बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा सत्र के पहले दिन महागठबंधन(Mahagathbandhan) की बैठक में तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बताकर सबको चौंका दिया है. नीतीश कुमार ने कहा कि अब से तीन साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्व में लड़ा जायेगा. तेजस्वी ही सीएम चेहरा होंगे. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के इस बयान के हर तरफ सब लोग अपने अपने तरीके से अर्थ लगा रहे हैं.
जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना हैं कि इस बयान से तीन चीजें साफ हो गई हैं, जिसमे पहला है- तेजस्वी यादव उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं. दूसरा- 2025 तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहेंगे. नीतीश अगर उसके पहले 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता में फेरबदल करने में सफल हो गये, तो केंद्र में कोई भूमिका निभाने के लिए निश्चित रूप से बिहार के सत्ता हस्तांतरण की संभावना बन सकती है.
नीतीश कुमार का बयान उनकी सोची समझी राजनीति और रणनीति का हिस्सा है. क्योंकि शायद ही कोई दिन होता हैं जब इस संबंध में अटकलें नहीं लगायी जाती हो. खासकर दोनों दलों के विलय के संबंध में भी जो राजनीतिक कानाफुसी कुछ महीने से चल रही है, उस पर भी अब विराम लगेगा.
केंद्र में अपनी भूमिका को लेकर नीतीश कुमार ने महागठबंधन की इस बैठक में कांग्रेस के विधायकों को साफ किया कि उनका मकसद न तो प्रधानमंत्री बनना है और न मुख्यमंत्री बनना. उनका लक्ष्य तो बीजेपी को हराना है. हालांकि, नीतीश केंद्र में कांग्रेस नेताओं के विपक्षी दलों को एकजुट करने की पहल पर उदासीन रवैये से खुश नहीं हैं.
नीतीश कुमार ने सोमवार को अपने कर्मभूमि नालंदा के कार्यक्रम में तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए कई बार भविष्य के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का ज़िक्र किया. उससे साफ था कि तेजस्वी यादव के भविष्य के प्रति उनके मन में क्या कुछ चल रहा है. नीतीश कुमार ने सबको एक साथ रहने की जैसे अपील की उससे भी साफ था कि उन्हें मालूम है कि तेजस्वी को उतराधिकारी बनाने से उनके समर्थकों के बीच तनाव या नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है.
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