- पंजाब सरकार ने सितंबर 2024 में ‘ऑपरेशन जीवनज्योत’ अभियान शुरू कर बाल भिक्षावृत्ति रोकने का प्रयास किया है.
- नौ महीनों में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से 367 बच्चों को बचाकर उनके परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाया गया है.
- बच्चों के साथ पाए गए वयस्कों का डीएनए परीक्षण कर असली माता-पिता की पहचान करने का काम किया जा रहा है.
पंजाब की मान सरकार की एक शानदार पहल समाज में लगातार बदलाव ला रही है. प्रदेश में राज्य सरकार ने ‘ऑपरेशन जीवनज्योत' शुरू किया है. इसके तहत सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों में किताबें थमाने का सपना देखा गया और इसमें सरकार काफी हद तक सफल होती भी नजर आ रही है. बीते नौ महीनों में पंजाब की गलियों, चौराहों और धार्मिक स्थलों से 367 बच्चों को बचाया गया है. यह संख्या सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि बचपन को लौटाने और गरिमा को फिर से पाने की कहानी है.
पंजाब की मान सरकार ने सितंबर 2024 में अभियान की शुरुआत की. 753 बचाव अभियानों में से ज्यादातर अधिकांश ऐसे स्थानों पर हुए जहां बाल भिक्षावृत्ति और रैग-पिकिंग की घटनाएं आम थीं, जैसे रेलवे स्टेशन, बाजार, मंदिर और ट्रैफिक सिग्नल. बचाए गए 350 बच्चों को उनके परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाया गया और जिन बच्चों के परिवारों का सुराग नहीं मिला उन 17 बच्चों को बाल गृहों में सुरक्षित रखा गया.
183 बच्चों का स्कूलों में कराया दाखिला
इन बच्चों में से 183 को स्कूलों में दाखिला दिलाया गया और 13 छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में शामिल किया गया. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के 30 बच्चों को 4,000 रुपये प्रति माह की सहायता दी जा रही है, जिससे उनकी पढ़ाई जारी रह सके. वहीं 16 बच्चों को पेंशन योजनाओं से जोड़ा गया और 13 बच्चों को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया गया.
साथ ही इन बच्चों की स्थिति पर निगरानी भी रखी जा रही है. जिला बाल संरक्षण इकाइयां हर तीन महीने में यह जांच करती है कि यह बच्चे अपनी पुरानी जिंदगी में तो वापस नहीं लौट गए हैं. हालांकि अब तक 57 बच्चे ऐसे हैं, जो फॉलोअप में नहीं मिल पाए. इसी कारण प्रोजेक्ट जीवनज्योत-2 की शुरुआत की गई है.
डीएनए परीक्षण भी किया जा रहा
इसके तहत अब बच्चों के साथ पाए जाने वाले वयस्कों का डीएनए परीक्षण किया जा रहा है, जिससे बच्चे के असली माता-पिता का पता लगाया जा सके. अभियान के तहत 17 जुलाई को राज्य भर में 17 छापेमारी अभियानों में 21 बच्चों को रेस्क्यू किया गया, जिनमें से मोहाली से 13, अमृतसर से 4, बर्नाला, मानसा और फरीदकोट से शेष बच्चे थे. वहीं बठिंडा में 20 बच्चों की पहचान डीएनए परीक्षण के लिए की गई है.
कानूनी रूप से यदि कोई व्यक्ति बच्चे से जबरन भीख मंगवाता है या मानव तस्करी में लिप्त पाया जाता है तो उसे 5 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. वहीं यदि कोई अभिभावक अपने बच्चे को बार-बार इस चक्र में धकेलता है तो उसे ‘अनफिट पेरेंट' घोषित किया जा सकता है और राज्य उस बच्चे की देखभाल अपने हाथ में ले सकता है.