Blogs | शनिवार अप्रैल 18, 2015 12:36 AM IST क्या पत्थर या पाषाण से भी जुड़ा कोई दार्शनिक पहलू हो सकता है? या क्या कोई पत्थर भी बोल सकता है? ये सवाल जब आप उत्तर वाहिनी मां गंगा के किनारे बने काशी के घाटों पर आते हैं तो बरबस आपके मन में आ सकता है। यहां ऐसा क्या है कि मां गंगा भी इन घाटों से ऐसी बहती हैं मानो विलास कर रही है।