बीजेपी की सीनियर नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी ही पार्टी की परिवर्तन यात्रा के अंतिम चरण में शामिल नहीं हुईं तो सवाल उठने लगे. बीजेपी की परिवर्तन यात्रा में राजे की गैरमौजूदगी पर सवाल खड़े हो रहे हैं. परिवर्तन संकल्प यात्रा राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र कोटा, बूंदी और झालावाड़ से होकर गुजरी थी. जब कि झालावाड़ तो वसुंधरा राजे का निर्वाचन क्षेत्र हैं. इस क्षेत्र का वह पिछले 33 सालों से विधायक और सांसद के तौर पर प्रतिनिधित्व करती रही हैं. लेकिन यहां पर निकलने वाली परिवर्तन यात्रा में वह शामिल नहीं हुईं. विधानसभा चुनाव से पहले निकाली जा रही बीजेपी की यह परिवर्तन यात्रा गुरुवार शाम को कोटा में समाप्त हुई. इस दौरान भी वसुंधरा वहां से गायब रहीं. इसके बाद बीजेपी में उनके भविष्य को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है.
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परिवर्तन रैली में नहीं पहुंची वसुंधरा राजे
परिवर्तन रैली में भले ही वसुंधरा राजे नहीं पहुंची हों लेकिन उनके बेटे दुष्यंत सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ शामिल हुए लेकिन जनता में उनको लेकर ज्यादा उत्साह नहीं देखा गया. जब कि इस क्षेत्र में वसुंधरा राजे की अपील को देखते हुए अच्छे मतदान की उम्मीद जताई जा रही है. गौर करने वाली बात यह है कि असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी जैसे अन्य राज्यों के सीएम बीजेपी की रैली में जोश भरने के लिए वहां मौजूद रहे लेकिन राज्य की पूर्व सीएम ही वहां मौजूद नहीं रहीं.इसे लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं.
क्या पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं?
वहीं बीजेपी सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे का परिवर्तन रैली में शामिल ना होने की वजह उनका दिल्ली में होना है. वह किसी निजी कारण से गुरुवार को दिल्ली में मौजूद थीं. जब असम के सीएम से वसुंधरा की गैरमौजूदगी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे टाल दिया.उन्होंने इतना कहकर बात को खत्म कर दिया कि "जब हम भारत माता की जय कहते हैं तो हम सभी एक होते हैं. वहीं बीजेपी प्रवक्ता विकास बारहट ने भी राजे की पार्टी में किसी भी तरह की अनबन ने इनकार किया है. उनके मुताबिक वसुंधरा परिवर्तन रैली में शामिल नहीं हो सकी और अगर दिल्ली गई हैं तो उसका कारण आलाकमान के साथ बैठक है.
कोटा में हुआ परिवर्तन यात्रा का समापन
बता दें कि वसुंधरा राजे के करीबी और कोटा नॉर्थ के पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल और राजावत से तीन बार के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने कोटा में परिवर्तन रथ के पहुंचते ही उसका स्वागत किया. इसके बाद असम के सीएम हिमंता विस्बा सरमा ने स्टेडियम में सार्वजनिक बैठक को संबोधित किया.इस दौरान मंच पर उनके साथ पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी, कल्पना राजे और अन्य स्थानीय बीजेपी विधायक मौजूद रहे लेकिन प्रह्लाद गुंजल और भवानी सिंह को मंच पर नहीं देखा गया. बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले कोटा में परिवर्न यात्रा का फीका समापन इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है.
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