Rajasthan News: किसानों की जिंदगी में घुली 'खजूर की मिठास', बंपर पैदावार से अच्छी कमाई की उम्मीद

जोधपुर स्थित केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में खजूर की अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा निरन्तर शोध कार्य किया जा रहा है. उसी का परिणाम है कि इस वर्ष खजूर के प्रत्येक पेड़ पर 100 किलों से भी अधिक गुणवत्तापूर्ण खजूर के फल प्राप्त हुए हैं. 

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विशेषज्ञों का मानना है कि खजूर की खेती के लिए राजस्थान की जलवायु उत्तम है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जोधपुर:

अरब के खजूर की पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर में इस बार बंपर पैदावार हुई है. काजरी के वैज्ञानिकों की मेहनत से इस बार किसानों को अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है. विशेषज्ञों का मानना है कि खजूर की खेती के लिए राजस्थान की जलवायु उत्तम है. 

बता दें कि जोधपुर स्थित केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) में खजूर की अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा निरन्तर शोध कार्य किया जा रहा है. उसी का परिणाम है कि इस वर्ष खजूर के प्रत्येक पेड़ पर 100 किलों से भी अधिक गुणवत्तापूर्ण खजूर के फल प्राप्त हुए हैं. 

साल 2015 में आनन्द कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात द्वारा विकसित खजूर की किस्म एडीपी-1 के 150 टिश्यू कल्चर पौधे यहां लगाए गए थे, जिसके लगाने के तीसरे साल में फल आना शुरू हो गया था. वहीं, चौथे व पांचवें साल तक 60 से 80 किलो तक फल प्राप्त होने लगे थे. 

अरबी खजूर में चूंकि नर व मादा पुष्प अलग-लग पेड़ों पर आते हैं, ऐसे में कृत्रिम परागण एक आवश्यक क्रिया है जो कि प्रत्येक वर्ष करना अनिवार्य है. फरवरी के महीने में पुष्पण होने पर नर के पौधों से पराग लेकर मादा के फूलों में परागण किया जाता है. पराग को 4 डिग्री सेल्सियन तापमान पर स्टोरेज करके अगले वर्ष भी परागण के लिए उपयोग में लिया जा सकता है 

काजरी के वैज्ञानिक का यह है कहना

काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.अकथ सिंह का कहना है कि गुणवत्तापूर्ण फलों के उत्पादन के लिए फसल नियमन और गुच्छों का प्रबन्धन बहुत महत्वपूर्ण है. परागण का काम फूल खिलने से 36 से 48 घण्टे के भीतर कर देना चाहिए व सर्वोत्तम गुणवत्ता के लिए प्रति पेड़ केवल 12 से 15 गुच्छों को रख कर शेष को हटा देना चाहिए जिससे उत्तम किस्म के खजूर प्राप्त होते हैं. 

काजरी डायरेक्टर का यह है कहना 

काजरी के डायरेक्ट डॉ. ओपी यादव का कहना है कि खजूर की किस्म एडीपी-1 सफल रही है. यह शुष्क और अर्द्धशुष्क जलवायु की फसल है. इसकी विशेषता यह है कि फल बारिश आने से पहले ही पक जाते हैं. इनके परिणाम लगातार सकारात्मक रहे हैं. इसकी क्वालिटी भी सामान्य खजूर फल की अपेक्षा अच्छी और मीठी है. साथ ही इसका रंग भी लाल सुर्ख है. 

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उन्होंने कहा कि हम खजूर की खेती के लिए किसानों को जागरूक कर रहे हैं. पश्चिमी राजस्थान की जलवायु इस खेती के लिए बेहतर है. इसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है.

गौरतलब है कि खजूर अरब देश का फल है. खजूर के पौधे का जड़ पानी में और सिर धूप में रहता है. यानि तेज गर्मी के साथ इसको पानी भी खूब चाहिएय एक पौधा 50 से लेकर 300 लीटर तक पानी पी जाता है.साथ ही ये पौधा 80 साल तक जीवीत रह सकता है. 

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पोषक तत्वों से भरपूर है यह खजूर

कादरी में वैज्ञानिकों की देखरेख में तैयार किए गए खजूर में 3 हजार कैलोरी उर्जा प्रति किलोग्राम होती है. खजूर में 44 फीसदी शर्करा, 4.4 से 11.5 फीसदी फाइबर, 15 प्रकार के मिनरल्स, फॉलिक एसिड और 7 प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं. 

आम जनता भी खरीद सकती है यह खजूर

काजरी में इस बार हुई खजूर की बंपर पैदावार के बाद इन खजूरों की डिमांड भी बढ़ी है. आम नागरिक भी काजरी परिसर से ही इन खजूरों को खरीद सकते हैं. 

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