कभी कहा जाता था कि आतंकवाद गरीबी और अशिक्षा से जन्म लेता है, लेकिन अब यह मिथक पूरी तरह टूट चुका है. भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में कई ऐसे आतंकी सामने आए हैं, जो डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट और कॉर्पोरेट प्रोफेशनल रह चुके हैं. इन व्हाइट कॉलर टेररिस्ट्स ने दिखा दिया कि आतंक की विचारधारा के लिए शिक्षा कोई दीवार नहीं है, बल्कि कई बार वही इसका हथियार बन जाती है.
हालिया उदाहरण दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े आतंकियों का है. बता दें कि दिल्ली ब्लास्ट पाकिस्तान की साजिश का हिस्सा था. जिन डॉक्टरों के दिमाग में जिहादी सोच को कूट कूट कर भरा गया, उनके मंसूबे और खतरनाक थे. जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि दिल्ली NCR में 200 बम फटने वाले थे. 26/11 हमले की तरह साजिश अंजाम तक पहुंचने वाली थी. दिल्ली NCR के कई हाई प्रोफाइल ठिकानों की रेकी तक हो चुकी थी. डॉक्टर उमर मोहम्मद, आदिल अहमद, शाहीन... ये सब इस हमले के मुख्य किरदार हैं. ये भी पढ़े-लिखे व्हाइट कॉलर लोग हैं जिन्होंने इस हमले को अंजाम दिया और कई बेगुनाहों की जान ली.
भारत में शिक्षित आतंकियों का नेटवर्क
हाफिज सईद (Lashkar-e-Taiba Chief)
भारत में कई बड़े हमलों के पीछे रहा है यह मास्टर डिग्रीधारी आतंकी. पाकिस्तान में बैठे इस सरगना के दिल्ली धमाके समेत कई घटनाओं में तार जुड़े हैं.
याकूब मेमन (1993 मुंबई ब्लास्ट)
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट, जिसने आर्थिक ताने-बाने से 1993 के बम धमाकों को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई.
अफजल गुरु (2001 संसद हमला)
दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी.कॉम पास, कश्मीर से पकड़ा गया और बाद में संसद पर हमले की साजिश में फांसी दी गई.
सैयद सलाउद्दीन (Hizbul Mujahideen Chief)
पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री ली और कश्मीर घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का चेहरा बना.
आतिफ अमीन (Indian Mujahideen)
सितंबर 2008 में दिल्ली पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित और कॉलेज डिग्रीधारी था.
कयामुद्दीन कपाड़िया
गुजरात के इंडियन मुजाहिदीन नेटवर्क से जुड़ा ग्राफिक डिजाइनर, जिसने डिजिटल डिजाइन स्किल का दुरुपयोग किया.
मोहम्मद अबरार कासिम
पेशे से डेंटिस्ट, लेकिन सिमी का बिहार प्रमुख बनकर आतंक की फंडिंग और भर्ती में जुटा रहा.
मंसूर असगर पीरभॉय (Yahoo Engineer)
याहू इंडिया में कंप्यूटर इंजीनियर, जिसने 2008 के सिलसिलेवार धमाकों के बाद इंडियन मुजाहिदीन का घोषणापत्र तैयार किया. एनआईए की जांच में उसका 'मीडिया टेरर सेल' सामने आया.
व्हाइट कॉलर टेररिज्म: जब प्रोफेशनल्स बने आतंकी
कर्नाटक का शोएब मिर्जा (रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट, 2024)
हुबली का कंप्यूटर इंजीनियर, लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी से जुड़ा. हिंदू नेताओं की टारगेट किलिंग की साजिश में शामिल था.
महाराष्ट्र ISIS मॉड्यूल (2024)
एनआईए ने 6 शिक्षित युवाओं को पकड़ा.
जुल्फिकार अली बड़ौदावाला: MNC में ₹31 लाख पैकेज वाला प्रोजेक्ट मैनेजर
जुबैर शेख: रोबोटिक्स प्रोसेस ऑटोमेशन एक्सपर्ट
शरजील शेख: IT कंसल्टेंट
डॉ. अदनान अली सरकार: एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉक्टर
शाहनवाज: NIT नागपुर से B.Tech इन माइनिंग
गोरखनाथ मंदिर हमला (2022)
अहमद मुर्तज़ा अब्बासी: IIT मुंबई से केमिकल इंजीनियर, जिसने गोरखनाथ मंदिर पर हमला किया और फांसी की सजा पाई.
मन्नान वानी (PhD, AMU)
पीएचडी रिसर्चर से हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी कमांडर बना, 2018 में मारा गया.
जुबैर हंगरगेकर
पुणे का सॉफ्टवेयर इंजीनियर, अल-कायदा के ‘डिजिटल जिहाद' का हिस्सा बना.
डॉ. इश्तियाक (AQIS मॉड्यूल)
झारखंड का डॉक्टर, जिस पर अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट का नेटवर्क चलाने का आरोप है.
विदेशों में भी ‘एजुकेटेड टेररिज्म' की मिसालें
डॉ. बिलाल अब्दुल्ला (2007 लंदन-ग्लासगो बम साजिश): सर्जन, जिसने कार बम से हमला करने की कोशिश की.
अयमान अल-जवाहिरी (Al-Qaeda Chief): मिस्र का सर्जन, जिसने ओसामा के बाद संगठन संभाला.
फैसल शहजाद (2010 टाइम्स स्क्वायर बम साजिश): एमबीए और सॉफ्टवेयर इंजीनियर; अमेरिका में हाई-पेड प्रोफेशनल से आतंकी बना.
मोहम्मद अट्टा (9/11 लीड हाइजैकर): जर्मनी में शहरी नियोजन की पढ़ाई की; वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले का मुख्य योजनाकार.
सैयद रिज़वान फारूक (2015 सैन बर्नार्डिनो शूटिंग): सरकारी टेक्नीशियन, जिसने पार्टी में अंधाधुंध फायरिंग की.
ओसामा बिन लादेन: सिविल इंजीनियर और इकॉनोमिक्स ग्रेजुएट, अल-कायदा का संस्थापक और 9/11 का मास्टरमाइंड.














