- भारत में धनतेरस पर सोना खरीदना परंपरा के साथ-साथ निवेश का भी लोकप्रिय विकल्प बन गया है
- डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड विकल्प निवेशकों को अधिक लिक्विडिटी और सुरक्षा प्रदान करते हैं
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सालाना 2.5 प्रतिशत फिक्स ब्याज मिलता है और 8 साल बाद कैपिटल गेन टैक्स मुक्त होता है
भारत में त्योहारी सीजन चल रहा है. बीते दिन देशवासियों ने करवा चौथ का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया. अब बारी धनतेरस और दिवाली की है. धनतेरस पर सोना खरीदना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि निवेश भी माना जाता है. लेकिन डिजिटल होते भारत में आज निवेश के तरीके भी डिजिटल हो रहे हैं. फिजिकल ज्वैलरी के साथ डिजिटल गोल्ड, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे कई ऑप्शन निवेशकों के लिए मौजूद हैं.
अगर आप इस त्योहारी सीजन में निवेश के नजरिए से सोना खरीद रहे हैं, तो आपको बताते हैं कि कौन सा विकल्प आपको सबसे ज्यादा मुनाफा, सेफ्टी और टैक्स सेविंग दे सकता है.
बेस | फिजिकल गोल्ड | डिजिटल गोल्ड | गोल्ड ETF | सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) |
शुद्धता | 22 कैरेट (मेकिंग चार्ज) | 24 कैरेट (99.9%) | 24 कैरेट (99.5%+) | 24 कैरेट (100%) |
लागत | मेकिंग चार्ज (5-20%) + 3% GST | 3% GST | कम सालाना खर्च अनुपात (0.5-1%) | जीरो मेकिंग चार्ज, जीरो GST |
सेफ्टी | चोरी का जोखिम | सेलर की तिजोरी में सेफ | डीमैट अकाउंट में पेपर फॉर्म | रकारी गारंटी (सबसे सुरक्षित) |
मिनिमम निवेश | वजन के अनुसार | 100 रुपये से शुरू | एक यूनिट की कीमत | एक ग्राम की कीमत |
लिक्विडिटी | कभी भी बेच सकते हैं | कभी भी बेच सकते हैं | शेयर बाजार के अनुसार | 8 साल (मैच्योरिटी) या 5 साल बाद एग्जिट |
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) के फायदे
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को निवेश के लिए सबसे बेहतरीन विकल्प माना जाता है, इसके दो बड़ी वजह हैं:
- फिक्स ब्याज: आपको सोने की कीमत बढ़ने के साथ-साथ इसमें सालाना 2.5% का फिक्स ब्याज भी मिलता है, जो सीधे आपके खाते में जमा होता है.
- अगर आप बॉन्ड को 8 साल की मैच्योरिटी पीरियड तक रखते हैं, तो सोने की बढ़ी हुई कीमत पर मिलने वाले पूरे मुनाफे पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है. यह टैक्स बचत किसी दूसरे गोल्ड निवेश ऑप्शन में नहीं मिलती.
गोल्ड ETF और डिजिटल गोल्ड की खासियत
ETF और डिजिटल गोल्ड की सबसे बड़ी खूबी इनकी लिक्विडिटी है. यानी इन्हें आप आसानी से खरीद और बेच सकते हैं.
- अगर आप डिजिटल गोल्ड या ETF को 3 साल से कम पीरियड के लिए अपने पास रखते हैं तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. यानी कमाया हुआ मुनाफा आपकी टोटल इनकम में जुड़ जाता है. फिर इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर आपको टैक्स देना होगा.
- वहीं, 3 साल से ज्यादा पीरियड के लिए होल्ड करने पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (20.8%) टैक्स लगता है.
फिजिकल ज्वैलरी
त्योहारी सीजन में गहने खरीदना पारंपरिक रूप से जरूरी है, पर निवेश के नजरिए से यह सबसे कम फायदेमंद है. क्योंकि मेकिंग चार्ज और 3% GST की वजह से आप शुरू में ही 5-20% ज्यादा खर्च करते हैं. हालांकि, ज्वैलरी/सिक्के बेचने पर टैक्स का नियम भी ETF/डिजिटल गोल्ड जैसा ही है, लेकिन आपको मेकिंग चार्ज के रूप में एक बड़ी रकम का नुकसान उठाना पड़ता है.
कैसे चुनें ऑप्शन
- अगर टारगेट सिर्फ निवेश और टैक्स बचत है तो SGB चुन सकते हैं. क्योंकि इसे 8 साल बाद जीरो टैक्स और 2.5% एक्सट्रा ब्याज इसे सबसे फायदेमंद बनाती है.
- अगर लिक्विडिटी चाहिए तो गोल्ड ETF चुन सकते हैं. इसे स्टॉक एक्सचेंज से तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है, और यह डीमैट फॉर्म में सेफ रहता है.
- सिर्फ परंपरा निभानी है तो ज्वैलरी खरीदते समय मेकिंग चार्ज पर मोलभाव करें और शुद्धता के लिए BIS हॉलमार्क जरूर चेक करें.