EPFO ने EPS 95 के तहत पेंशन के लिए फॉर्मूले में बदलाव का किया प्रस्ताव: सूत्र

EPFO अगर पेंशन के लिये फॉर्मूले में बदलाव करता है, तो इससे निश्चित रूप से हायर पेंशन का विकल्प (EPFO Higher Pension Option) चुनने वालों समेत सभी की मासिक पेंशन का निर्धारण मौजूदा फॉर्मूले के मुकाबले कम होगा.

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EPFO ने हायर पेंशन का विकल्प (EPFO Higher Pension Option) चुनने की समयसीमा बढ़ाकर 26 जून, 2023 कर दिया है.
नई दिल्ली:

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees' Provident Fund Organisation) यानी ईपीएफओ (EPFO) मासिक पेंशन निर्धारण के मौजूदा फॉर्मूले में बदलाव पर गंभीरता से विचार कर रहा है. इसके तहत पूरी पेंशन योग्य सेवा के दौरान प्राप्त औसत पेंशन योग्य वेतन के आधार पर मासिक पेंशन निर्धारित करने का प्रस्ताव है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि, यह अभी सिर्फ प्रस्ताव के स्तर पर है और इसपर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. इस बारे में अंतिम निर्णय पेंशन, उसके लिये भुगतान राशि और जोखिम का आकलन करने वाले ‘एक्चुअरी' की रिपोर्ट आने के बाद किया जाएगा. इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने यह जानकारी दी. 

फिलहाल ईपीएफओ कर्मचारी पेंशन योजना (Employees' Pension Scheme) यानी ईपीएस (EPS) के तहत मासिक पेंशन के निर्धारण के लिये पेंशन योग्य वेतन (अंतिम 60 महीने का औसत वेतन) गुना पेंशन योग्य सर्विस / 70 .फॉर्मूले का उपयोग करता है. सूत्र के अनुसार, ‘‘ईपीएस (95) के तहत मासिक पेंशन के लिये फॉर्मूले को बदलने का प्रस्ताव है इसमें पेंशन योग्य वेतन अंतिम 60 महीने के औसत  वेतन की जगह पेंशन योग्य सेवा के दौरान प्राप्त औसत पेंशन योग्य वेतन को शामिल करने की योजना है.''

ईपीएफओ अगर पेंशन के लिये फॉर्मूले में बदलाव करता है, तो इससे निश्चित रूप से उच्च पेंशन का विकल्प चुनने वालों समेत सभी की मासिक पेंशन का निर्धारण मौजूदा फॉर्मूले के मुकाबले कम होगा. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लेते हैं कि अधिक पेंशन का विकल्प (EPFO Higher Pension Option) चुनने वाले का अंतिम 60 महीने का औसत वेतन 80,000 रुपये बैठता है और उसकी पेंशन योग्य नौकरी 32 साल है. ऐसे में मौजूदा फॉमूले (80,000 गुना 32/70 ) के तहत उसकी पेंशन 36,571 रुपये होगी. वहीं, जब पूरी पेंशन योग्य नौकरी के दौरान वेतन का औसत लिया जाएगा तो मासिक पेंशन का निर्धारण कम होगा, क्योंकि नौकरी के शुरूआती दिनों में वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) कम होता है.

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पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार से सब्सक्राइबर्स को हायर पेंशन का ऑप्शन चुनने के लिये चार महीने का समय देने को कहा था. ईपीएफओ ने सब्सक्राइबर्स को हायर पेंशन का विकल्प चुनने के लिये नियोक्ताओं के साथ संयुक्त विकल्प फॉर्म भरने के लिये ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराई है. इसके लिये समयसीमा पहले तीन मई, 2023 थी, जिसे बढ़ाकर 26 जून, 2023 कर दिया गया है. वर्तमान में ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स पेंशन के लिये निर्धारित सीमा 15,000 रुपये मासिक वेतन पर योगदान करते हैं जबकि उनका वास्तविक वेतन इससे कहीं अधिक है.ऐसे में हायर पेंशन के विकल्प से उन्हें ज्यादा मासिक पेंशन मिल पाएगी.

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कर्मचारी ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजना में 12 प्रतिशत का योगदान करते हैं. वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत योगदान में से 8.33 प्रतिशत ईपीएस (EPS) में जाता है. शेष 3.67 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में जाता है. सरकार कर्मचारी पेंशन योजना में 15,000 रुपये मूल वेतन की सीमा पर 1.16 प्रतिशत का योगदान सब्सिडी के रूप में देती है.

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फॉर्मू्ले में बदलाव की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा, ‘‘वास्तव में यह माना जा रहा है कि लंबे समय तक अधिक पेंशन देने से वित्तीय बोझ पड़ेगा. इसीलिए नये फॉर्मूले पर विचार किया जा रहा है.'' पेंशन फंड  (Pension Fund) में पड़े 6.89 लाख करोड़ रुपये के फंड से जुड़े एक सवाल के जवाब में सूत्र ने कहा कि यह पैसा केवल पेंशनर्स का नहीं है बल्कि ईपीएफओ से जुड़े सभी सब्सक्राइबर्स का है और ईपीएफओ को सभी का ध्यान रखना है. ईपीएफओ की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, पेंशन फंड में 6,89,211 करोड़ रुपये जमा हैं. ईपीएस फंड पर ईपीएफओ को 2021-22 में 50,614 करोड़ रुपये का ब्याज मिला.

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