Tokyo Olympics में कमलप्रीत कौर ने डिस्कस थ्रो के फाइऩल में पहुंचकर रचा इतिहास, जानिए कौन है यह एथलीट

Tokyo Olympics:  महिला डिस्कस थ्रो एथलीथ कमलप्रीत कौर (Kamalpreet Kaur) ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने महिला डिस्कस थ्रो के फाइनल में जगह बना ली है. उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में ही 64 मीटर तक डिस्क फेंककर एक बड़े कारनामें को अंजाम दिया है.

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Tokyo Olympics में कमलप्रीत कौर ने डिस्कस थ्रो के फाइऩल में पहुंचकर रचा इतिहास

Tokyo Olympics: महिला डिस्कस थ्रो एथलीथ कमलप्रीत कौर (Kamalpreet Kaur) ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने महिला डिस्कस थ्रो के फाइनल में जगह बना ली है. उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में ही 64 मीटर तक डिस्क फेंककर एक बड़े कारनामें को अंजाम दिया है. कमलप्रीत के फाइऩल में पहुंचने से एथलीथ में पहले ओलंपिक मेडल की आस जग गई है. पहले प्रयास में उन्होंने 60.29 मीटर का थ्रो किया, जबकि दूसरे प्रयास में 63.97 मीटर दूर डिस्क फेंका. अब महिला डिस्कस थ्रो का फाइनल 2 अगस्त को होगा. कमलप्रीत कौर अपने ग्रुप में दूसरे नंबर पर रही तो वहीं अमेरिका की वालारी आलमैन ने 66.42 मीटर डिस्कस थ्रो करके पहला स्थान हासिल किया. 

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भारतीय एथलीट के इतिहास में किसी ने नहीं जीता है मेडल
भारतीय ओलंपिक के इतिहास में अबतक किसी भारतीय खिलाड़ी ने एथलेटिक्स में मेडल नहीं जीता है. ऐसे में कमलप्रीत के पास इतिहास रचने का मौका है. महिला डिस्कस फाइनल में उनके साथ 12 खिलाड़ी होंगे. दूसरी ओर पुरूष एथलेटिक्स में जैवलिन थ्रो खिलाड़ी नीरज चोपड़ा से काफी उम्मीदें हैं. 

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सोशल मीडिया पर हर कोई कर रहा है सलाम
महिला डिस्कस थ्रो के फाइनल में पहुंचने पर कमलप्रीत कौर (Kamalpreet Kaur) को लेकर सोशल मीडिया पर बधाईयों का तांता लग गया है. हर तरफ कमलप्रीत की चर्चा हो रही है. 2 अगस्त को उनका फाइनल होगा. फैन्स अब 2 अगस्त का बेसर्बी से इंतजार कर रहे हैं. 

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कौन है कमलप्रीत कौर
कमलप्रीत कौर जाब के श्री मुक्तसर साहिब जिले के बादल गांव की रहने वाली है. बचपन में उनको पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थआ. साल 2012 में उन्होंने खुद को एथलीट के तौर पर देखना शुरू किया. कमलप्रीत अपनी पहली स्टेट मीट में चौथे स्थान पर रहीं थी.  एक इंटरव्यू में कमलप्रीत ने कहा कि अपने शुरूआती कोच के कहने पर ही उन्होंने अपना करियर एथलीट में बनाने का फैसला किया. साल 2014 में कौर ने अपनी ट्रेनिग और भी गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. उनके गांव में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) केंद्र में उनका प्रारंभिक प्रशिक्षण शुरू हुआ. अपनी मेहनत के दम पर कौर के करियर को जल्द ही गति मिल गई. वह 2016 में अंडर-18 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियन तो वहीं 2017 में 29वें विश्व विश्वविद्यालय खेलों में छठे स्थान पर रहीं थी. 

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2019 में किया कमाल
कौर ने 24वें फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कमाल करते हुए इतिहास रचा, वह चक्का फेंक में 65 मीटर बाधा पार करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थी. वहीं, 2019 में ही कौर के नाम 60.25 मीटर चक्का फेंककर गोल्ड पदक जीतने का कारनामा दर्ज हो गया था. बता दें कि कौर सीमा पुनिया को अपना आदर्श मानती हैं. हालांकि सीमा पुनिया अपने कैटेगिरी में क्वालीफाई करने में असफल हो गई हैं. 

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