रेगिस्तान का स्वच्छंद आसमान भी अब पक्षियों के लिए सुरक्षित नहीं रहा. राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण सहित कई दुर्लभ प्रजातियां अब धरती के साथ-साथ आसमान में बिजली के तारों से भी दम तोड़ रही हैं. हाइटेंशन बिजली के तार पक्षियों की मौत के सबब बन रहे हैं. पिछले दो माह में बिजली के तारों से टकराने से 16 दुर्लभ पक्षियों की मौतें हो चुकी है. लेकिन बिजली तारों से हो रहे हादसों की रोकथाम को लेकर सरकार व प्रशासन गंभीर नहीं है. इस वजह से हादसे थम नहीं रहे हैं.
देगराय ओरण में पिछले दो माह 15 से अधिक प्रवासी पक्षी कुरजां, टोनी ईगल, स्टेपी ईगल, बाज व गिद्ध हाइटेंशन लाइनों की चपेट में आने से जान गंवा चुके हैं.
विलुप्त प्रजातियों को मिल रही दर्दनका मौत
वन्यजीव प्रेमी धर्मेंद्र पु़निया ने बताया कि वन्यजीव बाहुल्य लाठी, देगराय ओरण प्रवासी व पक्षियों के विचरण के लिए पसंदीदा जगह है. यहां हजारों पक्षी विचरण करते हैं। लेकिन ओरण के अंदर से निकल रही हाईटेंशन लाइनें पक्षियों की जान ले रही है. मरने वाले पक्षियों में कई विलुप्त व दुर्लभ प्रजाति के पक्षी शामिल है. गुरुवार (18 दिसंबर) को भी लोहारकी गांव के पास में बिजली कि हाइटेंशन लाइन की चपेट में आने से दुर्लभ प्रजाति का पक्षी तिलोर की दर्दनाक मौत हो गई है.
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गोडावण को बचान में जुड़े हैं वैज्ञानिक
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड लंबे पैर और लंबी गर्दन वाले लंबे पक्षी हैं. ये 4 फीट तक लंबे होते है. इनका अधिकतम वजन 15 किलोग्राम तक होता है. गोडावण वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के शेड्यूल 1 के तहत संरक्षित पक्षी है. इसके अलावा 2020 में जंगली जानवरों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर हुए कन्वेंशन में भी गोडावण को अति दुर्लभतम पक्षी माना गया था. दुनिया में सिर्फ राजस्थान में ही गोडावण पक्षी पाए जाते हैं और जंगलों में इनकी संख्या 100 के करीब है. भारतीय वन्यजीव संस्थान सहित कई वैज्ञानिक गोडावण को लुप्त होने से बचाने में लगे हैं. लेकिन उनके घर के स्वछंद आसमान की तारबंदी हाइटेंशन पावर लाइनों से की जा रही है.
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