जज्बे को सलाम ! पैराएथलीट Praveen Kumar ने सामान्य श्रेणी के एथलीटों को चटाई धूल, गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

प्रवीण कुमार स्थगित हो चुके एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक के लिए भारत के प्रबल दावेदारों में से हैं और वह T44 में वर्ल्ड रिकॉर्ड को भी तोड़ने का लक्ष्य बना कर चल रहे हैं. 

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
पैराएथलीट प्रवीण कुमार ने सामान्य श्रेणी में जीता गोल्ड
पैराएथलीट प्रवीण कुमार ने सामान्य श्रेणी में जीता गोल्ड
नई दिल्ली:

टोक्यो पैरालंपिक खेलों के ऊंची कूद स्पर्धा में पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) ने गुजरात के नडियाद में आयोजित हो रहे फेडरेशन कप अंडर-20 स्पर्धा में सामान्य श्रेणी में खेलते हुए स्वर्ण पदक जीता है. प्रवीण ने पिछले साल टोक्यो पैरालंपिक्स (Tokyo Paralympics) में रजत पदक जीता था. कूल्हे और बाएं पैर के बीच विकार के कारण पैरा खेलों में हिस्सा लेने वाले 19 साल प्रवीण ने शनिवार को यहां सबको चौंकाते हुए सामान्य श्रेणी के खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए 2.06 मीटर की ऊंची कूद में पहला स्थान हासिल किया. नोएडा का यह 19 वर्षीय खिलाड़ी जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली का प्रतिनिधित्व करता है.

यह भी पढ़ें: UWW Ranking Series में भारतीय पहलवानों ने लगाई गोल्ड की झड़ी, साक्षी मलिक के बाद सरिता मोर और मनीषा ने जीता स्वर्ण 

कैसे एक गूगल सर्च ने बदली प्रवीण की जिंदगी

टोक्यो पैरालंपिक्स में पदक जीतने के बाद प्रवीण ने कहा था, "मैं स्कूल में वॉलीबॉल खेला करता था, लेकिन धीरे से मैं पैरा एथलेटिक्स में आ गया और ऊंची कूद स्पर्धा में हिस्सा लिया. मुझे एक गूगल सर्च से पैरालंपिक्स के बारे में पता लगा और वहां तक पहुंचने के बारे में पता चला."

प्रवीण ने पहली बार एक जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया था. जहां उनकी मुलाकात अशोक सैनी से हुई, जिन्होंने 2018 में उन्हें राष्ट्रीय कोच सत्य पाल का फोन नंबर दिया. शुरुआत में, उनके स्कूल के साथी छात्रों और शिक्षकों ने भी सोचा कि वह अपने खेल में कैसे अच्छा करेंगे, लेकिन बाद में उन्होंने समर्थन करना शुरू कर दिया. 

जेवर के पास एक सुदूर गांव में रहने वाले किसानों के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली प्रवीण ने पिछले साल सितंबर में टोक्यो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद में 2.07मी का नया एशियाई रिकॉर्ड सेट करते हुए T64/T44 स्पर्धा में रजत पदक जीता था.  वह उस समय अपने पहले पैरालंपिक में प्रतिस्पर्धा कर रहे थे. 

Advertisement

बचपन में सक्षम एथलीटों के लिए ऊंची कूद स्पर्धा में खेलते हुए पैरा-स्पोर्ट्स के बारे में जानने के बाद से  कुमार राष्ट्रीय कोच सत्यपाल सिंह के अंडर ट्रेनिंग लेते हैं. कोच सत्यपाल ने उन्हें सक्षम एथलीटों के बीच चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए मनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 

कोच सत्यपाल को शुरू में उनके छोटे कद (1.65 मीटर) को लेकर कुछ आपत्ति थी, लेकिन उन्होंने पाया कि प्रवीण के दाहिने पैर में बहुत मजबूत मांसपेशियां हैं. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: French Open 2022: इगा स्विएटेक ने दूसरी बार जीता फ्रेंच ओपन ग्रैंड स्लैम, फाइनल में कोको गॉफ को सीधे सेटों में हराया

साल 2019 में इस खेल को अपना करियर बनाने के बाद से टोक्यो पैरालंपिक प्रवीण का पहला बड़ा पदक था. वह स्थगित हो चुके एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक के लिए भारत के प्रबल दावेदारों में से हैं और वह T44 में वर्ल्ड रिकॉर्ड को भी तोड़ने का लक्ष्य बना कर चल रहे हैं. फिलहाल वो दिल्ली के मोतीलाल नेहरू कॉलेज से बीए का कोर्स करे हैं. 

Advertisement

प्रवीण T-44 विकलांगता वर्गीकरण के अंडर आते हैं, जो पैर की कमी, पैर की लंबाई में अंतर, मांसपेशियों की शक्ति में कमी या पैरों में गति की निष्क्रिय सीमा वाले एथलीटों के लिए होता है. 

(भाषा के इनपुट के साथ)

हमारे स्पोर्ट्स यू-ट्यूब चैनल को जल्दी से करें सब्सक्राइब

Featured Video Of The Day
NDTV Indian Of The Year Award 2025: Bhim Singh Bhavesh को मिला सोशल इम्पैक्ट ऑफ़ द ईयर अवॉर्ड
Topics mentioned in this article