शेयर बाजार से मुनाफा कमाना इतना आसान नहीं है. करोड़ों लोग शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं लेकिन चंद लोग मुनाफा कमाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि केवल 5-10 फीसदी लोग ही शेयर बाजार में मुनाफा कमाते हैं. वहीं इंट्रा-ट्रेडिंग के दौरान ऑप्शंस में कारोबार करने वाले के बीच कहा जाता है कि करीब 95 फीसदी लोग घाटा उठाते हैं और केवल 5 फीसदी लोग ही मुनाफा बनाते हैं. यह घाटा ज्यादातर लोग केवल इसलिए उठाते हैं क्योंकि वे बाजार की चाल को समझ नहीं पाते हैं. बाजार या शेयर की चाल को समझना और वो भी बारीकी से बहुत जरूरी है.
शेयर बाजार की चाल को समझने के लिए जानकार हमेशा से इंडिकेटर्स की बात करते हैं. ये ट्रेडिंग इंडिकेटर्स बताते हैं कि किसी भी शेयर का भाव कब ऊपर जाएगा और कब नीचे जाएगा. इनके परिणाम सटीक हो भी सकते हैं और नहीं भी... बाजार में कई ट्रेडिंग इंडिकेटर हैं.
शेयर बाजार में कारोबार करने वाले लाखों लोगों को इसके बारे कुछ न कुछ जानकारी होगी. जिन्हें नहीं है उन्हें आज हम कुछ इंडिकेटर्स के बारे में बताएंगे. कोई भी इंडिकेटर किसी शेयर के भाव के बढ़ने और घटने की जो प्रक्रिया चल रही होती है उसी आधार पर यह आगे पर ट्रेंड के बारे में बताने की प्रयास करता है. आगे का ट्रेंड अप होगा या डाउन होगा या फिर साइड वेज होगा. यह सब अंदाजा लगाने में ये इंडिकेटर मदद करते हैं. साथ ही यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहां तक इंडिकेटर ऊपर जाएगा या फिर नीचे जाएगा इसका का अंदाजा लगाया जा सकता है. यहां खास बात यह है कि 100 प्रतिशत अंदाजे की बात नहीं कही जा रही है.
प्रत्येक इंडिकेटर अलग-अलग का तरीका तथा नियम और शर्त अलग-अलग होता है. बहुत सारे बाजार के जानकार अलग अलग इंडिकेटर का प्रयोग कर अपना ट्रेड करते हैं. जो जिस इंडिकेटर के हिसाब से मुनाफा कमा रहा होता है वह उसी इंडिकेटर को सटीक बताता है. सभी लोग अलग अलग इंडिकेटरों की संख्या का या कंबिनेशन का प्रयोग करते हैं. हर इंडिकेटर का अपना महत्व है.
जैसा कि बताया जा चुका है कि हर इंडिकेटर का अपना अपना फायदा है. किसी एक इंडिकेटर पर भरपूर ज्ञान लेना चाहिए. समझना चाहिए प्रयोग करना चाहिए और उससे निर्णय लेना चाहिए. लेकिन धीरे-धीरे अपनी समझ को पहले कागजों पर प्रयोग में लाइए. देखिए कि बाजार कितना आपके निर्णय के हिसाब से चल रहा है. सटीकता की भरपूर समझ हो जाने के बाद ही वास्तविक ट्रेड करना चाहिए. यह चेतावनी समय-समय पर दी जाती रहती है.
एक के बाद दूसरे इंडिकेटर पर पकड़ बनानी चाहिए और फिर दोनों इंडिकेटर का प्रयोग करना पहले कागजों पर करना चाहिए फिर देखना चाहिए कि आपका अंदाजा कितना सटीक होता जा रहा है. किसी भी काम में जल्दबाजी हमेशा नुकसानदायक होती है. यह याद रखना चाहिए.
बाजार के जानकार बताते हैं कि जिस भी इंडिकेटर को आपने समझा है पहले उसकी सटीकता की परख पूरी कर लें. पिछले कुछ महीनों के चार्ट पर जाकर अलग अलग टाइम फ्रेम में उन इंडिकेटरों को चेक करिए. इसके बाद लाइव मार्केट के चार्ट पर परखिए. जैसा कहा गया है कि ट्रायल जरूरी है फिर प्रैक्टिकल कीजिएगा. हर ट्रेडर को यह समझना चाहिए कि उसका निर्णय कम से कम 70-80 प्रतिशत तक जब सटीक होने लगे तभी बाजार में उतरना चाहिए.
जैसा की ऊपर बताया जा चुका है कि बाजार में ट्रेडिंग को लिए सैकड़ों इंडिकेटर हैं. कुछ जरूरी इंडिकेटर हैं जिनके बारे में बात होने जा रही है. यहां यह समझना है कि अलग-अलग ट्रेडर्स की राय इस बारे में अलग हो सकती है कि कौन सा इंडिकेटर जरूरी है. यहां हर आदमी की राय अलग अलग होती है.
सबसे पहला इंडिकेटर जिसके बारे में बात करते हैं वह है सिंपल मूविंग एवरेज (Simple Moving Average ) इंडिकेटर.
बाजार में माना जाता है कि यह इंडिकेटर काफी सरल है. बता दें कि सिंपल मूविंग एवरेज एक साधारण रेखा है जो किसी स्टॉक के बंद होने वाले भाव को एक निश्चित अवधि के दौरान दर्शाती है. इस रेखा से किसी स्टॉक के भाव मे कब क्या उतार-चढ़ाव चला इसकी जानकारी प्राप्त होती है. इस इंडिकेटर से मार्केट में होनेवाली कई गतिविधियों की जानकारी प्राप्त होती है. अच्छा हो कि कोई ट्रेडर मूविंग एवरेज को अच्छे से सीखे और तब इसका उपयोग करे.
दूसरा इंडिकेटर बोललिंगर बैंड्स ( Bollinger Bands ) के बारे में बात करते हैं. ट्रेडरों के बीच यह इंडिकेटर भी काफी पसंद की जाती है. जैसा की नाम में ही बैंड्स का प्रयोग हुआ है, इस इंडिकेटर में कुछ बैंड्स होते हैं. गौरतलब है कि जब किसी स्टॉक का भाव इनके ऊपरी बैंड्स के आसपास होता है तो ये अनुमान लगाया जाता है कि इस स्टॉक का भाव बढ़ रहा है. इसके विपरीत यदि स्टॉक का भाव निचले बैंड के आसपास हो तो ये माना जाता है कि स्टॉक का भाव गिर रहा है अर्थात स्टॉक को बेच देना चाहिए.
तीसरा अहम इंडिकेटर है आरएसआई.. RSI (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स Relative Strength Index)
RSI एक मोमेंटम ऑसिलेटर है. इस इंडिकेटर की वैल्यू 0-100 के बीच होती है. कहा जाता है कि RSI का 0 और 30 के बीच रहने का मतलब है कि स्टॉक ओवरसोल्ड है, इसलिए ट्रेडर को खरीदने के अवसरों को देखना चाहिए. किसी स्टॉक का भाव इसी 0 से 100 के बीच ही चलता रहता है. बता दें कि RSI के 70 और 100 के बीच होने को ओवरबॉट का संकेत माना जाता है, इसलिए ट्रेडर को बेचने के अवसरों को देखना चाहिए.
कहा जाता है कि यदि RSI मूल्य एक क्षेत्र में लंबे समय तक टिक जाता है, तो यह बहुत ज्यादा मोमेंटम को दिखाता है और ऐसे में रिवर्सल की संभावना कम होती है, इसलिए ऐसे में ट्रेडर को मोमेंटम की दिशा में ही ट्रेड करने पर विचार करना चाहिए. बाजार के जानकार बताते हैं कि इस इंडिकेटर का काम यह बताना है कि कम कीमत पर स्टॉक को खरीदा जाए और अधिक कीमत पर बेचा जाए. यानी इससे यह भी पता चलता है बाजार में स्टॉक वास्तविक कीमत से कितना ऊपर या नीचे है. यहां यह भी साफ हो जाता है कि इसे देखने के बाद स्टॉक को खरीदने या बेचने का संकेत मिल जाता है.
एमएसीडी - मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस एंड डाइवर्जेंस (Moving Average Convergence and Divergence – MACD)
बाजार का यह इंडिकेटर दो मूविंग एवरेज के कन्वर्जेन्स और डायवर्जेंस पर काम करता है. कहा जाता है कि इसमें MACD लाइन मध्य रेखा से ऊपर चली जाए तो खरीदने का संकेत होता है और यदि MACD लाइन मध्य रेखा से नीचे चली जाए तो बिक्री का संकेत होता है. बता दें कि MACD अन्य इंडिकेटर से ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है.
एडीएक्स-ऐवरज डायरेक्शनल इंडेक्स (Average Directional Index- ADX)
एडीएक्स एक बेहतरीन इंडिकेटर है जो खासकर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए तो बहुत उपयोगी माना जाता है. यह इंडिकेटर किसी स्टॉक के ट्रेंड की जानकारी देता है. इसके अलावा यह बताता है कि ट्रेन्ड कितना मजबूत है और कितनी देर तक स्टॉक में यह ट्रेन्ड बना रह सकता है. इसमें भी 0 से 100 तक का भाव होता है और स्टॉक का भाव इसी के बीच चलता है और समय-समय पर ट्रेंड के संकेत मिलते हैं. जानकार इन्हीं संकेतों के आधार पर ट्रेडिंग करते हैं. यह काफी महत्वपूर्ण इंडिकेटर है जिसके बारे में विस्तृत अध्ययन करना चाहिए.
इस लेख में बाजार में मौजूद प्रमुख इंडिकेटर्स के बारे में बताया गया है. जरूरी यह है किसी इंडिकेटर का प्रयोग करने से पहले यह जरूरी है कि अच्छे से अध्ययन किया जाए. किसी जानकार की निगरानी में पहले ट्रेड की प्रैक्टिस की जाए फिर इस प्रयोग में लाया जाए.