ट्रेन में मिलने वाले खाने को लेकर मुसाफिरों की शिकायतें पुरानी हैं,इनकी सुनवाई हो इसके लिए आईआरसीटीसी (IRCTC) शुरुआत रहा है,अब फूड सेफ्टी सुपरवाइजर की तैनाती भी होगी और लैब में खाने की जांच भी होगी. लंबे अरसे से चली आ रही ट्रेन में खान पान की शिकायतें अब दूर होंगी, आईआरसीटीसी की नई शुरुआत पर अमल होने से खाने की गुणवत्ता का स्तर बेहतर होगा. इस दिशा में आईआरसीटीसी ने ऑनलाइन बोली (E-bids) आमंत्रित की हैं. इसके तहत आईआरसीटीसी अपने हर बेस किचन में फ़ूड सेफ्टी सुपरवाइजर की नियुक्ति करेगा.
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साथ ही आईआरसीटीसी और लाइसेंसी दोनों की बेस किचन की निगरानी भी होगी. खाना बनाने से लेकर परोसने तक में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों की लैब में जांच होगी.खासतौर पर मसाले, तेल ,घी और कच्ची चीजों की रैंडम टेस्टिंग होगी. इतना ही नहीं, यात्रियों के फीडबैक लेने के लिए स्वतंत्र एजेंसी भी चुनी जाएगी. आईआरसीटीसी कैटरिंग निदेशक देबाशीष चंद्र ने कहा कि इस प्रयास में हम नए दिशा की ओर जा रहे हैं,हमारे किचन में फूड सेफ्टी सुपरवाइजर रहेंगे,जो खाने का गुणवत्ता सिर्फ टेस्ट से ही नहीं बल्कि लैब में उसकी जांच भी होगी,कोरोना के बाद जो खाना परोसने का काम मिला है उसमें कोई कमी न रह जाए. देश में आईआरसीटीसी की 46 किचन हैं.
इनसे पूरे ट्रेन नेटवर्क की करीब 70% ट्रेनों को खाना परोसा जाता है,कोरोना से पहले आईआरसीटीसी की कमाई का 45% राजस्व खाने से आता था,बीते कुछ महीनों में कोरोना की वजह से ट्रेनों में आई कमी से ये घटकर 20% पहुंच गया है,अब सुधार के साथ साथ यात्रियों की भी राय ली जाएगी.
देबाशीष चंद्र का कहना है कि एक नया चीज करने जा रहे हैं ग्राहक संतुष्टि सर्वे,हमारे लिए ग्राहक भगवान है,सर्विस हमारा ठीक है कि नहीं इसके लिए कस्टमर सेटिस्फेक्शन सर्वे करेंगे,किसी ट्रेन में सुधारने की जरूरत अगर हो तो कर सकते हैं. सुधार की ये कोशिश स्वाद से लेकर मुसाफिरों को स्वास्थ्यवर्धक खाना परोसने की है,उम्मीद यही है कि इस पहल के नतीजे यात्रियों को जल्द चखने को मिलेंगे.