Blogs | गुरुवार अप्रैल 30, 2015 11:50 AM IST विल्फ्रेड ओवन की प्रथम विश्व युद्ध पर लिखी कविता पढ़ रहा था। कविता कितनी समझ आ रही थी यह अलग बात है मगर इस किताब के ज़रिये उस वक्त मैं 1914 के साल में ही था, जब बिस्तर कांपने लगा। एक झटके में मैं सौ साल का सफ़र तय करते हुए 2015 के इस क्षण में आ गया।