Blogs | Ravish Kumar |मंगलवार जून 28, 2016 08:03 PM IST कोई अपनी पूरी ईमानदारी एक काले बैग में समेट कर आपके सामने आकर बैठ जाए तो आप उस व्यक्ति से मुख़ातिब नहीं होते बल्कि सत्ता तंत्र के भयावह रूप के सामने किसी निरीह और अकेले कबूतर की तरह उस व्यक्ति को फड़फड़ाते देखते हैं।