
  • ज्वेलर से पूछें कि चार्ज फिक्स है या प्रतिशत
  • आज की गोल्ड रेट पहले चेक करें
  • भारी डिस्काउंट से बचें

सोना खरीदना सिर्फ भावनाओं का नहीं, समझदारी का फैसला भी है.अगर आप मेकिंग चार्ज, वेस्टेज चार्ज और GST समझकर खरीदारी करेंगे,तो आप ज्यादा सही कीमत, कम नुकसान और बेहतर इन्वेस्टमेंट हासिल कर पाएंगे.

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