'Supreme court sabarimala case'

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  • File Facts | ख़बर न्यूज़ डेस्क |शुक्रवार सितम्बर 28, 2018 07:34 AM IST
    केरल के सबरीमला मंदिर (Sabarimala Temple Case) में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ आज यानी शुक्रवार को फैसला सुनाएगी. फिलहाल 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाना है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आठ दिनों तक सुनवाई करने के उपरांत 1 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |शुक्रवार सितम्बर 28, 2018 12:03 AM IST
    केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ शुक्रवार को फैसला सुनाएगी. फिलहाल 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |मंगलवार सितम्बर 4, 2018 12:38 PM IST
    इस महीने सुप्रीम कोर्ट से कई बड़े और ऐतिहासिक फैसले आएंगे. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर हो जाएंगे, लेकिन इससे पहले वह कई चर्चित मामलों की सुनवाई करेंगे. ऐसे में उनकी अगुवाई में बेंच ने कई अहम मुद्दों की सुनवाई की जिन पर फैसला सुरक्षित रखा गया. अब ये बड़े फैसले कभी भी एक के बाद एक आ सकते हैं. जिन चर्चित मामलों में सीजेआई दीपक मिश्रा फैसला सुना सकते हैं उनमें आधार, अयोध्या मामला, समलैंगिकता, सबरीमाला मंदिर मामला और नौकरी में आरक्षण सहित कई अहम मामले शामिल हैं. 
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |गुरुवार जुलाई 19, 2018 01:31 PM IST
    केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी राजू राम चंद्रण ने कहा कि सबरीमाला में एक उम्र सीमा के महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी उसी तरह है जैसे दलितों के साथ छुआछूत. मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस राजू राम चंद्रन ने कहा अगर किसी महिला को मासिक धर्म की वजह से रोका जाता है तो ये भी दलितों से छुआछूत की तरह भेदभाव जैसा है. बता दें कि केरल हाईकोर्ट ने इस पाबन्दी को सही ठहराते हुए कहा था कि मंदिर जाने से पहले 41 दिन का ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना होता है. महिलाएं मासिक धर्म की वजह से अपवित्र होती हैं और वो इसे पूर्ण नहीं कर पातीं. लिहाज़ा उनके प्रवेश पर पाबंदी जायज है. केरल हाइकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
  • India | Reported by: आशीष कुमार भार्गव |शुक्रवार अक्टूबर 13, 2017 11:19 AM IST
    केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध का मामला पांच जजों की संविधान पीठ को भेजा गया.
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