भरतपुर: इंसाफ की उम्मीद में छूट गई मज़दूरी, फिर भी नहीं मिला न्याय, जानें पूरा मामला

भरतपुर में महिला की डिलीवरी के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा बच्चा बदलने का एक मामला सामने आया है. इस मामले में शिकायत दर्ज कराए 7 महीने का समय बीत चुका है लेकिन पीड़ित दम्पति को अब तक न्याय नहीं मिला है.

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प्रतीकात्मक फोटो
भरतपुर:

राजस्थान के भरतपुर स्थित एक जनाना अस्पताल में करीब 7 महीने पहले एक डिलीवरी के दौरान स्टाफ पर बच्चे बदलने का आरोप लगा था. जिसे लेकर अस्पताल में एक दम्पति ने ज़बरदस्त हंगामा भी किया था. मौके पर पुलिस प्रशासन और अस्पताल प्रशासन ने दम्पति का डीएनए टेस्ट भी कराया था लेकिन दंपत्ति को डीएनए रिपोर्ट आज तक नहीं मिली है. हालांकि जिस बच्चे को अस्पताल प्रशासन ने दम्पति को सौंपा था वह उसे अपना बच्चा मानकर अब तक उसका पालन पोषण कर रहे हैं. लेकिन न्याय न मिलने से जहां दम्पति परेशान है वहीं उनकी कमाई का एक मात्र ज़रिया उनकी मज़दूरी भी छूट चुकी है.  

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दरअसल, इसी साल 9 जनवरी को फतेहपुर सीकरी के यशपाल जाट की पत्नी ने थाना मथुरा गेट में एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी, इस रिपोर्ट में बताया गया था कि उसे प्रसव पीड़ा के दौरान जनाना अस्पताल में भर्ती कराया गया था, सामान्य डिलीवरी के दौरान उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया और जब उन्होंने नर्स के हाथ में बच्चा देखा तो वह हृष्ट पुष्ट और सावले रंग का था. जिसके बाद डॉक्टर ने परिजनों को दवाई लाने के लिए भेज दिया था.  

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बच्चे के जन्म के बाद जब डॉक्टर और नर्स से बच्चे का हाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बच्चा स्वस्थ है लेकिन अस्पताल से घर जाने के बाद जब दम्पति ने बच्चे को देखा तो वह काफी दुबला-पतला था. जिसके बाद परिजनों ने जनाना अस्पताल जाकर इस बात की शिकायत की कि यह बच्चा उनका नहीं है. जिस पर अस्पताल के स्टाफ ने दम्पति को अस्पताल से भगाने की कोशिश की तो दम्पति ने वहां जमकर हंगामा काटा. जिसके बाद दंपति का डीएनए टेस्ट कराया गया और दम्पति को बताया गया कि 3 महीने में डीएनए की रिपोर्ट आ जाएगी लेकिन आज तक डीएनए की रिपोर्ट नहीं आने के कारण दंपत्ति को न्याय नहीं मिला पाया है. 

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वहीं, मामले में यशपाल की पत्नी ने बताया कि हम एसपी ऑफिस, आईजी ऑफिस भी गए थे, जहां स्टाफ ने हमारी सुनवाई नहीं की और कहा कि आईजी साहब अभी नहीं हैं, आएंगे तो हमें उनसे मिलवा दिया जाएगा. यशपाल ने कहा कि पुलिस के चक्कर काटते-काटते काफी समय गुजर गया है. मैं मजदूरी का काम करता हूं न्याय मिलने की उम्मीद के कारण मेरी मजदूरी भी छूट गई है लेकिन मुझे अब तक न्याय नहीं मिला.
 

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